पोप दुनिया के सबसे छोटे देश के राजा:130 करोड़ ईसाइयों के धर्मगुरु; लाल जूते क्यों पहनते हैं, इसका जीजस से क्या कनेक्शन
दुनिया का सबसे छोटा देश है वेटिकन। आकार सिर्फ 0.49 स्क्वायर किमी, आबादी महज 764 लोगों की। ये इटली की राजधानी रोम के अंदर बसा है। ये इतना छोटा देश है, कि दिल्ली में 3 हजार से ज्यादा वेटिकन समा सकते हैं। ये छोटा सा देश दुनिया की 130 करोड़ कैथोलिक आबादी की आस्था का केंद्र है। पोप यहां के राजनीतिक और धार्मिक नेता हैं। यानी लगभग भारत की आबादी जितने लोगों के धर्मगुरु। वेटिकन एक साम्राज्य है और पोप यहां के राजा। पोप कौन होते हैं, इस पद की क्या अहमियत है, वेटिकन देश ही कैथोलिक चर्च का मुख्य केंद्र क्यों है… जानेंगे इस स्टोरी में... सवाल 1. पोप कौन हैं, और क्यों इतने खास होते हैं? जवाब: पोप कैथोलिक ईसाई धर्म के सबसे बड़े धार्मिक नेता होते हैं। दुनिया में ईसाइयों की संख्या 240 करोड़ है। इनमें से 130 करोड़ कैथोलिक हैं। पोप को सेंट पीटर का उत्तराधिकारी माना जाता है। सेंट पीटर को ईसा मसीह ने अपने अनुयायियों का नेतृत्व करने के लिए चुना था। पोप के प्रमुख दायित्वों में दुनिया के नेताओं से मिलकर धार्मिक संवाद करना और शांति के लिए प्रयास करना शामिल है। वे कार्डिनल (पोप के सलाहकारों का समूह), बिशप और चर्च के अन्य अधिकारियों की नियुक्ति करते हैं। पोप दुनिया भर में कैथोलिक समुदाय के लोगों से मिलते हैं और ईसाई धर्म प्रचार भी करते हैं। सवाल 2: पोप पद का इतिहास क्या है? जवाब: पोप पद की शुरुआत सेंट पीटर से हुई है। वे ईसा मसीह के बारह शिष्यों में से एक थे। कैथोलिक मान्यताओं के मुताबिक, ईसा मसीह ने सेंट पीटर को अपने अनुयायियों का नेता बनाया था। इससे वह रोम (इटली की राजधानी) के पहले बिशप बने। रोम के सम्राट नीरो के शासनकाल में 64 से 68वीं सदी के बीच सेंट पीटर की हत्या कर दी गई थी। उनकी समाधि पर ही बाद में सेंट पीटर्स बेसिलिका (वेटिकन सिटी की चर्च) बनी। शुरुआत में पोप को बिशप ही कहा जाता था। सम्राट कॉन्सटेंटीन ने 313वीं ईस्वी में ईसाई धर्म को मान्यता दी। इसके बाद पोप का प्रभाव बढ़ना शुरू हुआ। 380वीं ईस्वी में सम्राट थियोडोसियस प्रथम ने ईसाई धर्म को रोमन साम्राज्य का आधिकारिक धर्म घोषित कर दिया। इससे पोप की ताकत और बढ़ गई। 1309 ईस्वी में पोप का ऑफिस फ्रांस के एविग्नन में शिफ्ट हो गया था। हालांकि 1377 ईस्वी में वापस इसे रोम शिफ्ट कर दिया गया। 756 ईस्वी से 1870 तक सेंट्रल इटली में रोमन कैथोलिक प्रभाव वाले इलाकों (पैपल स्टेट्स) पर पोप का शासन रहा। सवाल 3. वेटिकन क्या है, और यह खास क्यों है? जवाब: वेटिकन कैथोलिक चर्च के प्रमुख यानी पोप का निवास स्थान है। पोप यहां के एपोस्टोलिक पैलेस में रहते हैं। वेटिकन इटली की राजधानी रोम से घिरा हुआ है। यहां कई देशों के पादरी और नन रहते हैं। आबादी 764 है। 1929 में स्वतंत्र देश बना वेटिकन सवाल 4: रोमन कैथोलिक चर्च बाकी चर्च से अलग कैसे? जवाब: रोमन कैथोलिक चर्च ईसाई धर्म का सबसे बड़ा संप्रदाय है। इसके अलावा प्रोटेस्टेंट और ईस्टर्न ऑर्थोडॉक्स ईसाई समुदाय के दो अन्य प्रमुख संप्रदाय हैं। रोमन कैथोलिक चर्च ईसा मसीह की शिक्षाओं पर आधारित हैं। बाइबल के साथ-साथ चर्च परंपराओं को भी धर्म और आस्था का आधार मानता है। कैथोलिक चर्च इन सिद्धांतों को मानता है… एक ईश्वर: जो तीन स्वरूपों में अस्तित्व रखता है। ये तीन तत्व (Trinity) है: मदर मैरी: कैथोलिक चर्च यीशु की मदर मैरी को विशेष सम्मान देता है। माना जाता है कि वे शरीर सहित स्वर्ग में पहुंची थीं। कैथोलिक प्रार्थनाओं में मैरी को खास जगह दी गई है। पर्गेटरी: कैथोलिक मान्यता के मुताबिक, मृत्यु के बाद आत्मा को स्वर्ग जाने से पहले पवित्र किया जाता है। ये वो जगह है जहां आत्माएं मृत्यु के बाद अपने पापों का प्रायश्चित करती हैं। अपने पापों से मुक्त होने के बाद आत्माएं स्वर्ग जाती हैं। पोप और कैथोलिक चर्च से जुड़े विवाद 1. वैटीलीक्स स्कैंडल 2012 में पोप बेनेडिक्ट XVI पोप थे। तब 'His Holiness’ नाम की एक किताब प्रकाशित हुई, जो उनके गुप्त दस्तावेजों पर आधारित थी। ये निजी दस्तावेज पोप के अपने बटलर ने एक लेखक को लीक कर दिए थे। इन दस्तावेजों की जांच के बाद एक आंतरिक जांच हुई। इसमें पता चला कि कुछ बाहरी लोग समलैंगिक बिशपों को ब्लैकमेल कर रहे थे, क्योंकि वे अपने ब्रह्मचर्य के नियमों को तोड़ चुके थे। इस विवाद के बाद पोप बेनेडिक्ट XVI ने 2013 में पोप पद से इस्तीफा दे दिया। 