अयोध्या जमीन मुआवजा विवाद:ढाई साल में जवाब न देने पर सरकार पर 15 हजार का हर्जाना, 3 हफ्ते में जवाब देना होगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या में भूमि अधिग्रहण मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार पर 15 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। यह हर्जाना ढाई साल से मामले में जवाब न देने के कारण लगाया गया है। न्यायमूर्ति राजन राय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने यह आदेश जयंती चौधरी और अन्य की याचिका पर दिया। कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया है। इस दौरान सरकार को हर्जाना जमा करने के बाद होग अपना जवाब दाखिल करना होगा। मामले में एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि एक ही गाटा संख्या के लिए अलग-अलग क्षतिपूर्ति दी गई। एक खाताधारक को 1280 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा मिला। वहीं, अन्य खातेदारों को 748 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से क्षतिपूर्ति दी गई। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर तीन हफ्ते में सरकार जवाब नहीं देती है, तो अगली सुनवाई में उसे और मौका नहीं दिया जाएगा। गौरतलब है कि इस मामले में 9 मई 2022 को भी सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया गया था।

Mar 4, 2025 - 22:59
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अयोध्या जमीन मुआवजा विवाद:ढाई साल में जवाब न देने पर सरकार पर 15 हजार का हर्जाना, 3 हफ्ते में जवाब देना होगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या में भूमि अधिग्रहण मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया

अयोध्या जमीन मुआवजा विवाद: ढाई साल में जवाब न देने पर सरकार पर 15 हजार का हर्जाना, 3 हफ्ते में जवाब देना होगा

अयोध्या में जमीन मुआवजा विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। विशेष न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि यदि वह ढाई साल के भीतर मुआवजा की मांग का जवाब नहीं देती है, तो उसे 15 हजार रुपये का हर्जाना देना होगा। यह आदेश एक हालिया मामले में सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें शिकायतकर्ता ने सरकार की इस लापरवाही के खिलाफ याचिका डाली थी।

जमीन मुआवजा के मुद्दे पर सरकार की जिम्मेदारी

सरकार पर यह जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों के मामलों पर समय पर जवाब दे। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो यह न केवल न्यायालय के प्रति अवमानना का मामला बनता है, बल्कि यह नागरिक अधिकारों का उल्लंघन भी है। विशेष न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि 3 हफ्ते के भीतर सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।

मुआवजा विवाद का विस्तृत पृष्ठभूमिका

अयोध्या में यह मुआवजा विवाद कई सालों से चला आ रहा है। इसके अंतर्गत कई जमीन धारकों का दावा है कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया है। जानकारी के अनुसार, इस मामले में अब तक विभिन्न स्तरों पर विवाद हुए हैं, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट समाधान नहीं निकला है।

नागरिकों के लिए क्या है यह आदेश?

यह आदेश केवल मुआवजा पाने वालों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि सरकारी लापरवाही के खिलाफ कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं। इससे यह भी संदेश मिलता है कि नागरिकों को अपनी आवाज उठाने और अपने अधिकारों की रक्षा करने का पूरा हक है।

इस विशेष न्यायालय के आदेश से यह उम्मीद की जा रही है कि सरकार अब इस मुद्दे पर तेजी से कार्रवाई करेगी और नागरिकों के मुआवजा मामलों का समाधान करेगी।

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