ऊना में साधु की मौत:बाबा मस्त की समाधि के पास मिला शव, 3 साल से श्मशान में रह रहे थे
हिमाचल प्रदेश के ऊना की नगर पंचायत अंब में एक साधु का शव बरामद हुआ है। मृतक साधु पिछले तीन साल से स्थानीय श्मशान घाट में रह रहा था। श्मशान घाट में रहने वाले एक अन्य साधु धर्मवीर ने बताया कि कुछ समय पहले मृतक को पैरालिसिस हो गया था। इसके बाद वह बाबा मस्त की समाधि के पास रहने लगा था। स्थानीय लोग उसे दिन में दो बार भोजन उपलब्ध कराते थे। नगर पंचायत के सफाई कर्मचारी उसकी देखभाल में मदद करते थे। मंगलवार सुबह साधु को उसके बिस्तर के पास मृत अवस्था में पाया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने सबसे पहले नगर पंचायत अध्यक्ष को इसकी सूचना दी। अध्यक्ष ने तुरंत पुलिस को सूचित किया और आवश्यक व्यवस्था की। एसएचओ अनिल उपाध्याय ने घटना की पुष्टि की है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए ऊना भेज दिया है। मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

ऊना में साधु की मौत: बाबा मस्त की समाधि के पास मिला शव
ऊना: हाल ही में ऊना जिले में एक साधु की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई है। यह शव बाबा मस्त की समाधि के निकट पाया गया, जो पिछले तीन वर्षों से स्थानीय श्मशान में कष्ट भोग रहे थे। इस घटना ने ग्रामीणों में चर्चाएं शुरू कर दी हैं और स्थानीय प्रशासन के लिए जांच का विषय बन गया है।
स्थान और स्थिति
जानकारी के अनुसार, साधु ने श्मशान में अपना जीवन बिताया और कहा जाता है कि वे दीवानगी की अवस्था में थे। उनके शव के पास किसी भी प्रकार के युद्ध या संघर्ष के निशान नहीं मिले हैं, जिससे आशंका बढ़ गई है कि उनकी मृत्यु स्वाभाविक हो सकती है। ग्रामीणों ने बताया कि साधु हमेशा ध्यान और साधना में लिप्त रहते थे और उनके पास कभी-कभार ही कोई आता था।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने कहा है कि साधु की साधना और उनकी जीवनशैली ने कई लोगों को प्रभावित किया था। हालांकि, अब उनकी मृत्यु के कारण और फिर से एक बार चर्चा का विषय बन गया है। कई लोग इस घटना को भाग्यवाद से जोड़कर देख रहे हैं, और यह सोच रहे हैं कि क्या साधु ने अपनी अंतिम संस्कार की तैयारी पहले से कर ली थी।
प्रशासनिक कार्रवाई
स्थानीय पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है, और इस मामले की पूरी जांच शुरू कर दी गई है। उन्हें यह पता लगाने की जरूरत है कि उनके अचानक निधन का कारण क्या था। इसके साथ ही, प्रशासन का ध्यान साधुओं की सुरक्षा और उनके प्रति समाज की जिम्मेदारी पर भी काफी है।
इस प्रकार की घटनाएं समाज में विश्वास और श्रद्धा के सवालों को भी जन्म देती हैं। इस मामले की विस्तृत जांच जरूरी है ताकि समाज को सही जानकारी मिल सके।
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