ट्रम्प ने एजुकेशन डिपार्टमेंट बंद करने का ऑर्डर दिया:बोले- विभाग शिक्षा सुधार में फेल; 8वीं क्लास के 70% स्टूडेंट ठीक से पढ़ नहीं पाते

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को एजुकेशन डिपार्टमेंट बंद करने की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश पर साइन कर दिए। आदेश में कहा गया कि दिव्यांग बच्चों के लिए पेल ग्रांट और टाइटल I फंडिंग जैसे जरूरी प्रोग्राम जारी रहेंगे।ये प्रोग्राम अन्य एजेंसियों को सौंपे जाएंगे। राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा आज हम ऐतिहासिक काम कर रहे हैं। मैं फेडरल एजुकेशन डिपार्टमेंट को हमेशा के लिए खत्म करने के आदेश पर साइन करूंगा। मुझे उम्मीद है कि डेमोक्रेट इसके लिए वोट करेंगे क्योंकि आखिर में यह उनके सामने आ सकता है। व्हाइट हाउस के आंकड़ों के अनुसार डिपार्टमेंट पिछले 40 सालों में भारी खर्च के बावजूद एजुकेशन में सुधार करने में असफल रहा है। 1979 से अमेरिकी एजुकेशन डिपार्टमेंट ने 3 ट्रिलियन डॉलर (करीब 259 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा खर्च किए हैं। इसके बावजूद 13 साल के बच्चों की मैथ और रीडिंग का स्कोर सबसे निचले स्तर पर हैं। चौथी क्लास के दस में से छह और आठवीं कक्षा के करीब तीन-चौथाई स्टूडेंट को ठीक तरह से मैथ नहीं आती। चौथी और आठवीं क्लास के दस में से सात स्टूडेंट ठीक से पढ़ नहीं पाते, जबकि चौथी क्लास के 40% स्टूडेंट बेसिक रीडिंग का स्तर भी पूरा नहीं कर पाते हैं। आदेश के बाद भी तुरंत बंद नहीं होगा डिपार्टमेंट एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रम्प के आदेश के बाद भी यह डिपार्टमेंट तुरंत बंद नहीं होगा। इसे बंद करने लिए अमेरिकी सीनेट (संसद का ऊपरी सदन) में 60 वोटों की जरूरत होगी, लेकिन यहां ट्रम्प की रिपब्लिकन के पास सिर्फ 53 सीटें हैं। इस डिपार्टमेंट को 1979 में अमेरिकी कांग्रेस (संसद) ने कैबिनेट स्तर की एजेंसी के तौर पर स्थापित किया था। इस डिपार्टमेंट के पास 268 अरब डॉलर डॉलर के फंडिंग प्रोग्राम की जिम्मेदारी है। यह स्टुडेंट्स के लिए लोन और स्पेशल एजुकेशन जैसे प्रोग्राम की देखरेख करती है। इसके साथ ही कम आय वाले स्कूलों को लोन भी देती है। विभाग बंद हुआ तो स्कूलों में असमानता पैदा होने का खतरा कई एक्सपर्ट्स को लगता है कि इस फैसले से सार्वजनिक शिक्षा गलत असर पड़ सकता है। केंद्र की निगरानी को हटाने से स्कूलों में असमानता पैदा हो सकती है। कुछ लोगों का मानना ​​है कि शिक्षा विभाग सभी छात्रों के लिए समान अवसर तय करने में जरूरी रोल निभाता है। ट्रम्प के समर्थकों का कहना है कि शिक्षा पर लोकल कंट्रोल ज्यादा बेहतर रहेगा। स्थानीय नेता, माता-पिता और स्कूल लोकल जरूरतों को बेहतर तरीके से समझते हैं। व्हाइट हाउस की तरफ से हैरिसन फील्ड्स ने मीडिया से कहा कि यह ऑर्डर माता-पिता और स्कूलों को बच्चों का रिजल्ट बेहतर करने में मदद करेगा। नेशनल असेसमेंट टेस्ट के हालिया स्कोर बताते हैं कि हमारे बच्चे पिछड़ रहे हैं। कई विभागों में छंटनी कर चुके हैं ट्रम्प 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद से ट्रम्प​ कई डिपार्टमेंट में छंटनी कर चुके हैं। ट्रम्प प्रशासन ने संघीय कर्मचारियों को बायआउट करने यानी खुद से नौकरी छोड़ने का ऑफर दिया था। नौकरी छोड़ने के बदले कर्मचारियों को 8 महीने का अतिरिक्त वेतन देने की बात कही थी। इसके अलावा ट्रम्प ने USAID के तहत विदेशों को दी जाने वाली सभी तरह की मदद पर रोक लगाने का भी आदेश दिया है। संघीय सरकार में 30 लाख से ज्यादा कर्मचारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक संघीय कर्मचारियों की संख्या 30 लाख से ज्यादा है। यह अमेरिका की 15वीं सबसे बड़ी वर्कफोर्स है। प्यू रिसर्च के मुताबिक एक संघीय कर्मचारी का औसत कार्यकाल 12 साल का होता है।

