लखनऊ पुलिस कमिश्नर, डीसीपी समेत अफसरों की जांच होगी:इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, कहा-अधिकारियों ने आदेश पढ़ने की जहमत नहीं उठाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि लखनऊ के पुलिस अधिकारी कोर्ट आदेश को पढ़े बगैर मनमानी कार्रवाई कर रहे हैं। किसी अधिकारी ने आदेश पढ़ने की जहमत नहीं उठाई और अनुपालन रिपोर्ट सी जे एम लखनऊ को सौंप दी। जबकि हाईकोर्ट का आदेश ज्योति सदन फैजाबाद रोड लखनऊ की रहने वाली विपक्षी ज्योति सक्सेना को हाईकोर्ट में पेश करने का था। कोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी को पुलिस कमिश्नर लखनऊ, डिप्टी पुलिस कमिश्नर ईस्ट लखनऊ,एस एच ओ चिनहट व दरोगा मोहित कुमार चिनहट द्वारा कोर्ट आदेश पढ़ें बगैर कार्रवाई करने के मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी। हालांकि विपक्षी ज्योति सक्सेना के अधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि अगली तिथि पर ज्योति हाजिर रहेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने नाबालिग श्रेया सक्सेना व अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने 14 फरवरी 25 व 4 मार्च 25 को पुलिस कमिश्नर को विपक्षी ज्योति को हाजिर करने का आदेश दिया। किंतु इसका पालन नहीं किया गया। बताया कि आदेश की सूचना डी सी पी ईस्ट को दी गई है और पुलिस कमिश्नर की रिपोर्ट से साफ है कि आदेश पढ़ें बगैर अनुपालन रिपोर्ट सी जे एम लखनऊ को दी गई है। कोर्ट ने कहा चारो अधिकारियों में से किसी ने 14 फरवरी के आदेश को पढ़ने की तकलीफ़ नहीं उठाई। याची व विपक्षी के बीच प्रधान न्यायाधीश परिवार अदालत मेरठ में केस लंबित है। जिसकी सुनवाई कोर्ट ने रोक दी और विपक्षी को हाईकोर्ट में हाजिर करने का आदेश दिया था। जिसका पालन नहीं किया गया।

लखनऊ पुलिस कमिश्नर, डीसीपी समेत अफसरों की जांच होगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ पुलिस कमिश्नर, डीसीपी समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ गंभीर जांच के संकेत दिए हैं। राज्य की सुरक्षा और नागरिकों के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने आदेश दिया है कि संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाए। यह कदम आवश्यक है क्योंकि अधिकारियों ने न्यायालय के पूर्व आदेशों को पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं समझी।
जांच के कारण
इस आदेश के पीछे अनेक कारण हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिकारियों की लापरवाही से कानून-व्यवस्था प्रभावित हो रही है। आलम यह है कि संवेदनशील मामलों में उचित कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिससे आम जनता में डर और असंतोष बढ़ रहा है। अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है कि वे न्यायालय के आदेशाें का पालन करें, न कि उन्हें नजरअंदाज करें।
अधिकारियों की लापरवाही
कोर्ट ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने आगे भी अनसुना किया, तो सख्त कार्रवाई की जा सकती है। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जहां प्रशासन की जवाबदेही को सुनिश्चित किया जा सकता है। इस प्रकार की प्रशासनिक लापरवाहियों के परिणामस्वरूप, समाज में कानून के प्रति विश्वास कम हो रहा है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि प्रशासन अपने कर्तव्यों का पालन करे।
अंत में
उम्मीद की जाती है कि इस आदेश के बाद लखनऊ में प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार होगा और अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। कोर्ट का यह निर्णय न केवल लखनऊ बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में पुलिस प्रशासन के लिए एक उदाहरण बनेगा।
News by indiatwoday.com
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