हाईकोर्ट ने कहा-गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराए सरकार:गाजियाबाद का मामला, कोर्ट ने कहा- पीड़िता जान के खतरे की आशंका से आवेदन करती हैं तो सुरक्षा दी जाए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गवाह संरक्षण योजना के तहत पीड़िता जान को खतरे की आशंका से आवेदन करती हैं तो उन्हें समुचित सुरक्षा दी जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला ने कविता चौधरी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया। गाजियाबाद के अधिवक्ता मनोज कुमार चौधरी की 2023 में उनके कक्ष में दो हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले का अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में लंबित मुकदमे को अलीगढ़ स्थानांतरित करने की मांगी में अर्जी दाखिल की। मृतक की पत्नी याची कविता चौधरी का कहना था कि हत्या के दो आरोपी वकालत करते हैं। उनके दबाव के चलते वह अपने मुकदमे में पैरवी के लिए कोई सक्षम वकील नहीं कर पा रही है। अभियुक्त नितिन डागर ने जेल से धमकियां दी थीं और सह-आरोपी अमित डागर और अनुज ने जेल के बाहर से धमकियां दी हैं। पीड़िता एक गरीब और पति के न होने से बेसहारा महिला है। वह अलीगढ़ में अपने पिता व भाई के साथ रह रही है। वह एक चश्मदीद गवाह है। ऐसे मे उसकी जान को खतरा है। इसलिए उसे सुरक्षा दी जाए। अदालत ने जिला न्यायाधीश गाजियाबाद से एक रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट में कहा गया कि याची महिला को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जा रही है। उसकी गवाही पहले ही हो चुकी है। यह भी बताया कि गवाहों को उनके साक्ष्य दर्ज करने के दौरान सुरक्षा प्रदान की जाएगी। न्यायालय ने कहा कि याची ने आरोपी से खतरे की कोई वास्तविक आशंका रिकॉर्ड में नहीं लाई। हालांकि, पक्षकारों की सुविधा और न्याय के हित में विचार करते हुए महेंद्र चावला और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य (2019) में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालना करते हुए गवाह संरक्षण योजना, 2018 के तहत सुरक्षा की मांग करने वाले आवेदन के साथ संबंधित अधिकारियों से संपर्क करता है तो अधिकारियों को स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित कर मुकदमे के समापन तक आवेदक और गवाहों के लिए पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

हाईकोर्ट का निर्देश: गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराए सरकार
गाजियाबाद में एक महत्वपूर्ण मामले में, हाईकोर्ट ने गवाहों की सुरक्षा को लेकर सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा है कि यदि पीड़िता जान के खतरे की आशंका के चलते सुरक्षा की मांग करती हैं, तो उन्हें फौरन सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। इस आदेश ने गवाहों और पीड़ितों की सुरक्षा से जुड़े कई उठते सवालों को उजागर किया है।
मामले की पृष्ठभूमि
गाजियाबाद में हाल ही में एक गंभीर घटना सामने आई थी, जिसमें पीड़िता ने सुरक्षा के लिए अदालत में आवेदन दिया था। पीड़िता का दावा था कि उसके जीवन को खतरा है। उच्च न्यायालय ने इस विषय पर सरकार के दृष्टिकोण की आलोचना की और सुरक्षा के उपायों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
अदालत का आदेश
हाईकोर्ट का यह आदेश न केवल गाजियाबाद के मामले के लिए बल्कि पूरे देश में सुरक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करता है। अदालत ने यह भी कहा कि गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने से न्याय प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा और लोग खुलकर न्याय के लिए आवाज उठा सकेंगे।
सरकार की जिम्मेदारी
सरकार को अब सक्रियता से कार्य करना होगा और गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रभावी योजनाएं बनानी होंगी। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि गवाह बिना किसी डर के अदालत में गवाही दे सकें। इसके लिए पुलिस प्रशासन को भी अपनी भूमिका निभानी होगी।
निष्कर्ष
इस उच्च न्यायालय के आदेश से यह स्पष्ट होता है कि गवाहों और पीड़ितों की सुरक्षा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह न केवल न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाता है, बल्कि समाज में विश्वास निर्माण में भी सहायक है। इससे भविष्य में और भी लोग न्याय के लिए आगे आएंगे।
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