76वे गणतंत्र दिवस पर 14 कैदियों को किया गया रिहा:अर्थ दंड के एवज में काट रहे थे सजा, जेल प्रशासन ने जमा कराया अर्थ दंड
76वे गणतंत्र दिवस पर ऐसे कैदी जो अपनी सजा पूरी कर चुके थे लेकिन अर्थदंड जमा नहीं कर पा रहे थे। ऐसे कैदियों को रिहा किया गया है। 76वे गणतंत्र दिवस पर जेल से आजादी मिलने पर सभी कैदी काफी खुश दिखे। जेल प्रशासन ने जमा किया अर्थदंड बरेली की जिला जेल और सेंट्रल जेल में कई सारे कैदी ऐसे है जिनकी सजा पूरी हो चुकी है। लेकिन वो सजा के साथ जो जुर्माना लगाया गया था उसको जमा नहीं कर पा रहे थे। जिसके बाद ऐसे कैदियों को रिहा किया गया। सेंट्रल जेल और जिला जेल में सजा काट रहे 14 बंदियों के लिए 76वां गणतंत्र दिवस एक नई सुबह लेकर आई। जिला जेल में अर्थ दंड के एवज में सजा काट रहे पांच कैदियों को रिहा किया गया। जिनका कुल 16068 रुपए जिला जेल प्रशासन ने जमा कराया। साथ ही सेंट्रल जेल में सजा काट रहे 9 कैदियों को रिहा किया गया है। जिसमें होशियार सिंह, जफर, गुड्डू, नमो और तहसीन शामिल हैं। इसी तरह सेंट्रल जेल से महिपाल, हरिओम, सुखवीर, राहत अली, जानकी, इकराम, चरन सिंह, जमीर और अजय पाल उर्फ छोटे को रिहा किया गया। रविवार की दोपहर मिलो आज़ादी इन सभी कैदियों को रविवार की दोपहर रिहा कर दिया गया। जेल अधीक्षक विपिन मिश्रा ने सभी से हाल-चाल जाना और फूलमाला पहनाकर सम्मान के साथ सभी को विदा किया। साथ ही घर ले जाने के लिए मिठाई के डिब्बे भी दिए।

76वे गणतंत्र दिवस पर 14 कैदियों को किया गया रिहा
भारत का 76वां गणतंत्र दिवस एक ऐसा अवसर है जब देशभर में विभिन्न कार्यक्रम और उत्सव मनाए जाते हैं। इस विशेष दिन पर, जेल प्रशासन ने 14 कैदियों को रिहा करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। ये कैदी अर्थ दंड के एवज में सजा काट रहे थे, जिससे उनके परिवारों को राहत मिली है।
कैदियों की रिहाई का निर्णय
यह रिहाई भारतीय संविधान के अनुसार सामाजिक सामर्थ्य और सुधार के सिद्धांत के मद्देनजर किया गया है। जेल प्रशासन ने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए इस कदम को उठाया, जिसमें कैदियों द्वारा जमा किए गए अर्थ दंड को ध्यान में रखा गया।
अर्थ दंड का महत्व
अर्थ दंड उस पारिस्थितिकी का एक हिस्सा है जिसमें कैदियों को उनकी सजा के बदले आर्थिक जुर्माना अदा करना होता है। यह प्रणाली कैदियों को पुनर्वास और समाज में शामिल होने का एक मौका देती है। अर्थ दंड के माध्यम से, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि कैदियों को ना केवल सजा मिले बल्कि उन्हें अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए।
समाज पर प्रभाव
गणतंत्र दिवस पर कैदियों की रिहाई ने समाज में एक सकारात्मक संदेश भेजा है। यह केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं बल्कि एक मानवीय पहल है जो उन लोगों के लिए दूसरा मौका प्रदान करता है, जो अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ना चाहते हैं।
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आगे की योजनाएं
जेल प्रशासन का यह निर्णय भविष्य में अन्य कैदियों के लिए भी एक उदाहरण बनेगा। उनके पुनर्वासन के प्रयासों के तहत, विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिससे वे समाज में सही ढंग से एकीकृत हो सकें।
निष्कर्ष
76वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर कैदियों की रिहाई न केवल उन्हें स्वतंत्रता प्रदान करती है, बल्कि यह समाज को भी एक नया दृष्टिकोण देती है। आशा है कि ये 14 कैदी समाज में नई शुरुआत करेंगे और देश के विकास में योगदान देंगे। Keywords: गणतंत्र दिवस 2023, 76वां गणतंत्र दिवस, कैदियों की रिहाई, अर्थ दंड, जेल प्रशासन, सामाजिक न्याय, संविधान, पुनर्वासन, भारत का गणतंत्र दिवस, कैदी सुधार, कैदियों की मानवीयता, भारतीय न्याय प्रणाली
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