हिमाचल में किसानों की जमीन से बेदखली का विरोध:शिमला में 20 मार्च को विधानसभा मार्च का ऐलान, निरमंड में किसान संगठनों ने की बैठक
हिमाचल प्रदेश में किसानों की जमीन से बेदखली और मकानों में तालाबंदी के विरोध में किसान संगठन सक्रिय हो गए हैं। रविवार को शारवी और बशला में हिमाचल किसान सभा और सेब उत्पादक संघ की संयुक्त बैठक हुई। हिमाचल किसान सभा निरमंड ब्लॉक के अध्यक्ष देवकी नंद और सेब उत्पादक संघ के सचिव पूर्ण ठाकुर ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर हो रही बेदखली से गरीब परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। उनके पास पहले से ही बहुत कम जमीन है। कई परिवार अब बेघर होने की कगार पर हैं। इस मुद्दे पर विपक्ष मौन किसान नेताओं ने कहा कि विपक्ष भी इस मुद्दे पर मौन है। 2002 में जब विपक्ष की सरकार थी, तब जमीन के नियमितीकरण के लिए किसानों से आवेदन मांगे गए थे। लेकिन अब वही किसान बेदखल हो रहे हैं। 20 मार्च को शिमला में विधानसभा मार्च का आयोजन किया जाएगा। निरमंड ब्लॉक से सैकड़ों किसान इस मार्च में शामिल होंगे। बैठक में प्रेम, अनुराज, सुरजीत, हेमंत, संजीव समेत कई किसान नेता मौजूद रहे।

हिमाचल में किसानों की जमीन से बेदखली का विरोध: शिमला में 20 मार्च को विधानसभा मार्च का ऐलान
हिमाचल प्रदेश में किसानों की जमीन से बेदखली को लेकर व्यापक विरोध बढ़ता जा रहा है। किसानों ने अपनी समस्याओं के समाधान के लिए शिमला में 20 मार्च को एक बड़ा विधानसभा मार्च आयोजित करने का ऐलान किया है। इस मार्च का उद्देश्य सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाना और अपनी जमीनों के अधिकारों का रक्षित करना है।
किसानों के अधिकारों की रक्षा
हाल ही में निरमंड में किसान संगठनों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें किसानों ने अपनी जमीनों से बेदखली के खिलाफ एकजुट होने का संकल्प लिया। बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें किसानों की भूमि अधिकारों की सुरक्षा, सरकार की नीतियों का विरोध और एकजुटता बढ़ाने की रणनीतियाँ शामिल थीं।
शिमला में होने वाला विधानसभा मार्च
उक्त विधानसभा मार्च में हजारों की संख्या में किसान शामिल होने की उम्मीद है। यह मार्च न केवल किसानों के हक के लिए है, बल्कि यह सरकार को यह संदेश भी देने वाला है कि किसान अपनी भूमि को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। किसानों ने इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न रैलियों और विरोध प्रदर्शनों का आयोजन करने का भी निर्णय लिया है।
किसान संगठनों का एकजुट प्रयास
किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस बैठक में कहा कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे मजबूरन और बड़े उपायों का सहारा लेने के लिए बाध्य होंगे। किसान भाइयों का एकजुट होना अत्यंत आवश्यक है, ताकि उनकी आवाज अधिक प्रभावी हो सके।
यह आंदोलन हिमाचल की राजनीति में केन्द्रीय महत्व रखता है, जहां किसान हमेशा से अपनी कृषि भूमि को लेकर संवेदनशील रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है।
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