देश के बैंकों में 1.50 लाख करोड़ कैश की कमी:जमा पर ब्याज बढ़ रहा; डिपॉजिट की ब्याज दरें 7.50% तक पहुंचीं
देश के बैंकों में कैश की किल्लत एक बार फिर बढ़ गई है। दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में देश के बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी 1.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई। इससे निपटने के लिए बैंक डिपॉजिट बढ़ा रहे हैं। नतीजतन डिपॉजिट की ब्याज दरें 7.50% तक पहुंच गई हैं। कुछ बैंकों ने ज्यादा ब्याज वाली नई स्कीम्स की आखिरी तारीख बढ़ाई है और कुछ ने नई एफडी स्कीम्स लॉन्च की हैं। आईडीबीआई जैसे बैंक सीनियर और सुपर सीनियर सिटीजंस को 0.65% तक ज्यादा ब्याज दे रहे हैं। इसके चलते सुपर सीनियर सिटीजंस के लिए ब्याज दरें 8.05% तक हो गई हैं। दिसंबर के पहले सप्ताह में बैंकों का कैश सरप्लस 1 लाख करोड़ रुपए था। बाद के पखवाड़े में टैक्स चुकाने के लिए निकासी और विदेशी मुद्रा बाजार में आरबीआई के दखल से नकदी घट गई। बंधन बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि अब रेट बढ़ाकर डिपॉजिट बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। बैंकों में कैश बढ़ाने के लिए डॉलर-रूपी स्वैप का सहारा बैंकों ने रिजर्व बैंक से लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय करने की अपील की थी। इसके बाद आरबीआई ने पिछले सप्ताह डॉलर-रूपी स्वैप का इस्तेमाल किया। आरबीआई ने करीब 3 अरब डॉलर के स्वैप का इस्तेमाल किया। इससे बैंकों को करीब 25,970 करोड़ रुपए का कैश मिला। स्वैप की मैच्योरिटी 3,6 और 12 महीने है। लेकिन ये पर्याप्त नहीं है। उन्हें करीब 1.25 लाख की नकदी और चाहिए। हर ₹100 के डिपॉजिट पर ₹80 का लोन बांट रहे बैंक रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 27 दिसंबर 2024 तक बैंकों का डिपॉजिट 9.8% की दर से बढ़ा। इसी दौरान क्रेडिट ग्रोथ यानी कर्ज बांटने की रफ्तार सालाना 11.16% रही। कुल डिपॉजिट 220.6 लाख करोड़ और लोन 177.43 लाख करोड़ तक पहुंच गया। यानी बैंक हर 100 रुपए के डिपॉजिट पर 80 रुपए का लोन बांट रहे हैं। क्रेडिट टू डिपॉजिट का यह रेश्यो 2023 में 79% था, जो 73% होना चाहिए।

देश के बैंकों में 1.50 लाख करोड़ कैश की कमी: जमा पर ब्याज बढ़ रहा; डिपॉजिट की ब्याज दरें 7.50% तक पहुंचीं
वे समय आ गया है जब भारतीय बैंकिंग प्रणाली में भारी मात्रा में कैश की कमी देखी जा रही है। हाल ही में रिपोर्ट्स सामने आई हैं कि देश के बैंकों में लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपये की कैश की कमी है। इस स्थिति के चलते, बैंकों ने अपने डिपॉजिट पर ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला लिया है। वर्तमान में, कुछ बैंक अपनी डिपॉजिट की ब्याज दरें 7.50% तक पहुंचा चुके हैं, जोकि एक महत्वपूर्ण बढ़ोतरी है।
कैश की कमी के कारण
कैश की कमी के कई कारण हो सकते हैं। इनमें, आर्थिक विकास में वृद्धि, विभिन्न आर्थिक नीतियों का प्रभाव और आम नागरिकों की बचत प्रवृत्तियों में बदलाव प्रमुख हैं। सरकारी योजनाओं और कोविड-19 महामारी के बाद, लोगों ने अपने पैसों के प्रवाह को देखते हुए अपने डिपॉजिट में बढ़ोतरी की है, जिसके कारण बैंकों के पास चलनिधि की कमी हो रही है।
ब्याज दरों में वृद्धि का महत्व
ब्याज दरों में इस बड़े बदलाव का प्रत्यक्ष प्रभाव लोगों की बचत योजनाओं पर पड़ेगा। यदि आप अपना पैसा किसी बैंक में जमा करने की सोच रहे हैं, तो ऊंची ब्याज दरें निश्चित रूप से आपको आकर्षित करेंगी। यह स्थिति निवेशकों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि उच्च ब्याज दरें उन्हें बेहतर रिटर्न का अवसर देती हैं।
आर्थिक परिप्रेक्ष्य
महंगाई, विकास दर और बैंकों की स्थिति का आपस में गहरा संबंध है। जब कैश की कमी होती है, तो बाजार में महंगाई बढ़ सकती है। वहीं, ब्याज दरों में वृद्धि से बाजार में अधिक तरलता लाने की कोशिश की जा रही है। इस विषय पर अधिकारियों का कहना है कि यह कदम अर्थव्यवस्था को स्थिरता देने में मदद करेगा।
सम्पूर्ण रूप से, यह स्थिति बैंकों और ग्राहकों दोनों के लिए चिंताजनक हो सकती है, लेकिन सही नीतियों और समय पर निर्णय लेने से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
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