ऑस्कर विजेता फिलिस्तीनी डायरेक्टर को इजराइल ने बंदी बनाया:पहले मारपीट की, फिर एंबुलेंस से अगवा किया; गाजा में जंग पर डॉक्यूमेंट्री बनाई थी
ऑस्कर अवॉर्ड जीतने वाले फिलिस्तीनी फिल्म डायरेक्टर हमदन बल्लाल को इजराइली सेना ने बंधक बना लिया है। उनके को-डायरेक्टर युवल अब्राहम ने X पर इसकी जानकारी दी है। युवल ने बताया कि कुछ इजराइल लोगों ने वेस्ट बैंक इलाके में हमदन को बुरी तरह मारा। उन्हें सिर और पेट में गहरी चोटें आईं। युवल ने कहा कि जब हमदन ने खुद को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस बुलाई तो इजराइली सैनिकों ने एंबुलेंस को रोक दिया और हमदन को अगवा कर लिया। इसके बाद से हमदन की कोई जानकारी नहीं है। हमदन और युवल ने मिलकर ‘नो अदर लैंड’ फिल्म बनाई है, जिसने इस साल ऑस्कर में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री का अवॉर्ड जीता था। ये फिल्म इजराइल और गाजा के बीच चल रहे युद्ध के दौरान दोनों तरफ के दो दोस्तों की कहानी है। इजराइली लोगों ने हमदन के गांव पर हमला किया सेंटर फॉर जूइश नॉनवॉयलेंस नाम की एक एक्टिविस्ट संस्था ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें दिख रहा है कि रात के समय एक मैदान में मास्क पहने हुए कुछ लोग एक कार पर पत्थर फेंक रहे हैं। इस दौरान वहां मौजूद संस्था के सदस्य अपनी कार के अंदर छुपने की कोशिश करते हैं, और अपने बाकी साथियों को आवाज लगाकर कहते हैं- कार के अंदर आओ। इस समूह के सदस्यों ने बताया कि पत्थर फेंके जाने से कार की खिड़की टूट गई। हमदन को पुलिस स्टेशन में रखा जा रहा युवल अब्राहम ने बताया कि हमदन को इजराइली सेटलमेंट के एक पुलिस स्टेशन में रखा गया है। किसी को उनसे मिलने या बात करने की इजाजत नहीं दी गई है। यहां तक कि उनके वकील भी उनसे बात नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में हमें नहीं पता कि वे इस समय कैसे हैं। क्या है 'नो अदर लैंड' डॉक्यूमेंट्री की कहानी? 'नो अदर लैंड' एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म है, जिसे दो इजरायली और फिलिस्तीनी डायरेक्टर्स ने मिलकर बनाया है। यह फिल्म फिलिस्तीनी कार्यकर्ताबासेल अद्र की कहानी दिखाती है, जिनकी जन्मभूमि मासाफेर यट्टा को इजराइली सेना नष्ट्र कर रही हैं। वे इन घटनाओं को रिकॉर्ड करने के लिए गिरफ्तारी और हिंसा का जोखिम उठाते हैं। साथ ही यह फिल्म जंग के दौरान बासेल अद्र और इसराइली पत्रकार युवल के बीच पनपी दोस्ती और संघर्ष को भी दिखाती है। इस फिल्म ने कई इंटरनेशनल अवॉर्ड जीते हैं। इसमें सबसे पहला अवॉर्ड 2024 में बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में मिला था। इसके बाद इसे इस साल 2025 में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री का अवॉर्ड मिला था। यह फिल्म विवादों में भी रही है। इजराइल और अन्य देशों में कुछ लोगों ने इस पर नाराजगी जताई है। अमेरिका के मियामी बीच में एक सिनेमा हॉल ने इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग हुई थी, लेकिन वहां के एडमिनिस्ट्रेशन ने थिएटर की लीज खत्म करने का प्रस्ताव रखा था।

ऑस्कर विजेता फिलिस्तीनी डायरेक्टर का इजराइल द्वारा अपहरण
फिलिस्तीनी ओस्कर विजेता डायरेक्टर का हाल ही में इजराइल द्वारा बंदी बनाया जाना मीडिया की सुर्खियों में है। यह घटनाक्रम उस समय सामने आया जब उन्हें गाजा में एक डॉक्यूमेंट्री के लिए काम करते हुए पकड़ लिया गया। इस खबर ने न केवल फिल्म उद्योग में हलचल मचा दी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का ध्यान भी आकर्षित किया है।
घटना का विवरण
प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, इजरायली सैनिकों ने डायरेक्टर को पहले बेरहमी से पीटा और फिर उन्हें एंबुलेंस के माध्यम से हिरासत में लिया। यह घटना गाजा की युद्ध स्थितियों के बीच हुई, जहाँ वे एक महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्री पर काम कर रहे थे। डॉक्यूमेंट्री का उद्देश्य युद्ध के दौरान नागरिकों पर पड़ने वाले प्रभावों को दर्शाना था।
फिल्म उद्योग में प्रतिक्रिया
इस घटना ने फिल्म उद्योग के कई हस्तियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीच नाराजगी को जन्म दिया है। लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी आवाज उठाई है और इजराइल के इस व्यवहार की निंदा की है। कई फिल्म निर्माताओं ने सुरक्षा और फिल्म बनाने की स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
यह घटना न केवल फिलिस्तीनी बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई है। कई देशों ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है और इजराइल से अपील की है कि वे इस प्रकार की कार्यवाहियों से बचें। मानवाधिकार संगठन भी इस मामले की गंभीरता का उल्लेख कर रहे हैं।
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प्रमुख निष्कर्ष
यह घटना वैश्विक स्तर पर फ़िल्म निर्माण, मानवाधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर व्यापक चर्चा को प्रेरित करती है। यह दर्शाता है कि कैसे कला और सिनेमा राजनीतिक तनाव के बीच प्रभावित हो सकते हैं।
समापन विचार
डॉक्यूमेंट्री बनाना एक ऐसा माध्यम है जो सच्चाई को उजागर करता है और विभिन्न विमर्शों को जन्म देता है। ऐसे समय में जब सैन्य संघर्ष जारी हैं, यह बेहद आवश्यक है कि रचनाकारों को उनकी आवाज उठाने का मौका मिले। कीवर्ड्स: ऑस्कर विजेता डायरेक्टर, इजराइल बंदी, फिलिस्तीनी फिल्म, डॉक्यूमेंट्री गाजा युद्ध, मानवाधिकार, इजराइली सैनिकों द्वारा अपहरण, फिल्म उद्योग प्रतिक्रिया, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों, कला और सिनेमा, युद्ध के प्रभाव.
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