अलीगढ़ सांसद के खिलाफ एक और वाद दाखिल:RTI कार्यकर्ता ने MP/MLA कोर्ट में लगाई याचिका, चुनाव के बाद शिक्षा से संबंधित दस्तावेज नहीं दिए
अलीगढ़ के भाजपा सांसद सतीश गौतम के खिलाफ आरटीआई कार्यकर्ता और भ्रष्टाचार विरोधी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. केशवदेव गौतम ने न्यायालय में एक और वाद दाखिल किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि 2024 लोकसभा चुनाव के बाद सांसद ने अपने शैक्षिक दस्तावेज जमा नहीं कराए। पं. केशवदेव ने MP/MLA कोर्ट में वाद दाखिल किया है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। अब इस मामले में 27 मार्च को सुनवाई की जाएगी। वहीं केशवदेव की ओर से यह अलीगढ़ सांसद के खिलाफ दूसरा वाद है, जो उन्होंने न्यायालय में दाखिल किया है। इससे पहले भी वह एक वाद दाखिल कर चुके हैं, जो न्यायालय में विचाराधीन है। सांसद पर धांधली करने का आरोप पं. केशवदेव का आरोप है कि सांसद ने 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में अपनी शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और स्नातक घोषित की थी। लेकिन चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी उन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता के दस्तावेज चुनाव आयोग को नहीं दिए। उनका कहना है कि घोषणा पत्र में सांसद ने जो भी शैक्षिक योग्यता बताई थी, उन्हें उसके दस्तावेज चुनाव आयोग को उपलब्ध कराने चाहिए थे। जिससे कि उनका घोषणापत्र पूर्ण होता। उन्होंने तात्कालीन चुनाव अधिकारियों पर भी आरोप लगाया है कि धांधली करने में उन्होंने सांसद सतीश गौतम का साथ दिया है और वह अधिकारी भी इस मामले में दोषी हैं। आरटीआई से हुआ है खुलासा वादी पं. केशवदेव ने बताया कि उन्होंने सांसद से जुड़ी जानकारियां हासिल करने के लिए सूचना के अधिकार के तहत चुनाव आयोग से जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब में उन्हें बताया गया है कि सांसद ने अपने घोषणा पत्र में शैक्षिक योग्यता स्नातक बताई है। लेकिन इससे संबंधित कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। 2014 में हाईस्कूल पास से सतीश गौतम अलीगढ़ लोकसभा से हैट्रिक लगाने वाले सांसद सतीश गौतम ने जब 2014 में पहली बार चुनाव लड़ा था तो उन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता महज हाईस्कूल दर्शायी थी। अपने घोषणापत्र में उन्होंने बताया था कि 1988 में उन्होंने मथुरा के एक स्कूल से सेकेंड डिवीजन में हाईस्कूल पास किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सांसद सतीश गौतम की शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल ही थी। लेकिन 2019 में ही उन्होंने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) से इंटरमीडिएट का फार्म भरा और 2020 में वह इंटरमीडिएट हो गए। 2024 के चुनाव में उन्होंने बताया था कि उन्होंने 2023 में स्वामी विवेकानंद शुभारती यूनिवर्सिटी में डिस्टेंस लर्निंग से बीए किया है। एएमयू को लेकर दाखिल किया था वाद सांसद सतीश गौतम के खिलाफ पं. केशवदेव पहले भी वाद दाखिल कर चुके हैं। उन्होंने एएमयू में जिन्ना की तस्वीर को लेकर वाद दाखिल किया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि सांसद ने आमजनों के साथ ठगी की है। उन्होंने अपने पहले चुनाव में घोषणा की थी कि वह एएमयू से जिन्ना की तस्वीर हटवा देंगे। लेकिन चुनाव जीतने के बाद सांसद अपने इस वादे को भूल गए ओर जनता को गुमराह करते रहे। यह मामला न्यायालय में स्वीकार कर लिया गया था। इसके बाद पं. केशवदेव ने 8 महीने पहले न्यायालय के माध्यम से सांसद पर धमकी देने, अपहरण और जान से मारने की धमकी देने का वाद भी दाखिल किया था। यह मामला भी विचाराधीन है।

अलीगढ सांसद के खिलाफ एक और वाद दाखिल
अलीगढ के सांसद के खिलाफ एक नई कानूनी लड़ाई छिड़ गई है। एक RTI कार्यकर्ता ने MP/MLA कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें सांसद पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने चुनाव के बाद शिक्षा से संबंधित दस्तावेज नहीं दिए। यह मामला न केवल चुनावी पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दर्शाता है कि जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही कितनी महत्वपूर्ण होती है।
मामले का विवरण
यह याचिका हाल ही में उस समय दाखिल की गई जब सार्वजनिक सूचना का अधिकार (RTI) मानदंडों के तहत जानकारी की मांग की गई थी। RTI कार्यकर्ता का यह दावा है कि सांसद ने जरूरी दस्तावेज और जानकारी देने में विफलता दिखाई है, जो कि एक जनप्रतिनिधि की प्राथमिक जिम्मेदारी है। ऐसे मामलों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि जनता को अपने नेताओं पर विश्वास रहे।
MP/MLA कोर्ट की भूमिका
MP/MLA कोर्ट में इस मामले की सुनवाई की जाएगी, जो कि इसकी गंभीरता को दर्शाता है। यह अदालत ऐसे मामलों में सुनवाई करती है, जहाँ सांसदों और विधायकों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की जाती हैं। कार्यकर्ता ने कहा है कि उनकी याचिका को संज्ञान में लेना महत्वपूर्ण है, ताकि सांसदों को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया जा सके।
शिक्षा से जुड़े दस्तावेजों का महत्व
शिक्षा से जुड़े दस्तावेज न केवल सांसद के व्यक्तित्व को उजागर करते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि वे अपने चुनावी वादों के प्रति कितने ईमानदार हैं। यदि सांसद जानकारी साझा करने में असफल होते हैं, तो यह उनकी जवाबदेही पर सवाल उठाता है। इस मामले पर और जानकारी के लिए, जनता को जागरूक होना आवश्यक है।
News by indiatwoday.com
निष्कर्ष
अलीगढ सांसद के खिलाफ यह नया मामला एक महत्वपूर्ण संकेत है कि जनता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही है। RTI कार्यकर्ताओं की मेहनत से, एक अपेक्षाकृत अधिक पारदर्शी शासन प्रणाली की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। यह दर्शाता है कि हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं जहाँ सूचना का अधिकार ही जनता की शक्ति है। इसलिए, इस मामले का ध्यानपूर्वक अनुसरण करना आवश्यक है। Keywords: अलीगढ सांसद, RTI कार्यकर्ता, MP/MLA कोर्ट, चुनाव बाद शिक्षा दस्तावेज, सांसद के खिलाफ याचिका, पारदर्शिता, जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही, सूचना का अधिकार, चुनावी वाद, शिक्षा से जुड़े दस्तावेज.
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