अनीता आनंद कनाडा के PM पद की रेस से बाहर:पार्टी नेता बनने से इनकार किया, इस साल चुनाव भी नहीं लड़ेंगी
भारतीय मूल की अनिता आनंद ने कनाडा के प्रधानमंत्री पद की रेस से अपना नाम पीछे कर लिया है। साथ ही इस साल होने वाले चुनाव में लड़ने से भी मना कर दिया है। अनीता ने इसकी जानकारी X पर एक लेटर पोस्ट कर दी है। अपने लेटर में अनीता ने लिखा कि- आज मैं घोषणा कर रही हूं कि मैं कनाडा की लिबरल पार्टी की अगली नेता बनने की दौड़ में शामिल नहीं होऊंगी और ओकविले के लिए संसद सदस्य के रूप में फिर से चुनाव नहीं लड़ूंगी। इससे पहले कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावे किए जा रहे थे कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद अनीता अगली प्रधानमंत्री बन सकती हैं। फिलहाल नई नेता के चुने जाने तक जस्टिन ट्रूडो ही प्रधानमंत्री रहेंगे। कौन हैं अनीता आनंद? ट्रूडो की पार्टी के पास बहुमत नहीं कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी के 153 सांसद हैं। हाउस ऑफ कॉमन्स में 338 सीटें है। इसमें बहुमत का आंकड़ा 170 है। पिछले साल ट्रूडो सरकार की सहयोगी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने अपने 25 सांसदों का समर्थन वापस ले लिया था। NDP खालिस्तान समर्थक कनाडाई सिख सांसद जगमीत सिंह की पार्टी है। गठबंधन टूटने की वजह से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने PM ट्रूडो के खिलाफ फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। हालांकि कनाडा की संसद को 24 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है, ऐसे में लिबरल पार्टी के पास बहुमत जुटाने और नया नेता चुनने के लिए 60 दिन से ज्यादा का वक्त है। --------------------------------- कनाडा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... कनाडा के पीएम पद की रेस में चंद्र आर्य:भारतीय मूल के सांसद ने दावेदारी पेश की; ट्रूडो और खालिस्तानी आतंक के विरोधी कनाडा में जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी के हिंदू नेता चंद्र आर्य ने पीएम पद के लिए दावेदारी पेश की है। चंद्र आर्य भारतीय मूल के कनाडाई सांसद हैं। जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद से लिबरल पार्टी में नया लीडर चुनने का काम शुरू हो गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें...

अनीता आनंद कनाडा के PM पद की रेस से बाहर
हाल ही में अनीता आनंद ने यह घोषणा की है कि वह कनाडा के प्रधानमंत्री पद की रेस से बाहर हो गई हैं। यह फैसला उनके लिए एक बड़ा मोड़ है जो राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। अनीता आनंद, जो पहले से ही एक प्रमुख राजनीतिक शख्सियत हैं, ने पार्टी नेता बनने से भी इनकार किया है। उनके इस निर्णय ने राजनीतिक हलचलों को एक नया मोड़ दिया है।
पार्टी नेता बनने से इनकार
अनीता आनंद ने ज़ाहिर किया कि वह पार्टी नेता बनने में दिलचस्पी नहीं रखतीं। उनका यह निर्णय इस बात को दर्शाता है कि वह अपनी प्राथमिकताओं को लेकर स्पष्ट हैं और किसी भी तरह के राजनीतिक दवाब में नहीं आना चाहतीं। राजनीति में स्थायित्व और संवेदनशीलता पर जोर देना इस समय जरूरी है, और अनीता इस मैसेज को स्पष्ट रूप से संप्रेषित कर रही हैं।
इस साल चुनाव नहीं लड़ेंगी
इसके साथ ही, अनीता ने पुष्टि की है कि वह इस साल होने वाले चुनावों में भाग नहीं लेंगी। उनका यह निर्णय उनके समर्थकों के लिए निराशाजनक हो सकता है, लेकिन कई राजनीतिक विशेषज्ञ इसे एक स्थायी और रणनीतिक निर्णय मानते हैं। अनीता आनंद की ऊर्जा और नेतृत्व में विश्वास को देखते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि वह भविष्य में कौन से रास्ते अपनाएँगी।
राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव
उनके इस निर्णय का कनाडा की राजनीति पर कितना बड़ा प्रभाव पड़ेगा, यह तो भविष्य में ही पता चलेगा, लेकिन उनके द्वारा अपनाई गई इस रणनीति शायद अन्य नेताओं के लिए एक उदाहरण बन सकती है। राजनीतिक स्थिरता और योजना बनाना हर नेता की प्राथमिकता होनी चाहिए, खासकर जब बात प्रधानमंत्री जैसी उच्च पद की हो।
इससे पहले, अनीता आनंद ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी आवाज़ उठाई है। उनकी सोच और दृष्टिकोण ने उन्हें एक महत्वपूर्ण स्थान पर पहुंचा दिया है। अब देखना ही होगा कि यह निर्णय उनके करियर को कैसे प्रभावित करता है।
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