ईरान के सुप्रीम कोर्ट में गोलीबारी, 2 जजों की हत्या:ज्यादा फांसी की सजा सुनाने के चलते ये हैंगमैन कहलाते थे; हमलावर ने सुसाइड किया
तेहरान में शनिवार को ईरान की सुप्रीम कोर्ट में एक शख्स ने गोलीबारी की। इस हमले में 2 जजों की मौत हो गई। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के प्रवक्ता असगर जहांगीर ने दावा किया है कि जजों को उनके कमरों में घुसकर मारा गया है। दोनों जज नेशनल सिक्योरिटी, आतंकवाद, जासूसी के मामलों की सुनवाई कर रहे थे। दोनों पर गोली चलाने के बाद हमलावार ने खुद को भी मार दिया। पूरी घटना में एक और जज भी घायल हुआ है। इसके अलावा एक बॉडीगार्ड भी घायल हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक यह हमला स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर हुआ। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों को निशाना बनाया गया था। मारे गए जजों की पहचान अली रजिनी और मोघीसेह के तौर पर हुई है, ये ईरानी न्यायपालिका के वरिष्ठ जजों में शामिल थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्यादा फांसी की सजा सुनाए जाने के चलते दोनों हैंगमैन के कहा जाता था। वहीं, हमलावर जस्टिस डिपोर्टमेंट का ही कर्मचारी था। ईरान इंटरनेशनल के मुताबिक तेहरान की कोर्ट हाउस से कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अधिकारियों ने कहा है कि हमले के पीछे के मकसद का पता लगाने के लिए जांच शुरू हो गई है। रजिनी की 1988 में भी हत्या की कोशिश की गई थी। उस दौरान उनके वाहन में मैग्नेटिक बम लगाया गया था। खबर अपडेट हो रही है...

ईरान के सुप्रीम कोर्ट में गोलीबारी, 2 जजों की हत्या
हाल ही में ईरान के सुप्रीम कोर्ट के परिसर में एक भयावह गोलीबारी की घटना हुई है, जिसमें दो जजों की हत्या कर दी गई। इस हमले का कारण बताया जा रहा है कि हाल के वर्षों में न्यायिक प्रणाली द्वारा अधिकतर फांसी की सजा सुनाए जाने के कारण कुछ व्यक्ति इस घटना को अंजाम देने के लिए उकसाए गए। ये जज अधिकतर गंभीर अपराधों के मामलों में कठोर सजा सुनाने के लिए जाने जाते थे और स्थानीय रूप से इन्हें 'हैंगमैन' के नाम से जाना जाता था।
हमलावर का आत्मदाह
खबरों के अनुसार, हमलावर ने अपने हमले के बाद खुद को भी गोली मार ली। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह एक सुनियोजित और दुखद कार्रवाई थी, जो न्याय व्यवस्था के प्रति असंतोष और आक्रोश का परिणाम हो सकती है। जजों की यह हत्या ईरान में न्यायपालिका के कामकाज पर सवाल खड़े करती है और यह एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
घटना का असर
ईरान के न्यायालयों में इस प्रकार की हिंसा ने सवाल उठाए हैं कि क्या इस देश की न्याय प्रणाली सुरक्षित है। जजों की सुरक्षा को लेकर उठ रहे चिंताओं ने सरकार के लिए नई चुनौतियाँ पैदा की हैं। इस घटना से पहले भी न्यायालयों में हिंसक घटनाएँ घटित हो चुकी हैं, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर से इन मुद्दों को उजागर किया है।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया
घटना के बाद से ही लोगों में आक्रोश और चिंताएँ बढ़ गई हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस मुद्दे पर व्यापक चर्चाएँ हो रही हैं। स्थानीय नागरिक और मानवाधिकार संगठन इस मामले पर अधिक सुरक्षा इंतज़ामों की मांग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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