हिमाचल की डल झील पुनर्जीवित का काम शुरू:पोकलेन से गाद निकाली जा रही, 15 लाख होंगे खर्च
हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज के नड्डी क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक डल झील के पुनरुद्धार का काम शुरू हो गया है। जिला प्रशासन ने इस कार्य के लिए 15 लाख रुपए का बजट मंजूर किया है। पहले चरण में 5 लाख रुपए जारी किए गए हैं। विशेष पोकलेन मशीनों से झील के 10 से 15 मीटर क्षेत्र में जमी गाद को निकाला जा रहा है। डल झील का धार्मिक और पर्यटन दोनों दृष्टि से विशेष महत्व है। प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां आते हैं। बीडीओ अभिनीत कात्यायन के अनुसार गाद निकालने के बाद झील में हो रहे रिसाव को रोका जाएगा। साथ ही जल प्रवाह को भी सुधारा जाएगा। आगामी पर्यटन सीजन से पहले झील का कायाकल्प पूरा करने का लक्ष्य है। वर्तमान में झील का 30% हिस्सा रिसाव की समस्या से जूझ रहा है। गाद जमा होने से झील की गहराई कम हुई है। कुछ हिस्सा घास के मैदान में तब्दील हो चुका है। इससे पहले भारत के 'झील पुरुष' आनंद मल्लिगावाद ने झील के पुनरुद्धार की योजना बनाई थी। उन्होंने जल चैनलों को मजबूत करने और आसपास की पहाड़ियों में कटाव रोकने का सुझाव दिया था। प्रशासन का दावा है कि समय पर काम पूरा कर पर्यटकों और श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव प्रदान किया जाएगा।

हिमाचल की डल झील पुनर्जीवित का काम शुरू
हिमाचल प्रदेश में डल झील का पुनर्जीवित करने का महत्वपूर्ण कार्य अब आधिकारिक रूप से शुरू हो चुका है। यह प्रोजेक्ट हिमाचल सरकार द्वारा चलाया जा रहा है, जिसमें झील से अत्यधिक गाद निकालने के लिए पोकलेन मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। इससे झील की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसे पूरा करने के लिए लगभग 15 लाख रुपये की लागत आने की उम्मीद है।
डल झील का महत्व
डल झील न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण केंद्र है। इसके चारों ओर फैली हरियाली और शांतिपूर्ण वातावरण इसे उच्च बिंदु बनाते हैं। पुनर्जीवन के इस प्रयास से न केवल पर्यटकों की आमद बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी भी उन्नत होगी।
गाद निकासी प्रक्रिया
पोकलेन मशीनों के माध्यम से गाद की निकासी प्रारंभ हो चुकी है। यह प्रक्रिया झील के भीतर जमा हुए तले और प्रदूषकों को हटाने का काम करेगी, जिससे जल गुणवत्ता में सुधार होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह न केवल झील के पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि स्थानीय मछुआरों और आर्थिकी पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
राज्य सरकार की पहल
हिमाचल प्रदेश सरकार की यह पहल झीलों और जलाशयों के संरक्षण के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाती है। यह परियोजना सुशासन और पर्यावरण संरक्षण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। परियोजना को सफल बनाने के लिए स्थानीय समुदाय का सहयोग भी आवश्यक है, जो सरकार की योजनाओं में भाग लेकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।
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