पाकिस्तानी मंत्रियों के साथ पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड दिखा:लश्कर का को-फाउंडर भी था; फूड मिनिस्टर बोले- हाफिज सईद जैसे लोग पाकिस्तानियों के प्रतिनिधि
पाकिस्तान में एक कार्यक्रम के दौरान लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों और कई नेताओं को एक ही मंच पर देखा गया। इस कार्यक्रम में पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह कसूरी, लश्कर का को-फाउंडर आमिर हमजा और हाफिज सईद का बेटा तल्हा सईद भी मौजूद थे। इन आतंकियों के साथ मंच साझा करने वालों में पाकिस्तान के फूड मिनिस्टर मलिक राशिद अहमद खान और पंजाब विधानसभा के स्पीकर मलिक मुहम्मद अहमद खान शामिल थे। ये सभी 28 मई को न्यूक्लियर टेस्ट की 27वीं सालगिरह पर पंजाब में आयोजित कार्यक्रम में थे। इस दौरान इन नेताओं और आतंकियों ने भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए। मंत्री ने आतंकियों को देश की पहचान बताया सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि पाकिस्तानी नेताओं ने इन आतंकियों को देश की पहचान बताया और उनकी जमकर तारीफ की। फूड मिनिस्टर मलिक राशिद ने कहा- 'हाफिज सईद और सैफुल्लाह कसूरी जैसे लोग 24 करोड़ पाकिस्तानियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।' उन्होंने यह भी ऐलान किया कि शहबाज सरकार भारत की एयर स्ट्राइक में मारे गए लश्कर कमांडर मुदासिर के भाई को नौकरी देगी।

पाकिस्तानी मंत्रियों के साथ पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड दिखा: लश्कर का को-फाउंडर भी था; फूड मिनिस्टर बोले- हाफिज सईद जैसे लोग पाकिस्तानियों के प्रतिनिधि
Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - IndiaTwoday
पाकिस्तान के पंजाब में हाल ही में एक कार्यक्रम में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों की उपस्थिति से सियासी विवाद खड़ा हो गया है। इस कार्यक्रम में पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह कसूरी, लश्कर का को-फाउंडर आमिर हमजा, और हाफिज सईद का बेटा तल्हा सईद शामिल हुए। विकट हालात में, पाकिस्तान के फूड मंत्री मलिक राशिद अहमद खान ने इन आतंकियों को 'देश की पहचान' बताते हुए एक विवादास्पद बयान दिया।
कार्यक्रम का विवरण
28 मई को आयोजित इस समारोह का उद्देश्य न्यूक्लियर टेस्ट की 27वीं वर्षगाँठ मनाना था। इसी दौरान, नेताओं और आतंकियों ने भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए। यह पहली बार नहीं है जब भारतीय सुरक्षा को लेकर ऐसे बयानों से विवाद हुआ हो। मलिक राशिद ने यहाँ तक कहा, "हाफिज सईद और सैफुल्लाह कसूरी जैसे लोग 24 करोड़ पाकिस्तानियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।" यह बयान कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि इसे आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले विचारों के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक प्रभाव
इस घटना के बाद से पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। कुछ राजनीतिक जानकार इसे सत्ताधारी सरकार द्वारा आतंकवादियों को खुला समर्थन देने के जटिल तरीके के रूप में देख रहे हैं। यह न केवल भारत-पाक रिश्तों पर प्रभाव डालेगा, बल्कि पाकिस्तान के स्वयं के भीतर भी बड़े विवादों को जन्म दे सकता है।
सुरक्षा और आतंकवाद
कई सुरक्षा विश्लेषक इस घटना को गंभीरता से ले रहे हैं। उन्होंने कहा है कि ऐसे बयान केवल पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि समस्त दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। भारत में कई नेताओं ने इस घटनाक्रम की निंदा की, और इसे आतंकवाद के खिलाफ ज़रूरत से ज्यादा सहिष्णुता के रूप में देखा।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान को भीतर से ऐसे विचारधाराओं का मुकाबला करने की आवश्यकता है। ऐसे मामलों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय क्या भूमिका निभाएगा, ये भी देखने वाली बात होगी। साथ ही, भारत को भी अपनी सुरक्षा नीतियों में बदलाव करने की आवश्यकता है ताकि ऐसे चरमपंथियों द्वारा उठाए गए कदमों का उचित जवाब दिया जा सके।
इस कार्यक्रम ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान में आतंकवाद और राजनीतिक विचारधारा के बीच की सीमाएँ धुंधली हो गई हैं। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि आगे जाकर ऐसे विवादों से बचा जा सके।
अंत में, यह देखना आवश्यक होगा कि क्या पाकिस्तान की सरकार इन बयानों का सामना कर सकती है, या यदि वे अपने आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति के लिए खुद को लगातार खतरे में डालते रहेंगे।
इस मामले में नवीनतम अपडेट के लिए, अधिक जानकारी प्राप्त करें: IndiaTwoday
Keywords:
Pakistan terror, Lashkar-e-Taiba, Saifullah Kasuri, Malik Rashid, Hafiz Saeed, Indian security, Punjab assembly.What's Your Reaction?






