काशी का लौंगलता, पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफ:नेता से स्टूडेंट तक इस स्वाद के दिवाने, चाय-समोसे के साथ खूब जमता है इसका रंग

बनारस...बाबा विश्वनाथ की नगरी। यहां धर्म-अध्यात्म के साथ पकवानों का स्वाद भी लोगों की जबान पर छाया रहता है। ऐसे ही जायकों में मशहूर है यहां का लौंगलता। चासनी में डूबी यह खास मिठाई आपका दिल खुश कर देगी। वैसे तो यूपी के कई जिलों में यह मिठाई मिलती है, लेकिन यहां जैसा स्वाद आपको कहीं और नहीं मिलेगा। चाहे लंका चौराहा हो, विश्वनाथ टेंपल हो, काशी विश्वनाथ धाम हो, हर जगह समोसा-कचौड़ी के साथ लौंगलता जरूर मिलेगा। काशी में इसकी डिमांड भी ज्यादा है। जायका सीरीज में आज चलते हैं बीएचयू वीटी पर स्थित भीम की दुकान पर...जानते हैं कि आखिर क्यों लौंगलता लोगों को पसंद है... बनारस में काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित विश्वनाथ मंदिर के पास करीब 100 साल पुरानी दुकान है। इस दुकान के मालिक भीम ने बताया- मेरे दादा को मदन मोहन मालवीय ने यह दुकान चलाने के लिए दी थी। तब से यह दुकान लगातार चल रही है। 65 साल पहले हमारे दादा ने लौंगलता बनाने की शुरुआत की। इसके बाद से ही यह खास मिठाई बन रही है। जब विश्वविद्यालय राजनीति का केंद्र हुआ करता था, तब बड़े-बड़े नेता यहां पर आकर लौंगलता का स्वाद भी लेते थे। आज भी युवाओं की सबसे पसंदीदा दुकान यही है। भीम ने बताया- हमारी दुकान पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा, सांसद मनोज तिवारी, वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा समेत दर्जनों दिग्गज लौंगलता खाने आ चुके हैं। हमारी दुकान सुबह 7 से शाम को 7 बजे तक खुलती है।​​​​​​ 10 रुपए का एक पीस भीम कहते हैं- हमारी दुकान पर 10 रुपए का एक पीस लौंगलता मिलता है। एक दिन में करीब 500 पीस तक बनाते हैं। विशेष ऑर्डर की बात अलग है, तब ज्यादा बनाया जाता है। पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लौंगलता मिठाई की तारीफ कर चुके हैं। 24 मार्च, 2024 को वाराणसी में जनसभा के दौरान उन्होंने कहा था कि बनारस आएं, तो इस मिठाई का स्वाद जरूर चखें। इसके बाद इस मिठाई को जीआई टैग दिलाने की कवायद भी शुरू हो गई। जीआई विशेषज्ञ डॉ रजनीकांत ने कहा- लौंगलता का भी नाम जीआई के लिए भेजा जा रहा है। अब जानते हैं दुकान पर मौजूद लोगों ने क्या कहा... ............... आप 'जायका यूपी का' सीरीज की ये 4 कहानियां भी पढ़ सकते हैं... 1.ठग्गू के लड्डू…ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं: 55 साल पुराना कनपुरिया जायका; स्वाद ऐसा कि पीएम मोदी भी मुरीद, सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपए गंगा नदी के किनारे बसा कानपुर, स्वाद की दुनिया में भी खास पहचान रखता है। यहां का एक जायका 55 साल पुराना है। इसकी क्वालिटी और स्वाद आज भी वैसे ही बरकरार है। यूं तो आपने देश के कई शहरों में लड्डुओं का स्वाद चखा होगा। लेकिन गाय के शुद्ध खोए, सूजी और गोंद में तैयार होने वाले ठग्गू के लजीज लड्डुओं का स्वाद आप शायद ही भूल पाएंगे। पीएम मोदी जब कानपुर मेट्रो का उद्घाटन करने आए थे, तब उन्होंने मंच से इस लड्डू की तारीफ की थी। पढ़िए पूरी खबर... 2. बाजपेयी कचौड़ी...अटल बिहारी से राजनाथ तक स्वाद के दीवाने: खाने के लिए 20 मिनट तक लाइन में लगना पड़ता है, रोजाना 1000 प्लेट से ज्यादा की सेल बात उस कचौड़ी की, जिसकी तारीफ यूपी विधानसभा में होती है। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव भी इसके स्वाद के मुरीद रह चुके हैं। दुकान छोटी है, पर स्वाद ऐसा कि इसे खाने के लिए लोग 15 मिनट तक खुशी-खुशी लाइन में लगे रहते हैं। जी हां…सही पहचाना आपने। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की बाजपेयी कचौड़ी की। पढ़िए पूरी खबर... 3. ओस की बूंदों से बनने वाली मिठाई: रात 2:30 बजे मक्खन-दूध को मथकर तैयार होती है, अटल से लेकर कल्याण तक आते थे खाने नवाबी ठाठ वाले लखनऊ ने बदलाव के कई दौर देखे हैं, पर 200 साल से भी पुराना एक स्वाद है जो आज भी बरकरार है। लखनऊ की रियासत के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह भी इसके मुरीद थे। अवध क्षेत्र का तख्त कहे जाने वाले लखनऊ के चौक पर आज भी 50 से ज्यादा दुकानें मौजूद हैं, जहां बनती है रूई से भी हल्की मिठाई। दिल्ली वाले इसे 'दौलत की चाट' कहते हैं। ठेठ बनारसिया इसे 'मलइयो' नाम से पुकारते हैं। आगरा में ‘16 मजे’ और लखनऊ में आकर ये 'मक्खन-मलाई' बन जाती है। पढ़िए पूरी खबर... 4. रत्तीलाल के खस्ते के दीवाने अमेरिका में भी: 1937 में 1 रुपए में बिकते थे 64 खस्ते, 4 पीस खाने पर भी हाजमा खराब नहीं होता मसालेदार लाल आलू और मटर के साथ गरमा-गरम खस्ता, साथ में नींबू, लच्छेदार प्याज और हरी मिर्च। महक ऐसी कि मुंह में पानी आ जाए। ये जायका है 85 साल पुराने लखनऊ के रत्तीलाल खस्ते का। 1937 में एक डलिये से बिकना शुरू हुए इन खस्तों का स्वाद आज ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका और यूरोप तक पहुंच चुका है। पढ़िए पूरी खबर...

