हाथों में तिरंगे संग महोबा में 'नारे तकबीर' की गूंज:हिंदवली ख्वाजा का 813वां उर्स, अजमेर से आई चादर का फूल बरसाकर स्वागत

हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स मुबारक के मौके पर महोबा में चिश्तिया कमेटी की ओर से मंगलवार रात भव्य आयोजन किया गया। इस मौके पर शहर से अजमेर शरीफ दरगाह के लिए चादर भेजी गई। परंपरागत रीति-रिवाजों के तहत कसौटीटोरी इलाके से निकाली गई इस चादर में सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम युवा शामिल हुए। चादर निकासी के दौरान "नारे तकबीर" की गूंज और हाथों में तिरंगा झंडा लिए मुस्लिम युवाओं ने देशभक्ति और धार्मिकता का अनूठा संगम पेश किया। पूरे शहर में चादर का स्वागत फूलों की बारिश से किया गया। देखें 5 तस्वीरें... चिश्तिया कमेटी के प्रमुख मुहम्मद सलीम और सभासद मोनू के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में छठी की फातिहा पढ़ी गई और लंगर का आयोजन हुआ। मुख्य बाजार, ऊदल चौक, आल्हा चौक, तहसील चौराहा होते हुए चादर कसौटीटोरी पहुंची, जहां दीनी कलाम पेश किए गए। सुरक्षा व्यवस्था में शहर कोतवाल अर्जुन सिंह ने पुलिस बल के साथ निगरानी की। चादर को रवाना करने से पहले अकीदतमंदों ने इसे चूमकर अपनी मुरादें मांगी। आज यह चादर अजमेर के लिए रवाना होगी, जहां ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर इसे पेश किया जाएगा। मुहम्मद सलीम ने बताया कि यह आयोजन सालों से जारी है और इसका उद्देश्य ख्वाजा गरीब नवाज के आस्ताने पर हाजरी देकर देश में अमन और इंसानियत की दुआ करना है।

Jan 8, 2025 - 07:35
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हाथों में तिरंगे संग महोबा में 'नारे तकबीर' की गूंज:हिंदवली ख्वाजा का 813वां उर्स, अजमेर से आई चादर का फूल बरसाकर स्वागत
हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स मुबारक के मौके पर महोबा में चिश्तिया कमेटी की ओर से मं

हाथों में तिरंगे संग महोबा में 'नारे तकबीर' की गूंज

महोबा जिले में हिंदवली ख्वाजा का 813वां उर्स धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर स्थानीय लोगों ने हाथों में तिरंगे लेकर अपने देश की एकता और अखंडता का संदेश दिया। 'नारे तकबीर' की गूंज ने इस समारोह को और भी जीवंत बना दिया। खासकर इस साल, जब चादर अजमेर से आई थी, तो सभी ने फूल बरसाकर उसकी अद्भुत वरमाला से स्वागत किया। इस कार्यक्रम ने न केवल धार्मिक एकता का प्रदर्शन किया, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को भी उजागर किया।

उर्स का महत्व और आयोजन

उर्स के अवसर पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें भजन-कीर्तन और सामाजिक एकता पर आधारित गतिविधियाँ शामिल थीं। सभी धर्मों के लोगों ने इस मौके पर एकजुटता का प्रदर्शन किया। भारतीय संस्कृति में उर्स का एक खास स्थान है, जहां सभी लोग आपसी विवादों को भुलाकर मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। इस बार का उर्स अपनी ऐतिहासिक धरोहर को सार्थकता में बदलने का एक संयोग था।

अजमेर से आई चादर का स्वागत

अजमेर से आई चादर के फूलों की बारिश में स्वागत पर सभी ने जोश और उत्साह का प्रदर्शन किया। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और यह इस बात का प्रतीक है कि धार्मिक स्थलों का आपस में एक गहरा संबंध है। इस चादर ने न केवल धार्मिक भावनाओं को बल्कि सामाजिक एकता को भी मजबूती दी।

इस आयोजन ने न केवल महोबा में बल्कि समूचे उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक समागम का एक मॉडल प्रस्तुत किया। लोग तिरंगे के रंग में रंगकर अपने हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दे रहे थे।

समापन समारोह में स्थानीय नेताओं और धार्मिक नेताओं ने भी हिस्सा लिया और समाज में एकता की आवश्यकता पर जोर दिया। उनकी उपस्थिति ने इस उर्स को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इस प्रकार, महोबा में 'नारे तकबीर' की गूंज और चादर का स्वागत इस बार के उर्स को खास बन गया।

शामील होने वाले सभी लोगों ने भाईचारे और एकता की मिसाल कायम की, जिससे यह साफ हो गया कि इस तरह के आयोजन समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

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