19 साल बाद पुष्य योग में होगी मकर संक्रांति:खुलेंगे मोक्ष के द्वार; स्नान व दान का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 9 से 10:50 बजे तक
13 जनवरी को महाकुंभ की शुरुआत के दूसरे दिन मकर संक्रांति का पर्व है। इस बार ग्रह, नक्षत्र और पूर्ण महाकुंभ के संयोग से मकर संक्रांति का पर्व भी महापर्व बन गया है। 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मंगल पुष्य योग भी बन रहा है। जो कि बेहद शुभ योग माना जा रहा है। खास बात यह है कि 19 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग में मकर संक्राति का पर्व मनाया जाएगा। जिसमें दान, पुण्य, आध्यात्मिक कार्यों से 100 साल पूर्व तक के पापों से मुक्ति मिलेगी। शाम 5:37 तक रहेगा मुहूर्त ज्योतिषाचार्य मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि मकर संक्रांति का पुण्य काल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और शाम 5 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगा। मकर संक्रांति का महा पुण्य काल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से सुबह 10 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। यह दोनों ही समय स्नान और दान के लिए बेहद शुभ है। जीवन में दोबारा नहीं आएगा ऐसा संयोग खास बात यह है कि 144 वर्ष पड़ने वाले महाकुंभ में दुर्लभ योग में मनाई जाने वाली मकर संक्रांति का महापर्व इंसान के जीवन में दोबारा नहीं आएगा। 144 वर्षों बाद अद्भुत संयोग में पूर्ण महाकुंभ स्नान दान का करोड़ गुना फल मिलेगा। क्योंकि ऐसा अद्भुत संयोग वर्षों बाद ही बनेगा। मकर संक्रांति के पर्व पर गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलेगी और अक्षय पुण्य की प्राप्ति से मोक्ष मार्ग के द्वार खुलेंगे। पूर्ण महाकुंभ का संयोग कुंभ मेले का आयोजन ग्रहों और नक्षत्रों की विशिष्ट स्थिति के आधार पर किया जाता है। कुंभ मेला तब आयोजित होता है जब सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति एक विशिष्ट स्थिति में होते हैं, लेकिन जब बृहस्पति वृष राशि में और सूर्य मकर राशि व चंद्रमा और अन्य ग्रह शुभ स्थानों पर होते हैं, तब महाकुंभ का समय बनता है। यह संयोग हर 144 वर्षों में एक बार आता है। पृथ्वी पर उतरती है अमृत कलश की विशेष ऊर्जा इस संयोग को विशेष रूप से शुभ और दिव्य माना जाता है। हर 144 साल में एक दुर्लभ खगोलीय घटना होती है, जो कुंभ मेले को विशिष्ट बना कर महाकुंभ बना देती है। हिंदू ज्योतिषीय गणनाओं में 12 और 144 वर्षों के चक्र का महत्व बताया गया है। 12 साल के चक्र को एक सामान्य कुंभ मेला आयोजित होता है और 12 कुंभ मेलों के बाद विशेष महाकुंभ आयोजित होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि महाकुंभ में स्नान और पूजा करने से कई गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। इसे देवताओं और ऋषियों ने भी अत्यधिक पवित्र माना है। यह माना जाता है कि हर 144 साल में अमृत कलश से विशेष ऊर्जा पृथ्वी पर उतरती है, जिससे यह मेला और अधिक पवित्र हो जाता है।

19 साल बाद पुष्य योग में होगी मकर संक्रांति
इस वर्ष मकर संक्रांति एक विशेष महत्व रखती है क्योंकि यह 19 वर्षों के बाद पुष्य योग के साथ आ रही है। इस अद्भुत संयोग के चलते, भक्तों के लिए मोक्ष के द्वार खुलने की संभावना जताई जा रही है। यह समय न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी बेहद खास है।
पुष्य योग का महत्व
पुष्य योग को भारतीय संस्कृति में बेहद शुभ माना जाता है। इसे अक्सर खुशियों और समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। संदेश है कि इस अवसर पर किए गए स्नान और दान का फल अनंत होता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति के दिन लोग पुण्य अर्जित करने के लिए स्नान और दान करने का महत्व देते हैं।
स्नान और दान का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से स्नान और दान का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजे से 10:50 बजे तक रहेगा। इस समय के दौरान स्नान करने से व्यक्ति को कई प्रकार के लाभ और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। इसलिए, सभी भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे इस समय विशेष ध्यान दें और धार्मिक कार्यों में संलग्न हों।
मकर संक्रांति और भारतीय परंपराएँ
मकर संक्रांति भारतीय परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व न केवल कृषि से जुड़े मामलों को उजागर करता है, बल्कि यह सद्भाव और एकता का प्रतीक भी है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, तिल और गुड़ का सेवन करते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं।
इस विशेष दिन का स्वागत करते हुए, कई स्थानों पर मेलों और उत्सवों का आयोजन किया जाता है। विशेष रूप से उत्तर भारत में यह एक खुशी का पर्व है, जहां लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर इसे मनाते हैं।
इस बार मकर संक्रांति कई संदर्भों में विशेष है, और सभी को इसके महत्व को समझते हुए इस पर्व को मनाना चाहिए।
News by indiatwoday.com
कुल मिलाकर, यह मकर संक्रांति आपके जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने का अवसर है। इसे अपने जीवन में सम्मानित स्थान देने का प्रयास करें। Keywords: मकर संक्रांति 2024, पुष्य योग मकर संक्रांति, स्नान व दान का मुहूर्त, मकर संक्रांति का महत्व, 19 साल बाद मकर संक्रांति, धार्मिक पर्व मकर संक्रांति, मोक्ष के द्वार, पुष्य नक्षत्र, भारतीय संस्कृति Festivals, तिल गुड़ का महत्व
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