सरकार ने कैब एग्रीगेटर ओला-ऊबर को नोटिस भेजा:आईफोन और एंड्रॉयड पर अलग-अलग किराया तय करने को लेकर जवाब मांगा
कैब एग्रीगेटर्स ओला और उबर को बुकिंग डिवाइस के आधार पर कैब सर्विस की प्राइस तय करने को लेकर सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्टर प्रल्हाद जोशी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर यह जानकारी दी। उन्होंने X पर लिखा - मोबाइल फोन के विभिन्न मॉडलों (आईफोन/एंड्रॉयड) के आधार पर अलग-अलग प्राइस तय करने के बारे में पहले की गई टिप्पणी के बाद कंज्यूमर अफेयर्स के डिपार्टमेंट CCPA ने प्रमुख कैब एग्रीगेटर्स ओला और उबर को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। कंज्यूमर एक्सप्लोइटेशन को लेकर जीरो टॉलरेंस इससे पहले पिछले महीने प्रल्हाद जोशी ने कैब एग्रीगेटर्स को चेतावनी दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था - कंज्यूमर एक्सप्लोइटेशन को लेकर जीरो टॉलरेंस बरती जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने CCPA से इस आरोपों की जांच करने के लिए भी कहा था। अलग-अलग किराया वसूलने की रिपोर्ट के बाद कैब एग्रीगेटर्स को नोटिस CCPA ने उन रिपोट्स के बाद कैब एग्रीगेटर्स को यह नोटिस तब भेजा है , जिसमें कहा गया था कि दोनों कंपनियां एक ही सर्विस के लिए अलग-अलग किराया वसूलती हैं। जब यात्री एक ही जगह के लिए कैब बुक करते हैं तो एंड्रॉयड डिवाइस पर अलग किराया और आईफोन पर अलग किराया दिखाता है। दिसंबर में यह मामला तब चर्चा में आया था जब एक X यूजर ने दो फोन की तस्वीर शेयर की थी, जिसमें उबर एप पर एक खास स्थान के लिए कथित तौर पर अलग-अलग किराए दिखाए गए थे। जैसे ही वह पोस्ट वायरल हुआ, उबर ने आरोपों का जवाब देते हुए इस बात से इनकार किया था। कंपनी ने पिक-अप पॉइंट, एस्टीमेट अराइवल टाइम (ETA) और ड्रॉप-ऑफ पॉइंट सहित अन्य चीजों को किराए में किसी भी अंतर के लिए जिम्मेदार ठहराया था।

सरकार ने कैब एग्रीगेटर ओला-ऊबर को नोटिस भेजा
बात की शुरुआत
हाल ही में, भारत सरकार ने कैब एग्रीगेटर कंपनियों ओला और ऊबर को एक नोटिस भेजा है। यह नोटिस आईफोन और एंड्रॉयड प्लेटफार्म पर इन कंपनियों द्वारा अलग-अलग किराया तय करने के मुद्दे पर है। ऐसा मानना है कि यह उपभोक्ता के हित के खिलाफ है, और सरकार ने इन कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा है। यह कदम उपभोक्ताओं को सुरक्षित और समान सेवा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
किराया निर्धारण की प्रक्रिया
ओला और ऊबर जैसे कैब एग्रीगेटर ऐप्स की व्यवसायिक प्रक्रिया में किराया निर्धारण एक महत्वपूर्ण पहलू है। इन कंपनियों का कहना है कि वे बाजार डिमांड और सप्लाई के आधार पर किराया तय करते हैं, लेकिन आईफोन और एंड्रॉयड के बीच भिन्नता से उपभोक्ताओं में असमानता उत्पन्न हो सकती है। यही वजह है कि सरकार ने इस मुद्दे पर संबंधित कंपनियों से विस्तृत जानकारी मांगी है, जिससे यह ज्ञात हो सके कि यह भिन्नता क्यों और कैसे उत्पन्न हो रही है।
सरकार की पहल
सरकार की यह पहल एक महत्वपूर्ण संकेत है कि वह उपभोक्ता हितों को हर हाल में संरक्षित करना चाहती है। नागरिकों को स्वतंत्रता से अपना कैब बुक करने का अधिकार है, और उन्हें कोई आर्थिक असमानता महसूस नहीं होनी चाहिए। भारत सरकार का यह कदम न केवल ओला और ऊबर के लिए, बल्कि अन्य कैब एग्रीगेटरों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे अपने किराए के निर्धारण की प्रक्रिया को ठीक से समझाएं और उपभोक्ताओं को सही मूल्य प्रदान करें।
राज्य की प्रतिक्रिया
राज्य सरकारों ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है और ओला-ऊबर जैसी कंपनियों की गतिविधियों पर नजर रखने की आवश्यकता बताई है। कैब एग्रीगेटर्स का कार्यक्षेत्र हर राज्य में सकता है, और स्थानीय यात्रा के मामले में उपभोक्ताओं की अपेक्षा भी अलग हो सकती है, इसलिए इसे समझना और हालात के अनुसार काम करना आवश्यक है।
निष्कर्ष
ओला और ऊबर द्वारा ये समसामयिक किराया निर्धारण मुद्दे ने उपभोक्ता धारणाओं को एक नया धारा दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन कंपनियों के जवाब को कैसे संभालती है और भविष्य में क्या कदम उठाती है। इस मामले में आगे की जानकारी के लिए, कृपया 'News by indiatwoday.com' पर देखते रहें। Keywords: ओला ऊबर नोटिस, कैब एग्रीगेटर किराया, आईफोन एंड्रॉयड किराया, सरकार का एक्शन, उपभोक्ता हित, कैब बुकिंग मुद्दे, ओला ऊबर अंतर, किराया निर्धारण प्रक्रिया, कैब एग्रीगेटर सेवाएं, भारत सरकार कार्रवाई, समाचार indiatwoday.com
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