साढ़े 27 करोड़ श्रद्धालु लगा चुके हैं संगम में डुबकी:मौनी अमावस्या पर करीब आठ करोड़ लोगों ने किया संगम स्नान
प्रयागराज महाकुंभ का आज 18वां दिन है। अब तक करीब साढ़े 27 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। मौनी अमावस्या पर करीब आठ करोड़ लोगों ने पवित्र स्नान किया। मौनी अमावस्या पर मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात को भगदड़ मच गई। इस हादसे में 30 से 40 मौतें हो गईं। सरकार की ओर से अब तक 30 मौतों की पुष्टि की गई है। 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।

साढ़े 27 करोड़ श्रद्धालु लगा चुके हैं संगम में डुबकी
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मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन को लोग स्नान, दान और पूजा-पाठ के लिए बेहद शुभ मानते हैं। साल 2023 में भी इस मौके पर संगम में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की विशाल भीड़ उमड़ी। संगम में स्नान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति का विश्वास होता है।
श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड संख्या
इस वर्ष मौनी अमावस्या पर लगभग आठ करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम स्नान किया, जो कि एक नया रिकॉर्ड है। इस अवसर पर आयोजित मेला देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा और आस्था का प्रतीक बन जाता है। पहले से ही, 271 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पिछले कुछ वर्षों में संगम की पवित्र जल में डुबकी लगा चुके हैं।
संगम स्नान की रीतियों
श्रद्धालु संगम में स्नान करते समय विशेष रीतियों का पालन करते हैं। यह आम धारणा है कि संगम में स्नान करने से मानसिक और आत्मिक शुद्धि होती है। लोग इस दिन अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भी प्रार्थना करते हैं। सर्दी के इस मौसम में, स्नान का अनुभव और भी आध्यात्मिक हो जाता है।
संविधान और सुरक्षा व्यवस्थाएँ
इस विशाल संख्या के मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न स्थानों पर चिकित्सा केंद्र और सुविधा बूथ स्थापित किए गए थे। सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ-साथ श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए मार्ग निर्देशकों को भी तैनात किया गया था।
सामाजिक सहयोग का महत्व
इस महान अवसर पर, समाज के विभिन्न संगठनों ने श्रद्धालुओं की मदद की, जैसे कि भोजन, पानी और शौचालय की सुविधाएँ प्रदान करना। इससे यह साबित होता है कि जब बात आस्था और भारतीय संस्कृति की होती है, तो हम सभी मिलकर काम करते हैं।
ऐसे में, इस मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम का स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ने एक नई मिसाल कायम की है। यह भारतीय संस्कृति की अमिट छाप है। साथ ही, हमें अपनी परंपराओं और आस्थाओं को बनाए रखना चाहिए।
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