BHU के डाक्टरों ने डेढ़-साल के बच्ची की बचाई जान:दो चरण में 10 घंटे तक चली सर्जरी,ट्यूमर की वजह से बढ़ रही थी दिक्कत
बीएचयू अस्पताल में 20 डॉक्टरों की टीम ने डेढ़ साल की बच्ची की सर्जरी कर करीब एक किलो का ट्यूमर निकाला। 10 घंटे तक दो चरणों में सर्जरी की गई। इसमें बाल सर्जरी विभाग के साथ ही कार्डियोथोरेसिक विभाग सहित अन्य विभाग के डॉक्टरों की टीम रही। सर्जरी के बाद बच्ची अब पूरी तरह से स्वस्थ है। अब महामना कैंसर संस्थान में उसकी कीमोथेरेपी चलेगी। डेढ माह से चल रहा था इलाज बच्ची का इलाज महामना कैंसर अस्पताल में डेढ़ महीने से चल रहा था। उसके शरीर में ट्यूमर गुर्दे से लेकर हृदय तक फैल चुका था। महामना कैंसर अस्पताल में ट्यूमर को फैलने से रोकने के लिए कीमोथेरेपी दी जा रही थी। बाद में बच्ची की सर्जरी के लिए उसे बीएचयू के कार्डियोथोरेसिक विभाग में रेफर किया गया। सिद्धार्थ लखोटिया और बाल सर्जरी विभाग के प्रो. वैभव पांडेय के नेतृत्व में मार्च के अंत में बच्ची की सर्जरी की गई। प्रो. वैभव पांडेय ने बताया कि रेडियोलॉजी विभाग के डॉ. ईशान के सहयोग से क्लिनिको-रेडियोलॉजिकल मूल्यांकन और डॉ. प्रतिभा राय की टीम ने हृदय में ट्यूमर के विस्तार का विश्लेषण किया। टीम में डॉ. आरबी सिंह और डॉ. संजीव की टीम ने भी सहयोग किया। निजी अस्पताल में 25 लाख खर्च, बीएचयू में केवल 60 हजार में सर्जरी प्रो. वैभव पांडेय ने बताया कि बच्ची की उम्र, बीमारी की गंभीरता और विशेष उपकरणों (जैसे छोटे आकार के इंस्ट्रूमेंट्स और बाईपास कैथेटर) के कारण इस सर्जरी में किसी निजी अस्पताल में कम से कम 25 लाख तक का खर्च होता। यह टीम रही मौजूद बीएचयू में इस सर्जरी पर 60 हजार रुपये खर्च हुए। दो चरण में हुई सर्जरी में पहले चरण में प्रो. वैभव पांडेय, डॉ. रुचिरा, डॉ. सेठ, डॉ. भानुमूर्ति, डॉ. मनीष और डॉ. राघव ने ट्यूमर को पेट के पास से हटाया। इसके बाद प्रो. सिद्धार्थ लखोटिया और उनकी टीम ने कार्डियक बाइपास के तहत हृदय खोलकर राइट एट्रियम से ट्यूमर को हटाया। यह प्रक्रिया बीटिंग हार्ट पर की गई और ट्रांस-ईसोफेगल ईको से गाइड की गई। इसे डॉ. संजीव की टीम ने संभाला।

BHU के डाक्टरों ने डेढ़-साल के बच्ची की बचाई जान
हाल ही में, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सकों ने एक डेढ़ साल की बच्ची की जान को बचाने में सफलतापूर्वक महत्वपूर्ण सर्जरी की। यह सर्जरी दो चरणों में की गई थी और इसका कुल समय 10 घंटे से अधिक था। बच्ची को एक गंभीर ट्यूमर के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, जिससे उसकी स्थिति काफी गंभीर हो गई थी। डॉक्टरों की टीम ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए त्वरित निर्णय लिया, जिससे बच्ची की जान बचाने में मदद मिली।
सर्जरी की प्रक्रिया
डॉक्टरों ने दो चरणों में यह जटिल ऑपरेशन किया। पहले चरण में, ट्यूमर के आकार को समग्र रूप से कम करने का प्रयास किया गया। इसके बाद दूसरे चरण में, ट्यूमर को पूरी तरह से हटाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। इस दौरान, मेडिकल टीम ने अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया, जिससे बच्ची की जान सुरक्षित रही।
चिकित्सकीय टीम की मेहनत
इस जटिल सर्जरी में कई विशेषज्ञों की एकीकृत टीम शामिल थी, जिसमें सर्जन, एनेस्थेटिस्ट, और अन्य विशेषज्ञ शामिल थे। चिकित्सा विज्ञान में विशेषज्ञता रखने वाले इन डॉक्टरों ने अपनी मेहनत और ज्ञान के साथ बच्ची की जान को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भविष्य की संभावनाएँ
सर्जरी के बाद, बच्ची की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार दिख रहा है और चिकित्सा टीम द्वारा उसकी देखभाल की जा रही है। चिकित्सकों का मानना है कि उचित देखभाल और समय पर चिकित्सा की मदद से बच्ची जल्द ही पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगी।
यह घटना न केवल बच्ची के परिवार के लिए एक राहत बनकर आई है, बल्कि पूरे मेडिकल समुदाय के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत है। डॉक्टरों की विशेष योग्यता और उच्चतम स्तर की चिकित्सा सेवाएँ बहुत से जीवन को बचा सकती हैं।
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