Mar 21, 2025 - 07:00
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ट्रम्प ने एजुकेशन डिपार्टमेंट बंद करने का ऑर्डर दिया:बोले- विभाग शिक्षा सुधार में फेल; 8वीं क्लास के 70% स्टूडेंट ठीक से पढ़ नहीं पाते
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को एजुकेशन डिपार्टमेंट बंद करने की प्रक्रिया शुर

ट्रम्प ने एजुकेशन डिपार्टमेंट बंद करने का ऑर्डर दिया

News by indiatwoday.com

ट्रम्प का विवादास्पद फैसला

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में शिक्षा विभाग को बंद करने का ऑर्डर दिया है। उनका कहना है कि यह विभाग शिक्षा सुधार में पूरी तरह से विफल रहा है। ट्रम्प के इस निर्णय ने शिक्षा प्रणाली पर बड़े पैमाने पर बहस को जन्म दिया है।

शिक्षा प्रणाली की स्थिति

ट्रम्प ने एक बयान में कहा कि अमेरिका में 8वीं कक्षा के 70% छात्र ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। यह आंकड़ा चिंताजनक है और इसे सुधारने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा विभाग की नीतियां छात्रों के लिए फायदेमंद नहीं रही हैं।

क्रिटिक्स और समर्थन

ट्रम्प के इस फैसले से कुछ लोगों ने समर्थन किया है जबकि अन्य ने इसकी तीखी आलोचना की है। आलोचकों का कहना है कि शिक्षा विभाग को सुधारने की आवश्यकता है, न कि उसे बंद करने की। वहीं, समर्थकों का मानना है कि ट्रम्प का यह कदम दशकों से चली आ रही राजनीति पर एक महत्वपूर्ण बदलाव हो सकता है।

क्या आगे बढ़ेगा सुधार?

शिक्षा विभाग के बंद करने के इस आदेश के बाद, सवाल उठता है कि क्या इससे वास्तव में शिक्षा में सुधार होगा? विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक बड़ा निर्णय है जो नवाचार और सुधार ला सकता है।

बाकी राष्ट्रीय नीतियों पर प्रभाव

ट्रम्प का यह फैसला केवल शिक्षा क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यापक राष्ट्रीय नीतियों पर भी असर डाल सकता है। कई लोग यह सोच रहे हैं कि इस कदम के बाद शिक्षा के क्षेत्र में और कौन से बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि ट्रम्प का ऑर्डर देश की शिक्षा प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। भविष्य में क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा।

निष्कर्ष

शिक्षा विभाग के बंद होने का आदेश न केवल ट्रम्प के प्रशासन के तहत शिक्षा नीतियों को चुनौती देता है, बल्कि यह उन सभी पर एक प्रश्न चिह्न खड़ा करता है जो शिक्षा में सुधार के लिए काम कर रहे हैं।

फिलहाल, देश के कोने-कोने में इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा जारी है और सभी की नजरें ट्रम्प के इस निर्णय पर बनी रहेंगी। Keywords: ट्रम्प शिक्षा विभाग बंद, 8वीं कक्षा के छात्र, शिक्षा सुधार अमेरिका, डोनाल्ड ट्रम्प निर्णय, शिक्षा नीति, छात्र पढ़ाई समस्या, शिक्षा प्रणाली अमेरिका, ट्रम्प शिक्षा योजना, शिक्षा विभाग की विफलता

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