2. कैथोलिक चर्चों में बच्चों के साथ यौन शोषण कैथोलिक चर्च के ऊपर लंबे समय से आरोप लगते आए हैं कि कई पादरियों और संतों ने बच्चों का शोषण किया है। पोप फ्रांसिस ने अप्रैल 2014 में पहली बार चर्चों में बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण की बात स्वीकार की और सार्वजनिक माफी भी मांगी। इससे पहले तक किसी पोप की तरफ से इस मामले पर प्रतिक्रिया नहीं देने की वजह से वेटिकन की आलोचना की जाती थी। 3. कैथोलिक चर्च के पादरियों ने बच्चे पैदा किए फरवरी 2019 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक आर्टिकल में बताया था कि वेटिकन के कई पादरियों के अपने बच्चे हैं। वेटिकन ने ऐसे पादरियों के लिए सीक्रेट गाइडलाइन बनाई है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, तब वेटिकन के प्रवक्ता ने बताया था कि मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि ये गाइडलाइन मौजूद है। ये दस्तावेज वेटिकन के अंदर इस्तेमाल के लिए है। ये पब्लिश करने के लिए नहीं है। वेटिकन प्रवक्ता ने बताया था कि इन सीक्रेट गाइडलाइन के तहत बच्चे पैदा करने वाले पादरी को अपना पुजारी का पद त्यागकर एक पिता के तौर पर अपनी जिम्मेदारी उठाने के लिए कहा जाता है। ---------------------------- पोप से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... पोप की हालत में मामूली सुधार, खतरा बरकरार:ऑक्सीजन दी जा रही, प्लेटलेट्स भी घटीं; ट्रम्प ने अच्छी सेहत की कामना की कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस की हालत में मामूली सुधार देखने को मिला है, हालांकि खतरा अभी भी बना हुआ है। वेटिकन ने मंगलवार को इसे लेकर बयान जारी किया। इससे पहले बताया गया था कि पोप के किडनी फेल होने के लक्षण

पोप दुनिया के सबसे छोटे देश के राजा: 130 करोड़ ईसाइयों के धर्मगुरु
पोप फ्रांसिस, Vatican City के प्रमुख, जो कि दुनिया के सबसे छोटे स्वतंत्र राज्य का राजा भी हैं, ने लगातार धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर अपनी प्रभावी आवाज उठाई है। उनका दृष्टिकोण और धार्मिक नेतृत्व 130 करोड़ ईसाइयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। पोप का कार्य केवल कैथोलिक चर्च तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समग्र मानवता के कल्याण में भी योगदान देता है।
लाल जूते पहनने की परंपरा
पोप द्वारा पहने जाने वाले लाल जूते का एक खास ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। ये जूते केवल एक फैशन स्टेटमेंट नहीं हैं, बल्कि इसमें गहरे धार्मिक अर्थ छिपे हैं। लाल रंग विशेष रूप से बलिदान और प्रेम का प्रतीक माना जाता है, जो जश्न का हिस्सा है। पोप के लाल जूते, उनके आध्यात्मिक नेतृत्व के प्रतीक हैं और ये ईसाई धर्म के प्रति उनके समर्पण को दर्शाते हैं।
जूते और जीजस का कनेक्शन
जीजस क्राइस्ट के समय से ही लाल रंग का महत्व रहा है। यह रंग रक्त, बलिदान और प्रेम का प्रतीक है। पोप के द्वारा पहने जाने वाले लाल जूते, जीजस के बलिदान की याद दिलाते हैं। यह पोप का प्रतीकात्मक तरीका है, जिससे वे दुनिया को यह संदेश देना चाहते हैं कि हमें एक-दूसरे के प्रति दया और प्रेम का भाव रखना चाहिए।
पोप का आध्यात्मिक नेतृत्व
पोप का वैश्विक दृष्टिकोण, विभिन्न विश्वासों और संस्कृतियों के बीच संवाद को बढ़ावा देता है। उन्होंने सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और मानवाधिकारों के मुद्दों पर भी महान कार्य किए हैं। उनकी उपस्थिति से चर्च समाज में एक नई शुरुआत की ओर अग्रसर होता है, जो समर्पण और प्रेम पर आधारित है।
यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हम पोप द्वारा सिखाए गए मूल्यों को अपने जीवन में अपनाएं। उनके कार्यों से हमें सिखने को मिलता है कि कैसे हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, पोप का धार्मिक कार्य केवल आस्था के स्तर पर नहीं है, बल्कि यह वैश्विक बदलाव लाने का एक साधन भी है। उनके विचारों और दृष्टिकोणों पर विचार करने से हमें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा मिलती है।
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