सहारनपुर में सरकारी भवनों पर लगेंगे सोलर रूफटॉप संयंत्र:डीएम बोले-49 भवनों पर 758 किलोवॉट का सोलर प्लांट लग चुके, पर्यावरण संरक्षण के साथ होगी वित्तीय बचत
सहारनपुर में सरकारी और अर्द्धसरकारी भवनों पर सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाए जा रहे हैं। 49 भवनों पर अब तक 758 किलोवॉट क्षमता के सोलर प्लांट लगाए जा चुके हैं। अगले दो माह में 52 भवनों पर कैपेक्स मोड और 14 भवनों पर रेस्को मोड के तहत सोलर संयंत्र लगाए जाएंगे। डीएम मनीष बंसल ने कहा-सोलर रूफटॉप संयंत्र लगने से बिजली में बचन होगी। सरकारी खर्च में भी कमी आएगी। पर्यावरणीय संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। सौर ऊर्जा के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। ये योजनाएं है प्रस्तावित डीएम मनीष बंसल ने बताया कि कैपेक्स मोड के तहत आयुष्मान आरोग्य मंदिर, तहसील नकुड़, आईटीआई देवबंद, विकासखंड बलियाखेड़ी सहित विभिन्न स्थलों पर संयंत्र लगाए गए हैं। वहीं, रेस्को मोड में जिला महिला चिकित्सालय, एमसीएच विंग, जिला चिकित्सालय और राजकीय मेडिकल कॉलेज में संयंत्र लगाए जा चुके हैं। यूपी नेडा को सभी डिटेल दें। जिससे 2025 में सोलराइजेशन का लक्ष्य पूरा किया जाएगा। पर्यावरण संरक्षण और वित्तीय बचत पर दिया जोर डीएम ने कहा-सोलर रूफटॉप संयंत्र पर्यावरण सुरक्षा के साथ-साथ विभागों के लिए वित्तीय बचत होगी। नेट मीटरिंग की सुविधा से अतिरिक्त सौर ऊर्जा को ग्रिड में बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है। कैपेक्स और रेस्को मोड में सोलर प्लांट की स्थापना डीएम ने बताया कि सोलर प्लांट लगाने के लिए दो विकल्प उपलब्ध हैं। कैपेक्स मोड में विभाग अपने बजट से संयंत्र की स्थापना करता है। इसके तहत प्रति किलोवॉट संयंत्र के लिए लगभग 9 वर्ग मीटर छत की आवश्यकता होती है। रेस्को मोड में वित्तीय खर्च का वहन यूपीनेडा द्वारा इम्पैनलड वेंडर करते हैं। विभाग को केवल उत्पादित विद्युत के उपयोग के लिए रियायती दर पर भुगतान करना होगा। रेस्को मोड में 25 किलोवॉट से 200 किलोवॉट तक के लिए 4.90 रुपए प्रति यूनिट और 200 किलोवॉट से 2000 किलोवॉट तक के लिए 4.85 रुपए प्रति यूनिट की दर तय की गई है।

सहारनपुर में सरकारी भवनों पर लगेंगे सोलर रूफटॉप संयंत्र
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सोलर ऊर्जा के प्रति बढ़ता रुझान
सहारनपुर प्रशासन ने सरकारी भवनों पर सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाने की योजना की घोषणा की है। इस योजनाओं के तहत, पहले से ही 49 भवनों पर 758 किलोवॉट का सोलर प्लांट स्थापित किया जा चुका है। यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगा, बल्कि वित्तीय बचत का भी एक महत्वपूर्ण साधन बनेगा।
डीएम का बयान
जिला मजिस्ट्रेट ने इस संबंध में हाल ही में कहा कि सोलर ऊर्जा का उपयोग करने से सरकारी खर्चों में कमी आएगी, जिससे दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सकेगी। उन्होंने पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियों पर भी जोर दिया और बताया कि यह पहल जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगी।
परियोजना के लाभ
सौर ऊर्जा परियोजनाओं से न केवल ऊर्जा सुरक्षा में सुधार होता है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभान्वित करता है। ऊर्जा के इस नए स्रोत का उपयोग करने से सरकार को बिजली के महत्व को समझने और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा। सोलर रूफटॉप परियोजनाएं दीर्घकालिक और वित्तीय दोनों प्रकार से फायदेमंद होंगी।
पर्यावरण संरक्षण में योगदान
सौर ऊर्जा का उपयोग करने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे यह प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा। यह पहल सरकारी भवनों को ऊर्जा की कीमतों में भी राहत प्रदान करेगी। ऐसे कदम केवल विकास की दिशा में नहीं बल्कि एक स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में भी हैं।
निष्कर्ष
सहारनपुर में सोलर रूफटॉप संयंत्रों की स्थापना न केवल एक प्रगतिशील कदम है, बल्कि यह एक प्रेरणादायक मॉडल भी प्रस्तुत करता है। इससे अन्य क्षेत्रों को भी ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर बढ़ने को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
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