दहेज के लिए पत्नी को किया टॉर्चर:पति समेत 5 लोगों पर केस दर्ज, 2 लाख और मकान की मांग पर दिया तलाक
बरेली के बहेड़ी में दहेज प्रताड़ना का एक मामला सामने आया है। मोहल्ला नूरीनगर लाईनपार निवासी जूही ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई है। जूही की शादी मोहम्मद शाहिद से चार साल पहले मुस्लिम रीति-रिवाज से हुई थी। परिवार ने अपनी हैसियत के मुताबिक दहेज दिया था। लेकिन ससुराल पक्ष इससे खुश नहीं था। पीड़िता का आरोप है कि उसके पति शाहिद, देवर अरबाज, देवरानी राहिला, ननद हसनारा और नन्दोई मेहदी हसन दहेज की मांग को लेकर उसे परेशान करते थे। पति ने दो लाख रुपये नकद मांगे। साथ ही मकान अपने नाम करवाने की जिद की। जूही के पिता मजदूरी करते हैं। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थ थी। रिश्तेदारों की समझाइश का भी कोई असर नहीं हुआ। पति ने जूही को तलाक दे दिया। पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर पति शाहिद, देवर अरबाज, देवरानी राहिला, ननद हसनारा और नन्दोई मेहदी हसन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। मामले की जांच चल रही है।

दहेज के लिए पत्नी को किया टॉर्चर:पति समेत 5 लोगों पर केस दर्ज, 2 लाख और मकान की मांग पर दिया तलाक
हाल ही में एक महिला ने अपने पति और उसके परिवार के पांच सदस्यों के खिलाफ दहेज के लिए शारीरिक और मानसिक अत्याचार का मामला दर्ज कराया है। यह मामला सामाजिक मुद्दों को एक बार फिर से उजागर करता है, जिसमें दहेज के लिए महिलाओं को गर्हित व्यवहार का सामना करना पड़ता है। महिला ने 2 लाख रुपये और एक मकान की मांग को लेकर तलाक की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
दहेज के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत
दहेज प्रथा भारत में एक गंभीर समस्या है, जहां महिलाएं अपने पतियों और उनके परिवारों द्वारा हिंसा का शिकार होती हैं। इस तरह के मामलों ने यह दिखा दिया है कि हमारी समाजी समझ और कानूनी प्रणाली में बदलाव की कितनी आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना आवश्यक है।
मामले की कार्यवाही
महिला ने हाल ही में अपने पति और उसके परिवार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी पति और उसके परिवार के पांच सदस्यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। इस मामले में सबूत जुटाने के लिए पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
महिलाओं को सशक्त बनाना
इस घटना ने यह असर डाला है कि महिलाएं अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना सीखें और दहेज के खिलाफ आवाज उठाएं। समाज में महिलाओं को जो भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उसके खिलाफ सख्ती से खड़ा होना चाहिए। केवल कानून ही नहीं, बल्कि समाज को भी बदलना चाहिए।
समाज का रुख
इस तरह के मामलों के बढ़ते आंकड़ों ने समाज और सरकार दोनों को एक नई सोच पर ध्यान देने की आवश्यकता दिखाई है। अधिक से अधिक महिलाएं अब अपनी आवाज उठाने में सक्षम महसूस कर रही हैं। यह समय है कि हम दहेज की प्रथा के खिलाफ सख्त कदम उठाएं और सुनिश्चित करें कि कोई भी महिला अपने अधिकारों से वंचित न हो।
यह मामला हमें यह भी याद दिलाता है कि दहेज प्रथा का अंत तभी संभव है, जब हम सभी इस मुद्दे पर एकजुट होकर काम करें।
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