असम की खदान में 48 घंटे से फंसे 9 मजदूर:300 फीट नीचे कोयला निकाल रहे थे, अचानक पानी भरा; नेवी के गोताखोर रेस्क्यू कर रहे

असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान में 9 मजदूर पिछले 48 घंटो से फंसे हैं। दरअसल 6 जनवरी को खदान में अचानक पानी भर गया था। मजदूरों के रेस्क्यू के लिए सेना को लगाया गया है। मंगलवार रात ऑपरेशन रोक दिया गया था। सुबह फिर से रेस्क्यू शुरू हो गया है। NDRF और SDRF की टीम भी मदद कर रही है। भारतीय सेना और असम राइफल्स के गोताखोर और मेडिकल टीम के साथ इंजीनियर्स टास्क फोर्स रेस्क्यू में शामिल हो गई है। कुछ रिपोर्ट्स में 3 मजदूरों के शव दिखने की बात कही गई। लेकिन जब भास्कर ने एसपी मयंक कुमार झा से बात की तो उन्होंने कहा कि कोई शव नहीं दिखाई दिया है। पुलिस ने खदान के मालिक पुनीश नुनिसा को गिरफ्तार कर लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये रैट माइनर्स की खदान है। इसमें 100 फीट तक पानी भर गया है, जिसे दो मोटर की मदद से निकाला जा रहा है। रेस्क्यू ऑपरेशन की 5 तस्वीरें... प्रत्यक्षदर्शी बोले- अचानक पानी आया, निकलने का मौका नहीं मिला दीमा हसाओ जिले के एसपी मयंक झा ने बताया कि खदान में कई मजदूरों के फंसे होने की आशंका है। प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के मुताबिक अचानक पानी आया, जिसके कारण मजदूर खदान से बाहर नहीं निकल पाए। इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम, लोकल अधिकारियों और माइनिंग एक्सपर्ट की टीमों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। खदान में फंसे मजदूरों का पता लगाया जा रहा है। उमरंगसो कोयला खदान में फंसे मजदूरों के नाम 2018 में भी मारे गए थे 15 रैट होल माइनर्स ऐसा ही एक हादसा मेघालय की ईस्ट जयंतिया हिल्स में 2018 में हुआ था। जहां 15 मजदूर कोयला खदान में फंसकर मारे गए थे। 13 दिसंबर को इस खदान में 20 खनिक 370 फीट गहरी खदान में घुसे थे, जिसमें से 5 मजदूर पानी भरने से पहले बाहर निकल आए थे। 15 मजदूरों को बचाया नहीं जा सका था। रैट होल माइनिंग क्या है? रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है। हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है। रैट होल माइनिंग नाम की प्रोसेस का इस्तेमाल आम तौर पर कोयले की माइनिंग में होता रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व में रैट होल माइनिंग होती है, लेकिन रैट होल माइनिंग काफी खतरनाक काम है, इसलिए इसे कई बार बैन भी किया जा चुका है। रैट माइनिंग पर 2014 में NGT ने लगाया था बैन रैट माइनिंग कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों ने ईजाद की थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, यानी NGT ने 2014 में इस पर बैन लगा दिया था। एक्सपर्ट्स ने इसे अवैज्ञानिक तरीका बताया था। हालांकि विशेष परिस्थितियों, यानी रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट माइनिंग पर प्रतिबंध नहीं है। ये खबर भी पढ़ें... भुज में बोरवेल में गिरी 18 वर्षीय लड़की की मौत: 500 फीट की गहराई में फंसी हुई थी​​​​​​​ गुजरात में भुज तालुका के कंढेराई गांव में सोमवार सुबह 540 फीट गहरे बोरवेल में गिरी 18 वर्षीय लड़की इंदिरा को मंगलवार को बाहर निकाल लिया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।​​​​​​​ पढ़ें पूरी खबर...

Jan 8, 2025 - 09:05
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असम की खदान में 48 घंटे से फंसे 9 मजदूर:300 फीट नीचे कोयला निकाल रहे थे, अचानक पानी भरा; नेवी के गोताखोर रेस्क्यू कर रहे
असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान में 9 मजदूर पिछले 48 घंटो से फंसे हैं। दरअ

असम की खदान में 48 घंटे से फंसे 9 मजदूर

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घटना का विवरण

असम की एक कोयला खदान में 48 घंटे से 9 मजदूर फंसे हुए हैं। ये मजदूर 300 फीट की गहराई पर कोयला निकालने का कार्य कर रहे थे, तभी अचानक खदान में पानी भर गया। इस आपात स्थिति के चलते मजदूरों ने अपने जीवन की सुरक्षा के लिए प्रयास शुरू किए, लेकिन वे फंस गए।

रेस्क्यू ऑपरेशन

भारतीय नौसेना के गोताखोर इस घटना की जटिलता को समझते हुए तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गए हैं। गोताखोरों के अनुभव और जमीनी स्तर की टीमों की मदद से प्रयास किया जा रहा है कि मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। नेवी के गोताखोरों के अलावा स्थानीय प्रशासन भी इस ऑपरेशन में सहयोग कर रहा है।

स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया

स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को गंभीर बताते हुए त्वरित कार्यवाही की सूचना दी है। उन्होंने बताया है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में जो भी संसाधन आवश्यक हैं, वे उपलब्ध किए जाएंगे। इस संकट के बीच, परिवार के सदस्यों ने राहत सामग्री और सहायता की मांग की है।

सुरक्षा उपाय और भविष्य की योजना

इस घटना ने खदानों में सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और अधिक सख्त सुरक्षा नियमों की आवश्यकता है। खनन कंपनियों और सरकार को मिलकर इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

असम की खदान में फंसे मजदूरों की स्थिति वर्तमान में चिंताजनक है। जैसे-जैसे रेस्क्यू ऑपरेशन आगे बढ़ रहा है, सभी की नज़रें इन मजदूरों की भलाई पर टिकी हैं। हम आशा करते हैं कि सभी मजदूर जल्द ही सुरक्षित रूप से बाहर आ सकें।

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