काशी-तमिल संगमम-3 के 200 सदस्यों का समूह अयोध्या पहुंचा:रामलला के समक्ष नतमस्तक हुए, मंदिर में उकेरे गए चित्रों को देर तक निहारते भी रहे
सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत,श्रेष्ठ भारत”, जिसके अंतर्गत''राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सांस्कृतिक एकीकरण और आपसी समझ को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की एक गंभीर पहल है। इसके अंतर्गत आज काशी-तमिल संगमम्-3 के 200 सदस्यों का समूह प्रयागराज और काशी होते हुए अयोध्या पहुंचा। इन दिनों अयोध्या में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है,इसलिए इन्हें सीधे श्री राम जन्मभूमि परिसर के गेट नंबर 11 तक तो बस से ले जाया गया किंतु उसके बाद पैदल रामलला के दर्शन के लिए गए। जहां सभी का स्वागत श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों ने किया और राम मंदिर की दिव्यता और भव्यता से रूबरू कराया गया। समूह के सदस्य जहां रामेश्वरम् की स्थापना करने वाले रामलला के समक्ष नतमस्तक हुए तो वहीं मंदिर में उकेरे गए चित्रों को देर तक निहारते भी रहे।समूह में शामिल छात्र,शिक्षक,पत्रकार समाजसेवी और व्यवसायी सभी भाव विभोर होकर मंदिर की रचना को देख भी रहे थे और सराह भी रहे थे। समूह के सदस्य शिवाजी ने कहा कि प्रधानमंत्री का यह पहल बहुत ही सराहनीय है इससे देश का कोना-कोना एक होगा और एक भारत श्रेष्ठ भारत का सपना साकार हो सकेगा,समूह की एक अन्य सदस्य अनुषा अयोध्या यात्रा से गदगद रही और उन्होंने प्रधानमंत्री और नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया।

काशी-तमिल संगमम-3 के 200 सदस्यों का अयोध्या दौरा
नमस्कार, यह है News by indiatwoday.com। हाल ही में काशी-तमिल संगमम-3 के 200 सदस्यों का एक समूह अयोध्या पहुँचा, जहाँ उन्होंने रामलला के समक्ष श्रद्धा भाव से नतमस्तक होकर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। इस दौरे का आयोजन अद्वितीय सांस्कृतिक एकता को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों के प्रतिनिधियों ने एक साथ आकर भारतीय संस्कृति की विविधता का अनुभव किया।
अयोध्या में रामलला के समक्ष नतमस्तक
अयोध्या पहुँचते ही संगमम के सदस्यों ने रामलला के मंदिर में जाकर भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा दर्शाई। यहाँ पर सभी ने ध्यानपूर्वक पूजा-अर्चना की और धार्मिक अनुष्ठान में भाग लिया। यह समारोह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अवसर भी बना।
मंदिर में चित्रों का अवलोकन
इसके बाद, सदस्यों ने मंदिर में उकेरे गए चित्रों को लगभग देर तक निहारते रहे। इन चित्रों में भगवान राम और उनके परिवार की लीलाओं को दर्शाया गया है, जो काशी-तमिल संगमम-3 के प्रतिभागियों के लिए एक साक्षात्कार जैसा अनुभव था। मंदिर के आंतरिक सौंदर्य और चित्रणों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संस्कृतिक आदान-प्रदान का महत्व
इस कार्यक्रम ने काशी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत किया है। यह समाज को एकजुट करने का एक प्रयास है, जो हमें यह याद दिलाता है कि हम सब एक ही सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं। इसे देखते हुए, ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन समय-समय पर किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
इस प्रकार, काशी-तमिल संगमम-3 का अयोध्या दौरा न केवल धार्मिक था, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी रहा है। संघ के सदस्यों ने इस यात्रा से एक गहरा अनुभव प्राप्त किया, जो उन्हें जीवन भर याद रहेगा।
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