वक्फ एक आतंकी गिरोह, अखिलेश यादव मुगल-शासन के आखिरी शासक:मुजफ्फरनगर में बीजेपी नेता संगीत सोम का ने कहा- गंगा में डुबकी के बाद कुंभ में स्टॉल लगाए मुस्लिम
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर बीजेपी के फायर ब्रांड नेता एवं पूर्व सरधना विधायक संगीत सोम मुजफ्फरनगर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बड़ा बयान देते हुए कहा- पूरे भारत में जश्न का माहौल है। हमारी ही वेशभूषा में हमारे कुछ गद्दारों की वजह से 500 साल तक सभी सनातनियों को मंदिर के निर्माण के लिए इंतजार करना पड़ा। संगीत सोम ने कहा- आज मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को एक साल हो चुका है, जो हम सबके लिए बड़े गर्व की बात है। इस प्रथम वर्षगांठ पर सभी को बधाई देता हूं। उन्होंने मुजफ्फरनगर वासियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम के लिए भी खास बधाई दी। अखिलेश यादव मुगल शासन के आखिरी शासक संगीत सोम इस दौरान सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर भी खूब बरसे। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को ये याद रखना चाहिए कि वो मुगल शासन के आखिरी शासक थे। अब वो कभी नहीं बन सकते। उनके पिता ने कार सेवकों पर गोलियां चलवाईं। साधु संतों पर गोली चलवाई। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि अखिलेश यादव कुछ भी कर लें, अब बाबर की औलाद दोबारा से यहां (सत्ता में) आने वाली नहीं है। वक्फ एक आतंकियों का गिरोह वक्फ़ बोर्ड के मुद्दे पर संगीत सोम ने कहा- यहां वक्फ़ की कोई ज़मीन नहीं है, अगर होगी भी तो वो पाकिस्तान में होगी। हिंदुस्तान में सब सनातन की धरती है, तो वो सब ज़मीन भी सनातनियों की ज़मीन है। यहां वक़्फ़ जैसी कोई चीज़ नहीं है। वो एक संगठन गिरोह है, भूमाफियाओं का गिरोह है, आतंकियों का गिरोह है, गुंडों का गिरोह है। पहले वो गंगा में डुबकी लगाएं और शिव की आराधना करें, फिर कुंभ में स्टॉल लगाए मुस्लिम प्रयागराज महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर बैन लगाने पर उन्होंने कहा- मैं चाहता हूं कि मुस्लिम भी कुंभ में जाएं, लेकिन उससे पहले वो गंगा में डुबकी लगाएं और शिव की आराधना करें। उसके बाद ही अपना स्टॉल लगाएं। तो हमें कोई दिक्कत नहीं। शामली के थानाभवन के विधायक के किले पर राजपूत समाज द्वारा अपना हक जताने के मुद्दे पर संगीत सोम ने कहा- देश में जब पूरी आक्रांता आई तो उन्होंने (मुस्लिम शासकों) पूरी ज़मीनों को कब्जाने का काम किया। मंदिरों को तोड़ने, राजाओं के महलों को कब्जाने का काम किया। उसी में से एक वो भी है और वो भी वापस होना चाहिए। जो भ्रष्टाचार करेगा, वो बख्शा नहीं जाएगा पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान के आरोपों पर संगीत सोम ने कहा- कोई अधिकारी भ्रष्टाचार नहीं कर रहा है और जो भ्रष्टाचार करेगा, वो बख्शा नहीं जाएगा। ------------------------------------------------ ये भी पढ़ें... संभल में बावड़ी पर बना मकान रातोंरात तुड़वाया:महिलाएं रोने लगीं, कहा-बहुत जुल्म हो रहा, इतनी ठंड में हम कहां जाएंगे संभल में प्रशासन ने 150 साल पुरानी बावड़ी पर अतिक्रमण कर बनाए गए मकान को शुक्रवार रात हटाना शुरू कर दिया। शाम 6 बजे नोटिस चस्पा कर 24 घंटे का समय दिया। एक घंटे बाद ही अधिकारी टीम के साथ पहुंचे और परिवार से मकान खाली करवा दिया। मजदूरों ने रात में मकान का एक हिस्सा गिरा दिया। अभी मौके पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात हैं। पढ़ें पूरी खबर...

वक्फ एक आतंकी गिरोह, अखिलेश यादव मुगल-शासन के आखिरी शासक: मुजफ्फरनगर में बीजेपी नेता संगीत सोम का बयान
मुजफ्फरनगर में बीजेपी नेता संगीत सोम ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने वक्फ को एक आतंकी गिरोह करार दिया। उनके अनुसार, अखिलेश यादव, जो समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं, मुगल-शासन के आखिरी शासक जैसे हैं। यह बयान उत्तर प्रदेश के राजनीतिक माहौल में नई बहस को जन्म दे सकता है।
संगीत सोम का गंगा में डुबकी का जिक्र
संगीत सोम ने अपने भाषण में गंगा नदी में स्नान का उल्लेख किया और कुंभ मेले के दौरान मुस्लिमों द्वारा स्टॉल लगाने का जिक्र किया। उनके इस बयान का उद्देश्य धार्मिक सामंजस्य पर सवाल उठाना और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देना है। वे इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं और इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
भारत में वक्फ की भूमिका सदियों से विवाद का विषय रही है। कई राजनीतिक दल इस मुद्दे का उपयोग अपने लाभ के लिए करते हैं। संगीत सोम का यह बयान सीधे समाजवादी पार्टी और उसके नेताओं पर हमला करता है, जो यूपी में बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा हैं।
धार्मिक सामंजस्य और राजनीति
यहां सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह के बयान समाज में धार्मिक विभाजन को बढ़ाते हैं? क्या यह राजनीतिक बयानबाज़ी, समाज में सद्भावना को नुकसान पहुंचा सकती है? सही और गलत का सवाल अब एक जटिल राजनीतिक रुख में बदल रहा है।
संगीत सोम के बयान ने सभी राजनीतिक दलों को एक बार फिर से अपने स्टैंड लेने के लिए मजबूर किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि समाजवादी पार्टी इस पर कौन सा जवाब देती है और क्या यह मामला आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण स्थान रखेगा।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस तरह के बयान किसी न किसी रूप में चुनावी रणनीतियों को प्रभावित कर सकते हैं। यदि बीजेपी इसे सही तरीके से भुनाती है, तो यह उनके लिए एक मजबूत चुनावी प्लस प्वाइंट हो सकता है।
अंत में, यह स्पष्ट है कि राजनीति में इस तरह के बयानों का प्रभाव केवल एक समय की बात नहीं है, बल्कि यह कई चरणों में विकसित हो सकता है। सामाजिक न्याय और धार्मिक समरसता की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के लिए सभी दलों को अपने दृष्टिकोण पर विचार करने की आवश्यकता है।
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