लखनऊ में श्रीमद्भागवत कथा का पांचवां दिन:शिव-कृष्ण मिलन की कथा सुनाई, कथावाचक बोले- एक श्लोक का ज्ञान भी बैकुंठ का रास्ता
बख्शी का तालाब क्षेत्र के भगौतापुर गांव स्थित चंद्रभालेश्वर मंदिर प्रांगण में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। कथा का आयोजन अंशु द्विवेदी द्वारा किया गया है। राष्ट्रीय कथावाचक देवी सत्यार्चा जी वृन्दावन धाम ने भक्तों को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के एक श्लोक का चौथाई हिस्सा भी यदि कोई समझ ले, तो उसका बैकुंठ में स्थान निश्चित है। कथा में शिव और कृष्ण के मिलन का रोचक प्रसंग सुनाया गया। कथावाचक ने बताया कि दोनों एक-दूसरे के दर्शन के लिए इतने व्याकुल थे कि उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। जब भगवान कृष्ण कुसुम्भी जी के साथ नंद गांव पहुंचे, तो गोपियों ने बताया कि माता यशोदा ने केवल एक व्यक्ति को अनुमति दी है। शिव जी ने चतुराई से कहा कि वे बूढ़े हैं और उन्हें दिखाई नहीं देता, इसलिए उन्हें साथ ले जाना जरूरी है। कथा में एक दिलचस्प प्रसंग यह भी था कि जब माता यशोदा ने शिव जी से कृष्ण को आशीर्वाद देने को कहा, तब शिव जी ने कहा कि पहले कृष्ण के पैर उनके सर पर तीन बार लगें। यशोदा जी ने संत के सर पर बालक के पैर रखने में संकोच किया, लेकिन शिव जी ने कहा कि ऐसा न करने पर कृष्ण रोने लगेंगे। इस दिव्य मिलन को देखकर कुसुम्भी जी भावविभोर हो गए।

लखनऊ में श्रीमद्भागवत कथा का पांचवां दिन: शिव-कृष्ण मिलन की कथा सुनाई
News by indiatwoday.com
लखनऊ में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन भक्तों ने शिव और कृष्ण का अद्भुत मिलन देखा। कथावाचक ने श्रद्धालुओं के बीच इस पवित्र कथा का वर्णन किया, जिसमें एक श्लोक का ज्ञान भी बैकुंठ का रास्ता बताने का संदेश था। इस दिन का महत्व भगवान शिव और भगवान कृष्ण की लीला को समझने में भक्तों को मदद करता है। कथावाचक ने भक्ति, ज्ञान और ध्यान की आवश्यकता पर जोर दिया और बताया कि किस प्रकार सही ज्ञान से जीवन में उत्थान होता है।
श्रीमद्भागवत कथा का महत्व
श्रीमद्भागवत कथा केवल एक कथा नहीं है, बल्कि यह जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का साधन है। भक्तों के लिए यह एक प्रेरणा का स्रोत है, जो उन्हें भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होने के लिए प्रोत्साहित करता है। कथा के दौरान भक्तों में भक्ति और श्रद्धा का भाव देखने को मिला, जिससे उन्होंने शिव और कृष्ण के मिलन को अभिव्यक्त किया।
कथावाचक का संदेश
कथावाचक ने कहा, "एक श्लोक का ज्ञान भी बैकुंठ के मार्ग को खोलेगा।" उन्होंने विश्वास दिलाया कि व्यक्ति अपने कर्मों और ज्ञान के आधार पर ईश्वर के निकट जा सकता है। इस दौरान उन्होंने भगवद गीता के कुछ महत्वपूर्ण श्लोकों का उद्धरण किया, जो भक्ति के मार्ग को सरल बनाते हैं।
भक्तों की भावनाएँ
कथा के इस भाग में भक्तों ने भावुकता के साथ कथा सुनी और अपने-अपने श्रद्धा भक्ति से जुड़े अनुभवों को साझा किया। यह न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि सभी के लिए एक नई ऊर्जा का संचार भी था। भक्तों ने इस मौके को सही मायने में स्वीकार किया और अपने जीवन में भक्ति को उतारने का संकल्प लिया।
लखनऊ में हो रही यह कथा निश्चित रूप से समाज में धार्मिकता की एक नई लहर लेकर आई है। इसके प्रति भक्तों का उत्साह, एकता और अनुशासन देखने लायक था।
कथा के पांचवे दिन की यह गतिविधि दर्शाती है कि भक्ति और ज्ञान के माध्यम से हम अपने जीवन को और बेहतर बना सकते हैं। ऐसे आयोजनों से आम जनमानस में धर्म और संस्कृति की अद्भुत सार्थकता का अनुभव होता है।
आगे की योजना
श्रीमद्भागवत कथा की आगामी दिनों में अन्य महत्वपूर्ण प्रसंग भी सुनाए जाएंगे। भक्तों को इनसे जुड़ने और अपनी श्रद्धा को व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया है। आगे बढ़ने के लिए, सभी भक्तों को इस कथा में शामिल होने और अपने संकल्पों को सशक्त बनाने का संदेश दिया गया है। Keywords: लखनऊ में श्रीमद्भागवत कथा, शिव-कृष्ण मिलन कथा, कथावाचक का संदेश, बैकुंठ का रास्ता, धार्मिक आयोजन लखनऊ, कथा का महत्व, भक्तों की भावनाएँ, श्रीमद्भागवत कथा के प्रसंग, भक्ति का संकल्प, भारतीय संस्कृति में कथा.
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