'जो ज्ञान किताबों से नहीं, वो फिल्म से मिल रहा':CEC निदेशक बोले- 600 घंटे शूटकर बनाई 35 मिनट की शॉर्ट फिल्म
आज के दौर में टेक्नोलॉजी का रोल बेहद अहम है। एजुकेशन से लेकर फिल्म मेकिंग तक स्टूडेंट्स के अप्रोच में बदलाव आया है। इसका असर भी सीधे तौर पर दिखाई देता है। स्टूडेंट्स से लेकर टीचर्स तक सभी टेक्नोशैवी हो चुके हैं। ये कहना हैं कंसोर्टियम ऑफ एजुकेशनल कम्युनिकेशन के निदेशक प्रो.जेबी नड्डा का। प्रो.जेबी नड्डा ने बताया कि 3 दिन के इस एजुकेशनल फिल्म फेस्टिवल में 18 शार्ट फिल्म दिखाई जाएगी। प्रो.नड्डा ने एक शार्ट फिल्म के बारे में बताते हुए कहा- फिल्म मेकिंग एक आर्ट है, आपको समझना पड़ेगा कि शार्ट फिल्म तैयार करना आसान काम नहीं है। 600 घंटे की शूटिंग के बाद 'फर्स्ट फ्लाइट' नाम की एक बेहद नायाब शार्ट फिल्म तैयार हुई है। यह महज 35 मिनट की है और दर्शकों को इसने बेहद प्रभावित किया है। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 142वें एपिसोड में CEC के निदेशक प्रो.जेबी नड्डा से खास बातचीत.. प्रो.जेबी नड्डा ने बताया- 1993 में CEC को बनाया गया था। उस समय डॉक्यूमेंट्री ही बनाई जाती थी। मकसद, मूवीज के जरिए एजुकेशन बांटना था। बाद में मूक्स और स्वयं प्रभा के कोर्स आते हैं। सब्जेक्ट के तौर पर फिजिक्स को पढ़ना एक बात है, लेकिन सेंसटिविटी टुवर्ड्स एनवायरनमेंट भी बेहद जरूरी है। 2 तरीके से फिल्म फेस्टिवल होते हैं प्रो.जेबी नड्डा ने कहा- हम दो तरीके के एजुकेशनल फेस्टिवल करते हैं। एक प्राकृतिक फिल्म फेस्टिवल जो हम विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स के बीच करते हैं। यह भी ऐसा ही एक फेस्टिवल है। उन्होंने कहा- लखनऊ विश्वविद्यालय में 26वां एजुकेशनल फेस्टिवल कर रहे हैं। इससे पहले 25वां फेस्टिवल हमने इंदौर में किया था। मकसद सभी को ये बताना है कि स्टूडेंट्स के ओवरऑल डेवलपमेंट के लिए एजुकेशनल फिल्म फेस्टिवल बेहद जरूरी है।

जो ज्ञान किताबों से नहीं, वो फिल्म से मिल रहा: CEC निदेशक बोले- 600 घंटे शूटकर बनाई 35 मिनट की शॉर्ट फिल्म
राजनीतिक शिक्षा और समाज के विकास के लिए फिल्म मीडिया का उपयोग एक महत्वपूर्ण कदम है। हाल ही में CEC (चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त) निदेशक ने एक नई शॉर्ट फिल्म का अनावरण किया, जो एक अनूठी पहल के रूप में सामने आई है। उन्होंने बताया कि यह शॉर्ट फिल्म 600 घंटे की शूटिंग के बाद बनाई गई है, जिसमें 35 मिनट की कैप्चर की गई कहानी को प्रस्तुत किया गया है।
फिल्म का महत्व और कर्तव्य
CEC निदेशक ने इस बात पर जोर दिया कि वे केवल किताबों से नहीं बल्कि विज़ुअल माध्यम से भी ज्ञान हासिल कर सकते हैं। यह फिल्म न केवल शिक्षाप्रद है, बल्कि दर्शकों को महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक संदेश भी देती है। इस प्रकार की पहल से न केवल पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में सुधार होगा, बल्कि यह युवा पीढ़ी को भी प्रेरित करने में मदद करेगा।
600 घंटे का प्रयास
निर्माण प्रक्रिया में 600 घंटे का समय लगा, जिसने फिल्म के पीछे की मेहनत और समर्पण को स्पष्ट किया। फिल्म के निर्माण में शामिल सभी सदस्यों ने इस परियोजना को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह एक महान उदाहरण है कि कैसे विद्यार्थियों को सकारात्मक दृष्टिकोण से शिक्षित किया जा सकता है।
दर्शक की प्रतिक्रिया
फिल्म की पहली प्रदर्शनी के बाद, इसे दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। दर्शकों का मानना है कि यह फिल्म उनके सोचने के तरीके में बदलाव लाने में सक्षम है। सीईसी निदेशक ने भी दर्शकों की प्रतिक्रिया को प्रेरणादायक बताया और आशा जताई कि यह फिल्म आगे चलकर अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी योगदान देगी।
निष्कर्ष
यह फिल्म केवल एक शॉर्ट फिल्म नहीं, बल्कि एक विचारधारा का प्रतीक है। इसे देखकर युवा पीढ़ी को एक नई दिशा मिलेगी। CEC की यह सोच प्रशंसनीय है और इसके माध्यम से ज्ञान का प्रसार होगा। फिल्म देखना न केवल मनोरंजन है, बल्कि यह सामाजिक मुद्दों पर विचारशीलता की भी आवश्यकता है।
अंत में, अगर आप इस फिल्म के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या इससे संबंधित अन्य अपडेट्स प्राप्त करना चाहते हैं, तो कृपया हमारी वेबसाइट News by indiatwoday.com पर जाएं। Keywords: CEC निदेशक, शॉर्ट फिल्म, ज्ञान फिल्म के माध्यम से, 600 घंटे शूटिंग, सामाजिक शिक्षा, दर्शकों की प्रतिक्रिया, फिल्म निर्माण प्रक्रिया, ज्ञान किताबों से, युवा पीढ़ी की प्रेरणा, चुनाव आयोग फिल्म
What's Your Reaction?






