लखनऊ में इमाम मूसा काजिम की शहादत पर हुई मजलिस:अकीदत मंदों ने नम आंखों से किया याद, घरों में काले झंडे लगाए
लखनऊ में शिया समुदाय के सातवें इमाम हजरत मूसा काजिम की शहादत पर उन्हें नम आंखों से याद किया गया। इस मौके पर शहर के अलग-अलग इमामबाड़ों, कर्बलाओं और घरों में मजलिस, मातम के आयोजन हुए। इमाम मूसा को याद करते हुए ताबूत के दर्शन करवाये गए। गम में डूबे हुए लोगों ने काले कपड़े पहने और घरो में भी काला झंडा लगाया । चौक , नक्खास , अकबरी गेट समेत पुराने लखनऊ में विशेष रूप से मजलिसों के माध्यम से मनाई गई शहादत। हुसैनाबाद छोटा इमामबाड़ा में 'असीर-ए-बगदाद का मातम' शीर्षक से मजलिस हुई। इसे मौलाना कल्बे सादिक खां ने संबोधित किया । इस दौरान मौलाना ने कैदखाने में इमाम मूसा पर जो अत्याचार हुए उसे बयान किया। जिसे सुनकर अकीदतमंदों की आंखों नम हो गईं । मौलाना ने कहा कि सच्ची श्रद्धांजलि का मतलब है कि इमाम की बातों को माना जाए। मजलिस और महफिल का उद्देश्य है कि हम जिस इमाम , अबुजुर्ग को मानते हैं उसके संदेश को आप तक पहुंचाएं। मजलिस में आने वाले लोग इन बातों को अपने जीवन में अवश्य लागू करें। तभी मजलिस का उद्देश्य पूरा होगा। जो लोग अपने बुजुर्गों की बातों को नहीं मानते वह जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते। इमाम मूसा काजिम ने पूरा जीवन इस्लाम के अनुसार गुजारा । इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद साहब के संदेश को लोगों तक पहुंचाना उनका मुख्य उद्देश्य था। लोगों की भलाई करना और गलत कामों न करने की नीति को हमें अपने जीवन में लागू करना चाहिए। शिक्षा बेहद महत्वपूर्ण है, युवा पीढ़ी को अपना कीमती वक्त शिक्षा हासिल करने में लगा देना चाहिए। शिक्षा से ही बदलाव आता है। इमाम मूसा को मानने वालों के लिए आवश्यक है कि ईमानदारी के साथ जीवन गुजारें।
लखनऊ में इमाम मूसा काजिम की शहादत पर हुई मजलिस
लखनऊ के अलवी मोहल्ले में इमाम मूसा काजिम की शहादत पर एक विशेष मजलिस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में अकीदत मंद उपस्थित हुए, जिन्होंने नम आंखों से इमाम की शहादत को याद किया। यह मजलिस इस्लामी शिक्षाओं और इमाम की जिंदगानी पर चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण मंच बना।
अकीदत मंदों ने इमाम की याद में काले झंडे लगाए
मजलिस के दौरान, शहरभर के लोगों ने अपने घरों में काले झंडे लगाए, जो इमाम की शहादत के प्रति संवेदना और श्रद्धा प्रकट करते हैं। इस धार्मिक परंपरा का उद्देश्य केवल शोक मनाना नहीं, बल्कि इमाम के संदेश और विचारों को भी प्रेरित करना है।
मजलिस का उद्देश्य और महत्व
इस मजलिस का उद्देश्य इमाम मूसा काजिम की शिक्षाओं को जीवित करना और उनके अद्वितीय बलिदान के प्रति सम्मान व्यक्त करना है। आयोजन के दौरान वक्ताओं ने इमाम के जीवन और उनके धार्मिक योगदान को रेखांकित किया।
समुदाय का एकत्रित होना
इस आयोजन में घेराबंदी के प्रभाव को देखते हुए, लोग एकत्र होकर इमाम के प्रति अपनी भावनाओं और श्रद्धा को साझा करते हैं। इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से समुदाय में एकता और भाईचारा बीज बोया जाता है।
भविष्य की योजनाएं
लखनऊ में इस प्रकार के आयोजनों का क्रम जारी रखने का संकल्प लिया गया है। आगामी कार्यक्रमों में इमाम की शिक्षाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और अधिक जन समुदाय को इनके महत्व से अवगत कराने का प्रयास किया जाएगा।
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