हिसार के वैज्ञानिक विकास धामू को मिला पेरिस में पुरस्कार:इंफ्लेक्शन अवॉर्ड-2025 से सम्मानित, जलवायु परिवर्तन पर कर रहे काम
हिसार के गांव सीसवाल के विकास धामू को फ्रांस की राजधानी पेरिस में प्रतिष्ठित 'इंफ्लेक्शन अवॉर्ड-2025' से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स द्वारा स्थापित ब्रेकथ्रो एनर्जी फैलोज और क्वाड्रेचर क्लाइमेट फाउंडेशन के समर्थन से मार्बल द्वारा दिया जाता है। इंफ्लेक्शन दुनिया का पहला ऐसा पुरस्कार कार्यक्रम है, जो जलवायु परिवर्तन से जुड़े समाधानों पर काम कर रहे युवा वैज्ञानिकों को पहचानता है। विकास को दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे एमआईटी, ऑक्सफोर्ड और स्टैनफोर्ड से आए सैकड़ों आवेदकों में से चुना गया है। दो दिवसीय समिट में शामिल होते हैं वैज्ञानिक पुरस्कार के तहत 30 चुनिंदा वैज्ञानिकों को पेरिस में दो दिवसीय समिट में शामिल होने का मौका मिलता है। यह वही शहर है, जहां अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। विकास एशिया की केवल दो यूनिवर्सिटियों से चयनित वैज्ञानिकों में शामिल हैं और आसियान क्षेत्र से एकमात्र विजेता हैं। पिता अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त विकास के पिता छोटूराम धामू सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से सहायक सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। विकास को उनकी वैज्ञानिक उत्कृष्टता और वास्तविक दुनिया में प्रभाव डालने की क्षमता के लिए विशेष रूप से चुना गया है। एशिया की नंबर-1 यूनिवर्सिटी से पीएचडी विकास धामू ने अपना बी.टेक डीसीआरयूएसटी, मुरथल से किया और फिर आईआईटी खड़गपुर से मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। वर्तमान में वे नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) से पीएचडी कर रहे हैं, जो कि एशिया की नंबर-1 और विश्व की आठवीं सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी है (क्यूएस वल्र्ड रैंकिंग के अनुसार)। प्रोफेसर प्रवीन लिंगा के मार्गदर्शन में, विकास धामू का शोध कार्य कार्बन डाइऑक्साइड को क्लाथरेट हाइड्रेट के रूप में संग्रहित करने की तकनीक पर केंद्रित है। क्लाथरेट हाइड्रेट्स बर्फ जैसे यौगिक होते हैं जो तब बनते हैं जब सीओ-2 जैसी गैसें उच्च दबाव और निम्न तापमान में पानी के साथ मिलती हैं। विकास का शोध समुद्र की गहराई में मौजूद प्राकृतिक स्थितियों-जैसे उच्च दबाव और कम तापमान-का उपयोग कर वायुमंडलीय सीओ-2 को ठोस हाइड्रेट्स के रूप में लंबे समय तक सुरक्षित तरीके से संग्रहित करने का तरीका प्रदान करता है। पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ यह पद्धति यह पद्धति न केवल पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ है, बल्कि आर्थिक रूप से भी व्यावहारिक है। इस तकनीक के माध्यम से एक लाख गीगाटन से अधिक सीओ-2 को संग्रहित किया जा सकता है- जो कि 2050 तक वैश्विक कार्बन न्यूट्रलिटी के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अत्यंत सहायक सिद्ध हो सकती है। विकास धाम ने अपनी क्लाथरेट हाइड्रेट तकनीक पर आधारित शोध को लेकर अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में कई लेख प्रकाशित किए हैं।

हिसार के वैज्ञानिक विकास धामू को मिला पेरिस में पुरस्कार
इंफ्लेक्शन अवॉर्ड-2025 से सम्मानित
हरियाणा के हिसार जिले के वैज्ञानिक विकास धामू को हाल ही में पेरिस में आयोजित एक महत्वपूर्ण समारोह में 'इंफ्लेक्शन अवॉर्ड-2025' से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनके द्वारा जलवायु परिवर्तन पर किए गए महत्वपूर्ण कामों की सराहना के रूप में प्रदान किया गया है। विकास धामू वैज्ञानिक जगत में एक नामी विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सुधार के विभिन्न प्रयास किए हैं।
जलवायु परिवर्तन पर शोध
विकास धामू के शोध कार्यों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझना और समाधान खोजने के लिए नई तकनीकियों का विकास शामिल है। उनके काम ने न केवल विज्ञान की दुनिया में नई संभावनाएँ खुली हैं, बल्कि स्थानीय समुदायों में जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई है। उनके पिछले रिसर्च कार्यों में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने और प्रदूषण को कम करने के उपायों पर जोर दिया गया है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान
पेरिस में मिले इस पुरस्कार ने विकास धामू को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई है। यह पुरस्कार उन वैज्ञानिकों को दिया जाता है जो पर्यावरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। धामू का मानना है कि यह पुरस्कार उन्हें और अधिक प्रेरित करेगा ताकि वे अपने कार्यों को और बढ़ा सकें और जलवायु संरक्षण में योगदान कर सकें।
निष्कर्ष
विकास धामू का यह सम्मान उन्हें और उनके जैसे अन्य वैज्ञानिकों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगा। जलवायु परिवर्तन एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक मुद्दा है, और इसे हल करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। उनकी उपलब्धियों ने यह साबित कर दिया है कि विज्ञान के जरिये हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।
यह पुरस्कार और उनके कार्य जलवायु परिवर्तन पर चर्चा और जागरूकता को आगे बढ़ाने का एक साधन बनेंगे। भविष्य में इस प्रकार के और शोध कार्यों की आवश्यकता है, ताकि हम अपनी धरती को सुरक्षित रख सकें।
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