स्वामी विवेकानंद की जयंती पर गाजीपुर में हुए कई कार्यक्रम:पवहारी बाबा के आश्रम में ज्ञान प्राप्त करने आए थे, हिंदूत्व का किया था विस्तार
गाजीपुर में स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की ओर से विवेकानंद कालोनी स्थित विवेकानंद पार्क में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। महासभा के प्रांतीय उपाध्यक्ष मुक्तेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा कि स्वामी जी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और उनके बताए मार्ग पर चलकर ही देश में सुख-शांति की स्थापना संभव है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को एक प्रखर राष्ट्रवादी बताते हुए कहा कि उन्होंने पूरे देश में हिंदूत्व की पताका फहराई। सत्यदेव डिग्री कॉलेज में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में संस्थान के सीएमडी प्रोफेसर आनंद सिंह ने एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य साझा किया। उन्होंने बताया कि स्वामी विवेकानंद 29 वर्ष की आयु में गाजीपुर आए थे और यहां पवहारी बाबा के आश्रम में आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए उनसे मुलाकात की थी। कार्यक्रम में कॉलेज के काउंसलर दिग्विजय उपाध्याय, कोऑर्डिनेटर डॉ. रामचंद्र दुबे, डायरेक्टर अमित कुमार सिंह रघुवंशी सहित अन्य प्रवक्ता और गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभी ने स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

स्वामी विवेकानंद की जयंती पर गाजीपुर में हुए कई कार्यक्रम
स्वामी विवेकानंद की जयंती हर साल बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इस वर्ष गाजीपुर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां लोगों ने स्वामी विवेकानंद के विचारों और शिक्षाओं को याद किया। यह आयोजन पवहारी बाबा के आश्रम में किया गया, जहां ज्ञान की प्राप्ति के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए।
कार्यक्रम का महत्व
गाजीपुर में आयोजित यह कार्यक्रम स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। यहां हिंदूत्व का विस्तार किया गया और धर्म, संस्कृतिका तथा समाज में एकता के महत्व को उजागर किया गया। कार्यक्रम में व्याख्यान, भजन, और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया गया।
पवहारी बाबा के आश्रम का योगदान
पवहारी बाबा का आश्रम हमेशा से ज्ञान प्राप्ति का एक बड़ा केंद्र रहा है। इस आयोजन के दौरान, श्रद्धालुओं ने ध्यान और साधना के माध्यम से स्वामी विवेकानंद के जीवन को समझने का प्रयास किया। आश्रम में उपस्थित संतों ने भी अपने अनुभव साझा किए और उपस्थित लोगों को प्रेरित किया।
हिंदूत्व का विस्तार
कार्यक्रम के माध्यम से हिंदूत्व के सिद्धांतों को फैलाने का प्रयास किया गया। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एकता और सहयोग से समाज को आगे बढ़ाया जा सकता है। इस प्रकार के कार्यक्रम समाज को जोड़ने और जागरूक करने का एक साधन हैं।
इस घटना ने एक बार फिर से धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की भावना को जागरूक किया, और युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचारों का अनुकरण करने के लिए प्रेरित किया।
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