एडलवाइज म्यूचुअल फंड CEO बोलीं-हफ्ते में 100 घंटे काम किया:90% समय दुखी रहती थी; 90 घंटे काम करने के बयान पर दी प्रतिक्रिया
एडलवाइज म्यूचुअल फंड की MD और CEO राधिका गुप्ता ने हफ्ते में 100 घंटे काम करने का अपना एक्सपीरियंस शेयर किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा- मैंने अपनी पहली नौकरी के दौरान अपने पहले प्रोजेक्ट पर लगातार चार महीनों तक हर हफ्ते 100 घंटे काम किया। एक दिन की छुट्टी के साथ हर दिन 18 घंटे काम किया। तब रविवार की बजाय सोमवार को छुट्टी मिलती थी क्योंकि मुझे रविवार को क्लाइंट साइट पर होना था। उन्होंने बताया तब मैं 90% समय दुखी रहती थी। मैं ऑफिस के बाथरूम में जाकर रोती थी। रात में 2 बजे रूम सर्विस से चॉकलेट केक खाया और 2 बार हॉस्पिटल में भर्ती हुई। खास बात यह है कि भले ही मैं 100 घंटे काम पर थी, लेकिन मैं प्रोडक्टिव नहीं थी। यही कहानी मेरे साथ ग्रेजुएट होने वाले कई क्लासमेट्स के लिए भी सही है, जो बैंकिंग और कंसल्टेंसी सहित अन्य काम कर रहे थे। दरअसल, लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन SN सुब्रह्मण्यन ने अपने एम्प्लॉइज के साथ ऑनलाइन बातचीत के दौरान एक हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि अगर संभव हुआ तो कंपनी आपसे रविवार को भी काम करवाएगी। इसी के बाद राधिका गुप्ता ने अपने एक्सपीरियंस शेयर किए। हर कोई CEO और फाउंडर नहीं बनना चाहता राधिका गुप्ता ने कहा कि कड़ी मेहनत एक ऑप्शन है, एंबीशन एक चॉइस है और इसके कई परिणाम होते हैं। हर किसी को CEO या फाउंडर बनने की ख्वाहिश नहीं होती है। मैं ऐसे कई लोगों को जानती हूं जिन्होंने अपने फील्ड में कम डीमांड वाले करियर चुना है क्योंकि काम से छुट्टी उनके लिए मायने रखती है। कड़ी मेहनत काम किए गए घंटों के बराबर नहीं होती राधिका गुप्ता ने कहा - मैं एक दोस्त को जानती हूं, जिसने अपने बॉस को यह विश्वास दिलाने के लिए एक्सेल मॉडल के साथ एक स्क्रीनसेवर बनाया कि वे ऑफिस में हैं। कड़ी मेहनत काम किए गए घंटों के बराबर नहीं होती। कई विकसित देश 8 से 4 बजे तक काम करते हैं, लेकिन सुनिश्चित करते हैं कि वह उस समय प्रोडक्टिव हों। उन्होंने कहा कि टाइम पर आए और काम में अपना बेस्ट दें। केवल जरूरी मीटिंग करें और इफेक्टिव होने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें। रविवार को भी काम करवाना चाहते हैं सुब्रह्मण्यन SN सुब्रह्मण्यन से जब LT की इंटरनल मीटिंग में पूछा गया कि बिलियन डॉलर वाली ये कंपनी अपने एम्प्लॉइज को शनिवार को भी क्यों बुलाती है। जवाब में उन्होंने कहा, 'मुझे खेद है कि मैं आपको रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं। अगर मैं आपको रविवार को भी काम करवा पाऊं, तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को काम करता हूं।' सुब्रह्मण्यन के इस बयान के बाद वर्क-लाइफ बैलेंस पर चल रही बहस को बढ़ावा मिली। इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति के हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सुझाव के बाद शुरू हुई थी। सुब्रह्मण्यन ने कर्मचारियों से पूछा, आप पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं सुब्रह्मण्यन ने वीकेंड के दौरान घर पर एम्प्लॉइज के समय बिताने की बात पर पूछा आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं? आपकी पत्नी आपको कितनी देर तक निहार सकती है? चलो, ऑफिस जाओ और काम शुरू करो। इस बात के सपोर्ट में सुब्रमण्यन ने एक चीन के व्यक्ति से हुई बातचीत भी शेयर की। उन्होंने कहा, 'उस व्यक्ति ने दावा किया कि चीन, अमेरिका से आगे निकल सकता है क्योंकि चीनी एम्प्लॉई हफ्ते में 90 घंटे काम करते हैं, जबकि, अमेरिका में 50 घंटे काम करते हैं।' सुब्रह्मण्यन के बयान वाली लार्सन एंड टुब्रो की इंटरनल मीटिंग की वीडियो रेडिट पर शेयर किया गया है। कई यूजर्स उनके बयान पर असहमति व्यक्त की है। यह इंटरनल मीटिंग का वीडियो कब का है, इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। अडाणी बोले थे - 8 घंटे घर रहने पर भी बीबी भाग जाएगी इससे पहले हाल ही में वर्क-लाइफ बैलेंस पर गौतम अडाणी ने कहा था कि 'आपका वर्क-लाइफ बैलेंस मेरे ऊपर और मेरा आपके ऊपर थोपा नहीं जाना चाहिए। मान लीजिए, कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ चार घंटे बिताता है और उसमें आनंद पाता है, या कोई अन्य व्यक्ति आठ घंटे बिताता है और उसमें आनंद लेता है, तो यह उसका बैलेंस है। इसके बावजूद यदि आप आठ घंटे बिताते हैं, तो बीवी भाग जाएगी।' अडाणी ने कहा था कि संतुलन तब महसूस होता है जब कोई व्यक्ति वह काम करता है जो उसे पसंद है। जब कोई व्यक्ति यह स्वीकार कर लेता है कि उसे कभी ना कभी जाना है, तो उसका जीवन आसान हो जाता है। पूरी खबर पढ़ें नारायण मूर्ति ने सबसे पहले हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी सबसे पहले इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि 'इंफोसिस में मैंने कहा था, हम दुनिया के टॉप कंपनियों के साथ अपनी तुलना करेंगे। मैं तो आपको बता सकता हूं कि हम भारतीयों के पास करने के लिए बहुत कुछ है। हमें अपने एस्पिरेशन ऊंची रखनी होंगी क्योंकि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिलता है। इसका मतलब है कि 80 करोड़ भारतीय गरीबी में हैं। अगर हम कड़ी मेहनत करना नहीं चाहते, तो कौन करेगा कड़ी मेहनत?' हाल ही में नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम करने की बात दोहराई भी थी। उन्होंने कहा- युवाओं को यह समझना होगा कि हमें कड़ी मेहनत करनी होगी और भारत को नंबर एक बनाने की दिशा में काम करना होगा। 1986 में 6 दिन वर्किंग वीक से 5 दिन के बदलाव से निराश थे नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम करने वाले अपने विवादास्पद बयान का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति के लिए कड़ी मेहनत बहुत जरूरी है। CNBC ग्लोबल लीडरशिप समिट में मूर्ति ने कहा - मुझे खेद है, मैंने अपना दृष्टिकोण नहीं बदला है। मैं इसे अपने साथ कब्र तक ले जाऊंगा। उन्होंने कहा कि वह 1986 में भारत के 6 दिन वर्किंग वीक से 5 दिन वीक के बदलाव से निराश थे। भारत के विकास के लिए त्याग की आवश्यकता है, न कि आराम की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हफ्ते में 100 घंटे काम करने की ओर ध्या

एडलवाइज म्यूचुअल फंड CEO बोलीं-हफ्ते में 100 घंटे काम किया: 90% समय दुखी रहती थी
एडलवाइज म्यूचुअल फंड की CEO ने हाल ही में एक बयान में कहा कि उन्होंने हफ्ते में 100 घंटे काम किया और इस दौरान 90% समय दुखी रहती थीं। उनके इस बयान ने वित्तीय क्षेत्र में एक नई चर्चा शुरू कर दी है। क्या वास्तव में इतनी लंबी कार्य अवधि से मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है? यह सवाल आजकल काफी महत्वपूर्ण हो गया है।
काम और मानसिक स्वास्थ्य
सीईओ का यह बयान एक सशक्त संदेश देता है कि काम के दवाब को कैसे संभाला जाए। लंबे समय तक काम करना कभी-कभी सफलता की चाबी मान लिया जाता है, लेकिन क्या यह वास्तव में सच है? अनेक अध्ययन बताते हैं कि अत्यधिक काम के घंटों के कारण व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर असर पड़ सकता है।
सीईओ की प्रतिक्रिया
एडलवाइज की CEO ने काम के घंटों के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर गहरे विचार किए हैं। उनका लक्ष्य न केवल वित्तीय सफलता प्राप्त करना है, बल्कि कर्मचारियों के लिए एक समर्थन प्रणाली बनाना भी है ताकि वे अपने काम के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बना सकें।
इंडस्ट्री में बदलाव की आवश्यकता
वर्तमान वित्तीय क्षेत्र की चुनौतियों को देखते हुए, यह आवश्यक है कि कंपनियाँ अपने कार्य संस्कृति में बदलाव करें। लंबे काम के घंटे और तनाव के माहौल को खत्म करके, वे अपने कर्मचारियों की भलाई पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। यह न केवल कर्मचारियों के लिए बल्कि पूरे उद्योग के लिए फायदेमंद होगा।
निष्कर्षतः, एडलवाइज म्यूचुअल फंड CEO का बयान एक महत्वपूर्ण संवाद को जन्म देता है कि किस प्रकार हम काम और जीवन के बीच संतुलन बना सकते हैं। ऐसे मुद्दों पर खुली चर्चा करने से, हम एक स्वस्थ कार्य संस्कृति की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
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