हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया:ब्लाक प्रमुख दुद्धी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर कलेक्टर को नियमानुसार बैठक बुलाने का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोनभद्र दुद्धी के ब्लाक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव निरस्त करने के आदेश की वैधता की चुनौती याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए राज्य सरकार पर 50 हजार रूपए हर्जाना लगाया है। साथ ही सरकार को हर्जाना राशि कलेक्टर से भरपाई करने की छूट दी है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार हर्जाना राशि का याचीगण को एक माह में भुगतान करें। कोर्ट ने कलेक्टर द्वारा अपना वैधानिक दायित्व पूरा न कर अविश्वास प्रस्ताव पर जांच कमेटी गठित करने व डी पी आर ओ को आदेश पारित करने के लिए अधिकृत करने व कानून के खिलाफ काम करने पर यह आदेश दिया है। कोर्ट ने कलेक्टर को नियमानुसार कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए क्षेत्र पंचायत सदस्यों को 15 दिन की नोटिस देकर एक माह में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान की बैठक बुलाने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने क्षेत्र पंचायत सदस्य विकास कुमार व एक अन्य की याचिका पर दिया है। मालूम हो कि ब्लाक प्रमुख के खिलाफ 139 सदस्यो में से 101सदस्यो के हस्ताक्षर से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। जिलाधिकारी ने जांच कमेटी गठित की। जिसने रिपोर्ट दी कि कई सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर हैं। नियमानुसार प्रस्ताव नहीं लाया गया है। जिलाधिकारी ने डी पी आर ओ को रिपोर्ट पर आदेश पारित करने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा डी पी आर ओ को अविश्वास प्रस्ताव पर आदेश पारित करने का अधिकार ही नहीं है। उसका इससे कुछ भी लेना देना नहीं है और जिलाधिकारी को प्रस्ताव पर जांच कमेटी बनाने का अधिकार नहीं। उसे स्वयं नियमानुसार कार्यवाही करने का अधिकार है। जिलाधिकारी व डी पी आर ओ के आदेशों सहित जांच रिपोर्ट को कोर्ट ने अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया।और जिलाधिकारी द्वारा कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के विपरीत कार्यवाही करने के कारण 50 हजार रूपए का हर्जाना लगाया है।
हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: 50 हजार रुपये का जुर्माना
हाल ही में, उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना ब्लाक प्रमुख दुद्धी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर कलेक्टर को नियमानुसार बैठक बुलाने के निर्देश देने में विफलता के कारण लगाया गया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कलेक्टर की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि सभी प्रक्रियाएँ समय पर और नियमों के अनुसार पूरी हों।
अविश्वास प्रस्ताव की पृष्ठभूमि
ब्लाक प्रमुख दुद्धी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें सामुदायिक विकास के मुद्दों और प्रबंधन की पारदर्शिता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से लागू करना कलेक्टर की जिम्मेदारी है, और इसी संदर्भ में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट का आदेश
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह निकाय चुनाव में मदद करने और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने के लिए उचित कदम उठाए। इस फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में कोई भी अवरोध न आए। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि यह आदेश केवल दुद्धी के मामले में नहीं है, बल्कि पूरे राज्य में प्रशासन के लिए एक मिसाल स्थापित करेगा।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने कोर्ट के निर्देशों का स्वागत किया है और आश्वासन दिया है कि वह कानून का पालन करेगी। साथ ही, अधिकारियों को कलेक्टर के सहयोग से अतिशीघ्र बैठक बुलाने के आदेश दिए गए हैं। इस निर्णय को लेकर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है।
भविष्य की संभावनाएँ
इस निर्णय के बाद, यह देखना होगा कि राज्य सरकार अपने वादों को पूरा कर पाती है या नहीं। क्या यह न्यायालय का आदेश अन्य राज्य सरकारों के लिए एक उदाहरण बनेगा? प्रशासन में सुधार हेतु ऐसे निर्णय सार्थक साबित हो सकते हैं।
युवा नेता और राजनीतिक विश्लेषक इस मुद्दे पर जोर दे रहे हैं कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।
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