पौष पूर्णिमा स्नान करने काशी के गंगा घाट पहुंचे श्रद्धालु:कड़कड़ाती ठंड में लगाई आस्था की डुबकी,जाने,महत्व और पूजा विधि
पौष पूर्णिमा पर सोमवार को गंगा में पुण्य की डुबकी के साथ माघ पर्यंत स्नान-दान, जप, व्रत, नियम, संयमादि का आरंभ हो गया। ये विधान माघ पूर्णिमा यानी 12 फरवरी तक चलेंगे। माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में गंगा, नर्मदा, यमुना में स्नान करने से पापों का क्षय होता है। इस माह में दान-पुण्य, रोगियों, निशक्तों की सेवा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। गंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ इस विशेष स्नान अनुष्ठान के लिए अलसुबह से ही श्रद्धालु वाराणसी के गंगा घाटों पर पहुंचे। स्नान-दान के साथ ही यहां से ही प्रयागराज समेत तीर्थों का ध्यान किया। कड़ाके की ठंड के कारण स्नानार्थियों की संख्या भले कम रही हो लेकिन दशाश्वमेध, पंचगंगा, अस्सी समेत घाटों पर दृश्य विभोर करने वाला रहा। इन चीजों का जरूर करें दान पंडित विकास पाण्डेय ने कहा - इस दिन गुड़ और तिल का दान जरूर करना चाहिए। इसके अलावा गर्म कपड़े भी यदि आप किसी जरूरतमंद को दान में देते हैं तो उससे भी आप पर आने वाली आफत दूर होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान से न सिर्फ सात जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है। बल्कि घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास भी होता है। इसके साथ ही इससे सभी ग्रहों की बाधाएं भी दूर होती हैं। आइए जानते हैं स्नान का क्या है महत्व सनातन धर्म में पौष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान करने का बड़ा महत्व है। इस दिन सूर्यदेव के साथ चंद्रदेव की भी पूजा करनी चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और धर्म-कर्म के कार्यों को करने से साधक को पुण्य फलों की प्राप्ति हो सकती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा इस दिन जरूरतमंद को दान किया जाए तो जीवन के संकट दूर होते हैं।

पौष पूर्णिमा स्नान करने काशी के गंगा घाट पहुंचे श्रद्धालु
पौष पूर्णिमा के अवसर पर काशी के प्रसिद्ध गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी है। सर्दी के मौसम में कड़कड़ाती ठंड के बावजूद, श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था की डुबकी लगाने के लिए गंगा में स्नान किया। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह संवेदनाओं और आस्थाओं का भी प्रतीक है।
पौष पूर्णिमा का महत्व
पौष पूर्णिमा का पर्व हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को शांति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से श्रद्धालु को विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसलिए, इस दिन श्रद्धालुओं की व्यवस्था और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए काशी में तैयारियाँ की जाती हैं।
गंगा स्नान की पूजा विधि
गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं को कुछ विशेष विधियों का पालन करना होता है। इसमें सबसे पहले श्रद्धालुएं गंगा में जाकर स्नान करते हैं और इसके पश्चात संगीतमय मंत्रध्यान करते हैं। इसके साथ, श्रद्धालु अपने परिवार के सदस्यों और पूर्वजों की आत्मा के लिए प्रार्थना करते हैं। यह दिन दान-पुण्य करने का भी महत्व रखता है, जहाँ लोग अपने सामर्थ्यानुसार दान करते हैं।
कड़कड़ाती ठंड में गंगा स्नान का यह पर्व न केवल एक धार्मिक क्रिया है, बल्कि यह एक सामुदायिक उत्सव भी है। श्रद्धालुओं के बीच आत्मीयता का भाव देखने को मिलता है। बहुत से लोग इस अवसर पर अपने पारिवारिक और सामाजिक बंधनों को मजबूत करते हैं।
श्रद्धालुओं की भावनाएँ और अनुभव
गंगा घाट पर श्रद्धालुओं की सामूहिकता और एकता, इस पर्व की खासियत है। कई श्रद्धालुओं ने बताया कि ठंडी जल में स्नान कर उन्हें एक अद्वितीय अनुभव प्राप्त होता है। यह उनके लिए आध्यात्मिक उन्नति का अवसर है।
इस प्रकार, पौष पूर्णिमा का पर्व हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ता है और आस्था के प्रतीक के रूप में उभरकर सामने आता है। इस दिन का महत्व समर्पण और विश्वास के जरिए व्यक्त होता है।
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