ओला का घाटा दोगुना हुआ, ₹870 करोड़ पहुंचा:चौथी तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू 62% घटा; शेयर 6 महीने में 39% गिरा

भारत की तीसरी बड़ी इलेक्ट्रिक टू व्हीलर मैन्युफैक्चरर ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में 870 करोड़ रुपए का शुद्ध नुकसान (कॉन्सोलिडेटेड नेट लॉस) हुआ है। एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी को 416 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। सालाना आधार पर कंपनी का लॉस 50% बढ़ा है। कंपनी ने आज (29 मई, गुरुवार) को तीसरी तिमाही के नतीजे जारी किए हैं। ऑपरेशन से कंपनी के रेवेन्यू की बात करें तो जनवरी मार्च तिमाही में यह 611 करोड़ रुपए रहा है। सालाना आधार पर घाटा दो गुना हुआ है। एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी ने 1,598 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया था। वस्तुओं और सेवाओं को बेचने से मिली राशि को रेवेन्यू या राजस्व कहा जाता है। व्हीकल्स की बिक्री में तीसरे नंबर पर पहुंची ओला इसके अलावा ओला इलेक्ट्रिक बिक्री के मामले में तीसरे नंबर पहुंच गई है। वाहन पोर्टल के अनुसार मई महीने में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 20% रह गई है।बीते साल मई के मुकाबले व्हीकल्स की बिक्री में 60% की गिरावट आई है। 2025 के मई महीने में सिर्फ 15,221 वाहन रजिस्टर हुए, जबकि पिछले साल मई में यह आंकड़ा 37,388 था। वहीं पुराने प्लेयर TVS मोटर 25% मार्केट शेयर के साथ पहले नंबर पर है। बजाज ऑटो 22.6% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है। एथर एनर्जी का मार्केट शेयर अप्रैल के 14.9% से घटकर मई में 13.1% रह गया। ओला इलेक्ट्रिक का शेयर इस साल 38% गिरा गुरुवार को ओला इलेक्ट्रिक का शेयर 0.5% की तेजी के साथ ₹53.20 रुपए पर बंद हुआ। एक महीने में ओला का शेयर 6% से ज्यादा चढ़ा है। वहीं पिछले एक साल में शेयर 41% से ज्यादा टूटा है। ओला का मार्केट कैपिटल 22.20 हजार करोड़ रुपए है। क्या होता है स्टैंडअलोन और कॉन्सोलिडेटेड? कंपनियों के रिजल्ट दो भागों में आते हैं- स्टैंडअलोन और कॉन्सोलिडेटेड। स्टैंडअलोन में केवल एक यूनिट का वित्तीय प्रदर्शन दिखाया जाता है। जबकि, कॉन्सोलिडेटेड या समेकित फाइनेंशियल रिपोर्ट में पूरी कंपनी की रिपोर्ट दी जाती है। 2017 में ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की हुई थी स्थापना बेंगलुरु स्थित ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की स्थापना 2017 में हुई थी। कंपनी मुख्य रूप से ओला फ्यूचर फैक्ट्री में इलेक्ट्रिक व्हीकल, बैटरी पैक, मोटर्स और व्हीकल फ्रेम बनाती है।

May 30, 2025 - 00:27
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ओला का घाटा दोगुना हुआ, ₹870 करोड़ पहुंचा:चौथी तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू 62% घटा; शेयर 6 महीने में 39% गिरा
भारत की तीसरी बड़ी इलेक्ट्रिक टू व्हीलर मैन्युफैक्चरर ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को वित्त वर्ष 2024-25

ओला का घाटा दोगुना हुआ, ₹870 करोड़ पहुंचा: चौथी तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू 62% घटा; शेयर 6 महीने में 39% गिरा

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लेखक: प्रिया शर्मा, नेहा वर्मा, संगीता यादव | टीम IndiaTwoday

ओला की तिमाही रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े

भारत की तीसरी बड़ी इलेक्ट्रिक टू व्हीलर मैन्युफैक्चरर, ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में ₹870 करोड़ का शुद्ध नुकसान दर्ज किया है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की समान तिमाही में हुए 416 करोड़ के घाटे की तुलना में दोगुना है। कंपनी ने अपने परिणामों को 29 मई को जारी किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि ओला की वित्तीय स्थिति गंभीर गिरावट की ओर अग्रसर है।

कंपनी का रेवेन्यू घटा

ओला का ऑपरेशनल रेवेन्यू इस तिमाही में 611 करोड़ रुपए रहा, जो कि पिछले वर्ष की समान तिमाही में 1,598 करोड़ रुपए था। इस प्रकार, कंपनी का रेवेन्यू 62% घटा है। ऐसी स्थिति में, विशेषज्ञों का मानना है कि ओला को अपने व्यावसायिक मॉडल पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है।

विभिन्न बाजारों में गिरावट

ओला इलेक्ट्रिक की वाहन बिक्री में भी भारी गिरावट आई है। कंपनी ने मई महीने में केवल 15,221 वाहन बेचे, जो पिछले वर्ष की इसी महीने की तुलना में 60% की कमी दर्शाता है। बाजार रिपोर्टों के अनुसार, ओला की बाजार हिस्सेदारी मई में 20% तक रही, जबकि अन्य बड़े प्लेयर जैसे TVS मोटर और बजाज ऑटो ने क्रमशः 25% और 22.6% हिस्सेदारी हासिल की है।

शेयर में गिरावट

ओला इलेक्ट्रिक का शेयर इस वर्ष अब तक 38% गिर चुका है। गुरुवार को शेयर का मूल्य ₹53.20 पर बंद हुआ, जिसमें 0.5% की मामूली वृद्धि देखने को मिली। हालांकि, एक साल के भीतर यह शेयर 41% से अधिक टूट चुका है, जो कंपनी की वित्तीय स्थिति को और भी विकट बनाता है।

क्या होता है स्टैंडअलोन और कॉन्सोलिडेटेड?

कंपनियों के फाइनेंशियल रिजल्ट्स आमतौर पर स्टैंडअलोन और कॉन्सोलिडेटेड में विभाजित होते हैं। स्टैंडअलोन में केवल एक यूनिट का प्रदर्शन दर्शाया जाता है, जबकि कॉन्सोलिडेटेड रिपोर्ट में पूरी कंपनी की बेहतर स्थिति बताई जाती है। ओला की शुरुआत 2017 में बेंगलुरु में हुई थी।

निष्कर्ष

ओला इलेक्ट्रिक की चौथी तिमाही की रिपोर्ट इस बात का संकेत है कि कंपनी को अपने कार्य प्रणाली में सुधार लाने और मार्केटिंग रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए नई तकनीकों एवं उत्पाद विकास को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। यदि ओला अपनी रणनीतियों को सही तरीके से लागू नहीं करती है, तो आने वाले समय में इसे और भी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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