यूपी में बड़ा घोटाला:6 ग्रामोद्योग संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों से लिया करोड़ों का लोन, तहसीलदार समेत 28 पर केस

बरेली में भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है। उत्तर प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के 6 संस्थानों के पदाधिकारियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपये का ऋण हासिल कर धन का दुरुपयोग किया। मामले में एंटी करप्शन ने एक तहसीलदार सहित 28 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। भ्रष्टाचार निवारण संगठन की जांच में सामने आया कि गायत्री, सगीर, सीमा, स्वास्तिक, शुक्ला गुड़ खांडसारी और जेएमडी ग्रामोद्योग सेवा संस्थान के पदाधिकारियों ने फर्जी भूमि अभिलेख और अन्य दस्तावेजों के जरिए सरकारी योजनाओं का गलत लाभ उठाया। इन संस्थानों के कुल 22 पदाधिकारी इस घोटाले में शामिल पाए गए हैं। जांच में यह भी पता चला कि तहसील और अन्य विभागीय कर्मियों ने भी अपनी जिम्मेदारी का सही से निर्वहन नहीं किया। उन्होंने फर्जी प्रपत्रों को सत्यापित कर कुछ लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया। मामले का खुलासा त्रिस्तरीय समिति की प्रारंभिक जांच में हुआ, जिसके बाद मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने इसे भ्रष्टाचार निवारण संगठन को सौंप दिया। अब मामले की विवेचना शुरू हो चुकी है।

Jan 18, 2025 - 13:55
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यूपी में बड़ा घोटाला:6 ग्रामोद्योग संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों से लिया करोड़ों का लोन, तहसीलदार समेत 28 पर केस
बरेली में भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है। उत्तर प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड

यूपी में बड़ा घोटाला: 6 ग्रामोद्योग संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों से लिया करोड़ों का लोन

उतर प्रदेश में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जहां 6 ग्रामोद्योग संस्थानों ने जाली दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपये का लोन प्राप्त किया है। यह मामला तब उजागर हुआ जब कुछ संदिग्ध लेनदेन की जांच की गई, जिसके परिणामस्वरूप तहसीलदार समेत 28 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। यह घोटाला न केवल कानूनी व्यवस्था को चुनौती देता है, बल्कि ग्रामीण उद्योगों में विश्वास को भी कमजोर करता है।

घोटाले की विस्तृत जानकारी

सूत्रों के अनुसार, राजधानी लखनऊ के आस-पास स्थित इन ग्रामोद्योग संस्थानों ने जाली दस्तावेजों का प्रयोग करके विभिन्न बैंक अधिकारियों को धोका दिया। आरोप है कि लोन की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में फर्जी नाम, पते और पहचान पत्र शामिल थे। इसकी जांच करने पर पता चला कि अधिकांश संस्थान असलियत में अस्तित्व में ही नहीं थे।

प्रमुख आरोपी और उनकी भूमिका

इस घोटाले में तहसीलदार समेत उच्च पदस्थ अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है। यह अधिकारियों ने जाली दस्तावेजों को मान्यता देने में मदद की। जांच के दौरान, यह भी पता चला कि कुछ स्थानीय बैंक कर्मचारी भी इसमें शामिल थे, जिन्होंने औपचारिकताओं को नजरअंदाज किया और लोन रिलीज़ कर दिया।

न्याय का रास्ता

इस गंभीर मामले के प्रकाश में आने के बाद, सरकारी एजेंसियों ने कार्रवाई करते हुए सभी संलग्न व्यक्तियों को जांच के दायरे में लाने की प्रक्रिया तेज़ कर दी है। अधिकारी विभिन्न स्तरों पर साक्ष्य जुटाने में जुटे हैं, ताकि सभी दोषियों को कड़ी सजा मिल सके।

News by indiatwoday.com ने इस मामले को लेकर विस्तृत रिपोर्ट प्रदान की है और आगे की कार्रवाई की निगरानी की जा रही है।

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निष्कर्ष

यह घोटाला यूपी सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि उन्हें फर्जी दस्तावेजों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। संतोषजनक कार्रवाई से ही लोगों का विश्वास मजबूत होगा और ग्रामीण उद्योगों की सत्यता को बनाए रखा जा सकेगा। Keywords: यूपी में घोटाला, ग्रामोद्योग संस्थानों का लोन, फर्जी दस्तावेज घोटाला, तहसीलदार केस, करोड़ों का लोन, भारतीय सरकार भ्रष्टाचार, यूपी ग्रामोद्योग घोटाला, घोटाले की जांच, लोन धोखाधड़ी, ग्रामीण उद्योग यूपी.

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