Feb 20, 2025 - 06:59
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काशी का लौंगलता, पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफ:नेता से स्टूडेंट तक इस स्वाद के दिवाने, चाय-समोसे के साथ खूब जमता है इसका रंग
बनारस...बाबा विश्वनाथ की नगरी। यहां धर्म-अध्यात्म के साथ पकवानों का स्वाद भी लोगों की जबान पर छाया

काशी का लौंगलता: पीएम मोदी का सराहा गया स्वाद

काशी, जिसे बनारस भी कहा जाता है, अपनी विविध सांस्कृतिक धरोहर और स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है। यहां का लौंगलता एक ऐसा विशेषता है, जिसे सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है। पीएम मोदी ने इस अद्भुत स्वाद की तारीफ की है, जो इसे और भी खास बना देता है।

लौंगलता का महत्व

लौंगलता एक प्रकार का मिठाई है, जो खासतौर पर चाय-समोसे के साथ आनंद लिया जाता है। इसका अनोखा स्वाद और बनावट इसे सभी वर्गों में लोकप्रिय बना देती है। नेता, छात्र और आम जनता, सभी इस मिठाई के दिवाने हैं।

स्वादिष्टता और लोकप्रियता

इस मिठाई में मिठास और कुरकुरेपन का बेहतरीन मेल होता है, जो इसे विशेष बनाता है। लौंगलता का आनंद लेने के लिए काशी आने वाले पर्यटकों के लिए यह एक जरूरी अनुभव बन गया है। स्थानीय दुकानों पर इसकी खुशबू और स्वरूप से लोग आकर्षित होते हैं।

काशी की संस्कृति में लौंगलता की जगह

काशी के सांस्कृतिक परिदृश्य में लौंगलता एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे सिर्फ खाने के लिए नहीं, बल्कि दोस्तों और परिवार के साथ साझा करने के लिए भी बनाया जाता है। खास मौके और त्यौहारों में इसकी मांग और भी बढ़ जाती है।

निष्कर्ष

लौंगलता न केवल काशी की एक विशेष मिठाई है बल्कि यह उसके सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। पीएम मोदी की तारीफ ने इसे एक नई पहचान दी है, जिससे इसकी लोकप्रियता और भी बढ़ी है। अगर आप काशी जा रहे हैं, तो इस स्वाद का अनुभव अवश्य करें।

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