शिमला में बर्फबारी और बारिश से लौटी जमीन की नमी:सेब और प्लम की बागवानी को मिली नई जान, बागवानों के चेहरे खिले
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रामपुर क्षेत्र में बागवानी को नई दिशा मिल रही है। ऊंचाई वाले इलाकों में हुई बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में हुई बारिश ने बागवानों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है। जमीन में लौटी नमी के साथ बागवान अब सेब के बगीचों में तोलिये और नए पौधों के लिए गड्ढे तैयार करने में जुट गए हैं। नए पौधे लगाने का कार्य प्रारंभ क्षेत्र के प्रगतिशील बागवान बनी कायथ, सुरेंद्र, देवेंद्र कुमार, सुरजीत, राधाकृष्ण, विनोद, राकेश और मोहन लाल के अनुसार निचले क्षेत्रों में प्लम के नए पौधे लगाने का कार्य भी प्रारंभ हो गया है। बागवानों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और बर्फबारी व बारिश होगी। जिससे नए लगाए पौधों को संजीवनी मिलेगी और जमीन में पर्याप्त नमी बनी रहेगी। प्लम बागवानों की मुख्य आय का स्त्रोत हिमाचल प्रदेश में सेब का करोड़ों का वार्षिक कारोबार होता है। साथ ही निचले क्षेत्रों में प्लम का भी लाखों पेटियों का उत्पादन होता है। बागवान प्लम की विभिन्न किस्मों जैसे रेड ब्यूट, सेंटा रोजा, ब्लैक एंबर और ब्लैक स्प्लेंडर के पौधे लगा रहे हैं। गर्म इलाकों में प्लम बागवानों की मुख्य आय का स्रोत बन गया है। बागवान सेब के साथ-साथ प्लम और नाशपाती के बगीचों को भी विकसित करने में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। जिससे आने वाले सीजन में अच्छी पैदावार की उम्मीद है।

शिमला में बर्फबारी और बारिश से लौटी जमीन की नमी
शिमला में हाल ही में हुई बर्फबारी और बारिश ने किसानों के लिए राहत का कारण बनकर उभरी है। इस मौसम में पड़े बर्फ और बारिश ने जमीन की नमी को फिर से बहाल कर दिया है, जिससे सेब और प्लम की बागवानी को नई ऊर्जा मिली है। बागवानों का कहना है कि इस प्राकृतिक घटना से उनकी फसल की गुणवत्ता बढ़ेगी और पैदावार में भी सुधार होगा।
सेब और प्लम की खेती में नया जीवन
हाल की मौसम की स्थितियों ने सेब और प्लम के बागवानों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी है। नवम्बर और दिसम्बर में आई बर्फबारी ने मिट्टी में आवश्यक नमी बनाए रखी है, जो फसलों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। यह नमी न केवल जड़ें मजबूत बनाने में मदद करती है, बल्कि सेब और प्लम के फल में मिठास और सुगंध भी जोड़ती है।
बागवानों की सकारात्मक प्रतिक्रिया
बागवानों ने इस मौसम की बर्फबारी और बारिश के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। स्थानीय बागवान राम सिंह ने बताया कि "इस बार की बर्फबारी ने हमारी बागवानी को फिर से जीवंत कर दिया है।" वहीं, अन्य बागवान भी इस बात पर सहमत हैं कि यह मौसम उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा। उनकी मेहनत अब रंग लाने वाली है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
हालांकि, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, बागवान अब भी सतर्क हैं। बर्फबारी और बारिश के पीछे छिपे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विश्लेषण आवश्यक है। बागवानों को निरंतर बदलते मौसम पैटर्न के साथ खुद को ढालने की जरूरत है।
उम्मीद की जा रही है कि इस साल शिमला में सेब और प्लम की फसल पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर होगी। बागवानों ने आवश्यकतानुसार अपने बागों की देखभाल में किसी भी कमी को नहीं छोड़ने का संकल्प लिया है।
समस्त बागवानों को वर्तमान मौसम का लाभ उठाना चाहिए और इसे एक नए अवसर के रूप में देखने की आवश्यकता है।
बागवानों के चेहरे पर आई खुशी प्रतिस्पर्धात्मकता का एक संकेत है, जो इस क्षेत्र में कृषि की संभावनाओं को उजागर करता है।
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