लखीमपुर में पूर्व मंत्री का पुलिस पर गंभीर आरोप:स्वामी प्रसाद मौर्य बोले- रक्षक ही बन गए भक्षक, योगी सरकार में पुलिस बेलगाम
लखीमपुर खीरी में गैंगस्टर के आरोपी रामचंद्र की पुलिस हिरासत में मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। शनिवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मृतक के गांव हुलासी पुरवा पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने मृतक से व्यक्तिगत दुश्मनी निकाली है। मौर्य ने कहा कि वायरल वीडियो में पुलिस अधिकारियों की भाषा किसी रक्षक की नहीं, बल्कि गुंडा-मवाली जैसी है। उन्होंने योगी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि पुलिस हिरासत में यह अकेली मौत नहीं है, बल्कि दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है। मामले में और गंभीर तब हो गया जब धौरहरा के सीओ पी पी सिंह का एक वीडियो सामने आया, जिसमें वे परिजनों को धमकाते हुए कह रहे हैं कि उनकी कोई मांग नहीं मानी जाएगी, न 30 लाख रुपए दिए जाएंगे और न ही किसी पुलिसकर्मी को निलंबित किया जाएगा। इसी तरह मझगई थाना अध्यक्ष दयाशंकर द्विवेदी का भी परिजनों को डराते-धमकाते हुए एक वीडियो वायरल हुआ है। इस घटना ने राजनीतिक रंग ले लिया है। पलवी पटेल के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य के दौरे से मामला और गरमा गया है। सभी विपक्षी दल योगी सरकार और पुलिस प्रशासन पर हमलावर हैं। पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं और न्याय की मांग की जा रही है।

लखीमपुर में पूर्व मंत्री का पुलिस पर गंभीर आरोप
लखीमपुर में हाल ही में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने पुलिस के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान योगी सरकार में पुलिस रक्षक के बजाय भक्षक बन गई है। उनके अनुसार, जनता की सुरक्षा के लिए बनी पुलिस बल अब अपराधियों के संरक्षक बन गई है, जिससे समाज में एक भय और असुरक्षा का माहौल उत्पन्न हो गया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, "पुलिस का मुख्य उद्देश्य जनता की सुरक्षा करना है, लेकिन आजकल इस उद्देश्य को भुलाकर पुलिस ने एक नया तरीका अपनाया है। आरोपों के मुताबिक, कई मामलों में पुलिस प्रशासन ने निष्क्रियता दिखाई है, जबकि कुछ केसों में तो अपराधियों को सीधे तौर पर समर्थन दिया जा रहा है।" उनकी यह टिप्पणी हाल के कुछ घटनाक्रमों के संदर्भ में आई है जहां पुलिस पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
योगी सरकार की भूमिका
योगी आदित्यनाथ की सरकार में कानून व्यवस्था को लेकर जो आशाएं थीं, अब उन पर सवाल उठने लगे हैं। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि सरकार द्वारा पुलिस को पूरी छूट दी गई है, जिसके चलते पुलिस का मनोबल बढ़ा है। इससे आशंका जताई जा रही है कि यह स्थिति समाज में अराजकता को जन्म दे सकती है।
इस बीच, नागरिक समाज के कुछ समूहों ने भी पुलिस की कार्यशैली पर चिंता जताई है। उन्होंने मांग की है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एक बार फिर से ठोस कदम उठाए जाएं।
भविष्य की दिशा
स्वामी प्रसाद मौर्य ने सुझाव दिया है कि सरकार को चाहिए कि वह पुलिस के कार्यों की नियमित जांच-पड़ताल करे और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाए। उनका मानना है कि इस दिशा में कार्रवाई करने से पुलिस बल में सुधार संभव है।
एलके, लखीमपुर के नागरिक भी उनकी बातों का समर्थन कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान दे। इसके आलावा, प्रदेश में एक सशक्त और प्रभावी पुलिस बल की आवश्यकता है जो वास्तव में रक्षक की भूमिका निभा सके।
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