वाराणसी के गैंगस्टर अभिषेक सिंह हनी की जमानत खारिज:ACJM-2 ने रंगदारी के पुराने केस में भेजा जेल, गैर जमानती वारंट पर हुआ था पेश

वाराणसी के टॉप-10 अपराधियों में शामिल खजुरी (पांडेयपुर) निवासी अभिषेक सिंह उर्फ हनी को शुक्रवार को एसीजेएम द्वितीय की कोर्ट ने रंगदारी के पुराने मामले में जेल भेज दिया। अदालत से उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी था। जिसे निरस्त कराने के लिए वह अपने अधिवक्ता के साथ कोर्ट पहुंचा था। साल 2012 में कोतवाली थाना क्षेत्र के मध्यमेश्वर निवासी श्रवण जायसवाल की तहरीर पर हनी के खिलाफ रंगदारी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसी मामले में उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी था। जमानत पर छूटने के बाद पेशी पर नहीं जा रहा था। शुक्रवार को वह वारंट निरस्त कराने की अर्जी लेकर पहुंचा। जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया। अभिषेक सिंह पर 34 मुकदमे दर्ज हैं। हाल ही में एक अन्य मुकदमे में कोर्ट ने उसे बरी किया था।

Jan 18, 2025 - 01:35
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वाराणसी के गैंगस्टर अभिषेक सिंह हनी की जमानत खारिज:ACJM-2 ने रंगदारी के पुराने केस में भेजा जेल, गैर जमानती वारंट पर हुआ था पेश
वाराणसी के टॉप-10 अपराधियों में शामिल खजुरी (पांडेयपुर) निवासी अभिषेक सिंह उर्फ हनी को शुक्रवार को

वाराणसी के गैंगस्टर अभिषेक सिंह हनी की जमानत खारिज

वाराणसी में अपराध की दुनिया के एक और विवादास्पद चेहरे, गैंगस्टर अभिषेक सिंह उर्फ हनी, की जमानत का फैसला हाल ही में एक एसीजेएम-2 अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया। यह निर्णय रंगदारी के एक पुराने मामले से संबंधित है, जिसमें अभिषेक को उनके गैर जमानती वारंट पर पेश होने के बाद जेल भेजा गया है। इस खबर ने स्थानीय समुदाय में हलचल मचा दी है और इससे यह स्पष्ट होता है कि अदालतें संगठित अपराध के मामलों में कितनी सख्त और प्रभावी हो रही हैं।

मामले काbackground

अभिषेक सिंह हनी के खिलाफ रंगदारी वसूलने के कई मामले दर्ज हैं, जो उनके गैंगस्टर जीवन का एक प्रमाण है। पिछले कुछ वर्षों में, उनके खिलाफ की गई कार्रवाइयां और गिरफ्तारी ने पुलिस और न्यायिक प्रणाली की गंभीरता को उजागर किया है। ऐसे मामलों में जमानत खारिज होने से यह एक संकेत मिलता है कि अदालतें ऐसे अपराधियों पर कोई सहानुभूति नहीं दिखा रही हैं, जो समाज और कानून को चुनौती देते हैं।

अभिषेक सिंह की भूमिका और गिरफ्तारी

अभिषेक सिंह का नाम वाराणसी में अपराध से जुड़े मामलों में अक्सर सामने आता रहा है। उनके गैंग के लोग स्थानीय व्यापारियों से रंगदारी वसूलते थे, जिससे इलाके में डर का माहौल बना हुआ था। पुलिस ने अभिषेक को कई बार गिरफ्तार किया, लेकिन हर बार वह जमानत पर बाहर आ जाता था। हालांकि, इस बार उनकी जमानत खारिज होने से यह उम्मीद जताई जा रही है कि उन्हें सजा दिलाने में न्याय प्रणाली सफल होगी।

समाज पर प्रभाव

अभिषेक की गिरफ्तारी और जमानत खारिज होने से वाराणसी के नागरिकों में राहत की भावना है। लोग महसूस कर रहे हैं कि इस मामले के जरिए कानून व्यवस्था में सुधार आ रहा है और गैंगस्टरों के खिलाफ एक सख्त कदम उठाया जा रहा है। इससे यह संदेश जाता है कि अपराधियों को बच निकलने का मौका नहीं दिया जाएगा, और कानून के हाथ लंबे होते हैं।

निर्णय के बाद की स्थिति

अभिषेक के मामले में अदालत का निर्णय यह दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन और कानून व्यवस्था सुधारने की दिशा में गंभीर है। ऐसे मामलों में कठोरता से निपटने से समाज में सुरक्षा का माहौल बढ़ेगा। यह निश्चित रूप से उन लोगों के लिए एक उदाहरण है जो संगठित अपराध की जिस्ठों को हल्के में लेते हैं।

इस मामले की आगे की प्रगति पर नजर रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केवल अभिषेक सिंह का मामला नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जहां अधिकारियों ने संगठित अपराध के खिलाफ अपनी कार्रवाई को तेज किया है।

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