मंदिर की जमीन हड़पने का मामला:सदर विधायक राजेंद्र मौर्य समेत सभी आरोपी 13 फरवरी को प्रतापगढ़ कोर्ट में तलब
प्रतापगढ़ के विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने श्री हनुमान मंदिर की जमीन हड़पने के मामले में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। न्यायाधीश मीनाक्षी यादव ने सदर विधायक राजेंद्र मौर्य सहित सभी आरोपियों को 13 फरवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। मामले की जड़ें वर्ष 2012-13 तक जाती हैं, जब रंजीतपुर चिलबिला स्थित श्री हनुमान मंदिर की जमीन को लेकर विवाद खड़ा हुआ। शिकायतकर्ता रन्नो देवी का आरोप है कि जगत बहादुर मौर्य ने सोनावां में स्थित उनकी भूमि (गाटा संख्या 587) का फर्जी दस्तावेज तैयार कर 2003 में घनश्याम से विक्रय पत्र हासिल कर लिया। 12 मई 2013 को कोतवाली नगर में दर्ज कराई गई शिकायत में विधायक राजेंद्र मौर्य पर गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर बेशकीमती जमीन को हथियाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने की साजिश में शामिल होने का आरोप है। मंदिर के पदाधिकारी की शिकायत के बाद राजस्व और पुलिस अधिकारियों ने संयुक्त जांच की। जांच के बाद तैयार आरोप पत्र को कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। राज्य की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी रमेश पांडेय मामले की पैरवी कर रहे हैं। अब कोर्ट ने सभी आरोपियों को अगली सुनवाई के लिए तलब किया है।

मंदिर की जमीन हड़पने का मामला: सदर विधायक राजेंद्र मौर्य समेत सभी आरोपी 13 फरवरी को प्रतापगढ़ कोर्ट में तलब
News by indiatwoday.com
प्रस्तावना
मंदिर की जमीन हड़पने के मामले ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। सदर विधायक राजेंद्र मौर्य सहित सभी आरोपी 13 फरवरी को प्रतापगढ़ कोर्ट में पेश हो रहे हैं। यह मामला स्थानीय निवासियों के बीच चिंता का विषय बन चुका है, और इससे जुड़े सभी घटनाक्रम सुर्खियों में हैं।
मामले का संक्षिप्त विवरण
मंदिर की जमीन को हड़पने का आरोप काफी गंभीर है। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, इस मामले में कई लोगों के नाम सामने आए हैं, जिनमें सदर विधायक राजेंद्र मौर्य का नाम प्रमुख है। आरोप है कि जमीन पर अवैध कब्जा करने के लिए सांठ-गांठ की गई थी। प्रतापगढ़ की जनता इस मामले में न्याय की उम्मीद कर रही है।
अधिकारी और जांच एजेंसियाँ
इस मामले में पुलिस से लेकर न्यायालय तक सभी स्तर पर जांच चल रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च अधिकारी भी इसकी निगरानी कर रहे हैं। आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य जुटाने के लिए जांच एजेंसियों ने कमर कस ली है।
राजनीतिक प्रभाव
राजनीतिक रुखों का भी इस मामले पर असर पड़ सकता है। सदर विधायक पर लगे आरोपों ने उनके राजनीतिक करियर को प्रभावित कर दिया है। ऐसे मामलों में न्यायिक प्रक्रिया और राजनीतिक प्रतिक्रिया का आपस में गहरा संबंध होता है।
आगे का रास्ता
13 फरवरी को होने वाली सुनवाई मामले के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। प्रतापगढ़ कोर्ट में संभावित निर्णय गिरफ्तारियों और आगे की कार्रवाई को दिशा दे सकता है। इस मामले का परिणाम ना केवल आरोपियों पर, बल्कि स्थानीय राजनीति पर भी प्रभाव डालेगा।
अंत में
मंदिर की जमीन में अवैध कब्जे का यह मामला प्रतापगढ़ में न्याय की एक बड़ी परीक्षा बन चुका है। जनता की अपेक्षाएँ अब न्यायालय पर हैं कि वह सही फैसला ले सके।
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