सोमनाथ भारती को अस्पताल वाले बयान पर अंतिम नोटिस:12 फरवरी को कोर्ट में पेश नहीं हुए तो होगी कार्रवाई, अमेठी में दर्ज है मामला
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ भारती के खिलाफ अमेठी के एमपी/एमएलए कोर्ट में चल रहे मामले में विशेष मजिस्ट्रेट शुभम वर्मा ने उन्हें आखिरी मौका दिया है। मामला जनवरी 2021 का है, जब भारती ने जगदीशपुर रामलीला मैदान में एक सभा के दौरान कथित तौर पर कहा था कि यहां के अस्पतालों में इंसान के साथ जानवर भी पैदा होते हैं। इस विवादित बयान पर जगदीशपुर के निवासी सोमनाथ साहू ने 10 जनवरी 2021 को स्थानीय कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी। हालांकि भारती ने जमानत ले ली थी और सुप्रीम कोर्ट से मुकदमे की कार्रवाई पर रोक भी लगवा दी थी। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक हटा ली। कोर्ट ने पहले भी आरोप तय करने के लिए भारती को बुलाया था, लेकिन वे दो पेशियों में हाजिर नहीं हुए। बुधवार को उनके वकील ने उपस्थिति से छूट का प्रार्थनापत्र दिया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए 12 फरवरी को पेश होने का आदेश दिया है। यह उनके लिए अंतिम अवसर होगा, जिसमें आरोप तय किए जाएंगे।

सोमनाथ भारती को अस्पताल वाले बयान पर अंतिम नोटिस
सोमनाथ भारती, जो पिछले कुछ समय से विभिन्न विवादों में फंसे हुए हैं, को अस्पताल में उनके बयान पर अंतिम नोटिस जारी किया गया है। न्यायालय ने उन्हें 12 फरवरी को पेश होने का निर्देश दिया है। यदि वे इस तारीख तक अदालत में पेश नहीं होते हैं, तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह मामला अमेठी में दर्ज है और इसे लेकर स्थानीय प्रशासन भी सक्रिय है।
कानूनी प्रक्रिया की जटिलताएँ
सोमनाथ भारती का मामला न्यायालय में विचाराधीन है, और उनके अस्पताल में दिए गए बयान के कारण स्थिति और जटिल हो गई है। वह कई बार विवादों में रहे हैं, और अब उन्हें यह अंतिम अवसर दिया गया है कि वे न्यायालय में अपनी स्थिति स्पष्ट करें। अगर वे 12 फरवरी को पेश नहीं होते हैं, तो मामला और भी गंभीर हो सकता है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
सोमनाथ भारती, जो पहले आम आदमी पार्टी के सदस्य रहे हैं, के खिलाफ चल रहे इस मामले का सामाजिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है। उनके दर्शकों की नजरें इस घटना पर हैं, और इससे उनकी राजनीतिक छवि प्रभावित हो सकती है।
अंतिम नोटिस का महत्व
न्यायालय का यह अंतिम नोटिस यह दर्शाता है कि कानून सबके लिए समान है और कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली हो, कानूनी कार्रवाइयों से बच नहीं सकता। यह सभी के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है।
न्यायालय की प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है और सोमनाथ भारती को अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए।
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