हिमाचल के स्कूल में ईद सेलिब्रेशन पर बवाल:बच्चों से कुर्ता-पायजामा मंगाया, हिंदू संगठन भड़के, चेतावनी दी, विरोध के बाद फैसला वापस
हिमाचल की राजधानी शिमला के प्रतिष्ठित ऑकलैंड हाउस स्कूल ने ईद-उल-फितर सेलिब्रेशन के 28 मार्च को जूनियर वर्ग के छात्रों को सफेद कुर्ता-पायजामा और छोटी टोपी पहनकर स्कूल आने को कहा है। स्कूल प्रबंधन की ओर से इसके लिए सभी पेरेंट्स को एक एसएमएस भेजा है। इसमें बच्चों को ड्राई फ्रूट्स और सेवइयां भी साथ लाने को कहा गया है। अब ऑकलैंड स्कूल का यह मैसेज सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। इससे हिंदू संगठन भी भड़क उठे हैं। स्कूल में ईद की सेलिब्रेशन बर्दाश्त नहीं होगी: रुमित इस मामले को लेकर देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने भी चेतावनी दी है। संगठन के अध्यक्ष रुमित सिंह ठाकुर ने एक वीडियो जारी कर कहा कि स्कूल प्रबंधन का इस तरह का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विशेष समुदाय के लोगों द्वारा पहले ही हमारी लड़कियों के साथ लव जिहाद किया जा रहा है। दूसरी आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि स्कूल में कार्यक्रम हुआ तो स्कूल बंद करवा दिया जाएगा और धरना दिया जाएगा। उन्होंने जिला प्रशासन से भी इस कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग ही की है। सोशल मीडिया में भी लोग इस पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। विरोध के बाद फैसला वापस ऑकलैंड हाउस स्कूल में स्पष्ट किया कि जिस तरह स्कूलों में होली, दिवाली और क्रिसमस मनाया जाता था, उसी तरह ईद मनाने का भी फैसला लिया था। हमारे बच्चों और कर्मचारियों की सुरक्षा प्राथमिकता है। लोगों की आपत्ति के बाद स्कूल में इस पर्व को नहीं मनाया जाएगा।

हिमाचल के स्कूल में ईद सेलिब्रेशन पर बवाल
हिमाचल प्रदेश में एक स्कूल में ईद सेलिब्रेशन को लेकर हाल ही में बवाल हुआ है। स्कूल ने बच्चों से कुर्ता-पायजामा पहनने के लिए कहा, जिसका भड़क उठे हिंदू संगठन ने विरोध किया। आस-पास के समुदायों में असमंजस और तनाव व्याप्त हो गया, स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्कूल प्रशासन ने सलाह-मशवरा किया और अंततः अपना फैसला वापस ले लिया।
विवाद का विवरण
जिस स्कूल में यह घटना घटी, वहाँ बच्चों को ईद के मौके पर विशेष ड्रेस कोड का पालन करने के लिए कहा गया था। छात्रों से मांग की गई थी कि वे कुर्ता-पायजामा पहनकर आएं, जिसे कुछ हिंदू संगठनों ने धार्मिक असमानता का प्रतीक मानते हुए तीव्र अस्वीकृति व्यक्त की। इनके द्वारा सख्त चेतावनी भी दी गई कि यदि इस आदेश को वापस नहीं लिया गया, तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे।
स्थानीय समुदाय का प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही। कुछ ने हिंदू संगठनों के रुख का समर्थन किया, जबकि अन्य ने इसे एक नकारात्मक कदम माना। स्कूल प्रशासन ने ये समझने की कोशिश की कि स्थिति को और बिगड़ने से कैसे रोका जाए। इसके परिणामस्वरूप, स्कूल ने ड्रेस कोड के संबंध में अपने निर्णय को वापस ले लिया।
शिक्षा का महत्व
इस विवाद ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं, बल्कि सद्भावना और सहिष्णुता का माहौल बनाना भी है। सबको एक समान अधिकार और अवसर मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय से हों।
इस घटनाक्रम ने शिक्षा के विविधता और साम्प्रदायिक सौहार्द पर जोर देने वाले कदमों की आवश्यकता को उजागर किया। यह महत्वपूर्ण है कि स्कूलों में सभी छात्रों का सम्मान किया जाए और उन्हें अपने धार्मिक उत्सव मनाने की स्वतंत्रता दी जाए।
इस प्रकार की घटनाओं से हमें चिंता नहीं, बल्कि समझौता और सहानुभूति के रास्ते पर चलना चाहिए।
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