AAP ने पोस्टर में अमित शाह को चुनावी मुसलमान बताया:लिखा-चुनाव आते ही मुसलमान क्यों याद आते हैं; BJP के पोस्टर में राघव चड्ढा-आतिशी-संजय सिंह बने 'गुंडे'
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और भाजपा में पोस्टर वॉर चल रहा है। चुनावी हिंदू वाले पोस्टर के जवाब में चुनावी मुसलमान का पोस्टर जारी किया है। इसमें अमित शाह को टोपी पहने दिखाई दे रहे हैं। पोस्टर में लिखा है- कभी सोचा है बीजेपी को चुनाव आते ही मुसलमानों की इतनी याद क्यों आती है। इस पोस्टर के जवाब में BJP ने भी एक पोस्टर जारी किया है, जिसमें संजय सिंह, आतिशी और राघव चड्ढा को गुंडे दिखाया गया है। पोस्टर में लिखा है- जब दिखने लगी अपनी हार साफ-साफ तो चुनाव अधिकारियों को धमकाने लगी AAP। दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 23 फरवरी को खत्म हो रहा है। इसके अलावा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान मंगलवार दोपहर बजे करने वाला है।

AAP ने पोस्टर में अमित शाह को चुनावी मुसलमान बताया
दिल्ली में चुनावों के दौरान राजनैतिक पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने एक पोस्टर जारी किया है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को 'चुनावी मुसलमान' के रूप में चित्रित किया गया है। इसके साथ ही पार्टी ने यह सवाल उठाया है कि चुनावों के समय मुसलमानों की याद क्यों आती है। AAP के इस साहसिक कदम ने राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है।
BJP के पोस्टर की आलोचना
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी AAP पर पलटवार किया है। BJP के पोस्टरों में राघव चड्ढा, आतिशी और संजय सिंह को 'गुंडे' के रूप में चित्रित किया गया है। इस प्रकार की राजनीतिक बयानबाजी से चुनावी माहौल और भी गर्म हो गया है। AAP और BJP दोनों पक्ष अपने-अपने कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने के लिए ऐसे पोस्टरों का सहारा ले रहे हैं।
चुनावी रणनीति और मुसलमानों का मुद्दा
चुनाव के समय मुसलमान वोटरों के महत्व को लेकर की गई चर्चा नयी नहीं है। राजनीतिक पार्टियाँ इस समुदाय को अपने पक्ष में लाने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपनाती हैं। इस स्थिति में AAP की सीमाओं और बीजेपी की नई रणनीतियों के बारे में अपनी राय बनाना महत्वपूर्ण है।
चुनावी नतीजों पर प्रभाव
ऐसे पोस्टर और पर्चों के पीछे का उद्देश्य वोटरों का ध्यान आकर्षित करना और चुनावी अभियान में मजबूती लाना है। लेकिन क्या यह रणनीति सफल होगी? चुनावी नतीजे ही यह तय करेंगे कि कौन सी पार्टी ने सही नीति अपनाई।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस प्रकार के विवादित मुद्दे केवल चुनावों में लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए होते हैं, लेकिन लंबे समय में इसका असर पार्टी की छवि पर पड़ सकता है। इसलिए, यह जानना जरूरी है कि जब चुनाव आते हैं, तो राजनीति में व्यक्तिगत हमलों की भरमार होती है।
अंततः, AAP और BJP के बीच का यह टकराव आगामी चुनावों के लिए एक महत्त्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, ऐसे मुद्दे अधिक धीरे-धीरे उभरकर सामने आ रहे हैं।
अंतिम विचार
चुनावों की इस समयावधि में, ऐसी राजनीति केवल एक रणनीति होते हुए प्रतीत होती है। इन सभी घटनाक्रमों का चुनावी परिणाम पर क्या असर होगा, यह देखना अभी बाकी है।
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