टैरिफ से सिंगापुर की इकोनॉमी संकट में:PM बोले- बुरे दौरे के लिए तैयार रहें; ब्रिटिश पीएम कल ग्लोबलाइजेशन के खात्मे का ऐलान करेंगे

सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने शनिवार को कहा कि ग्लोबलाइजेशन और फ्री ट्रेड का दौर अब खत्म हो चुका है। अब दुनिया एक नए युग में जा रही है, जो खतरनाक होने वाला है। पीएम वोंग ने कहा कि लोगों को यह मान लेना चाहिए कि अनिश्चितता का दौर आ चुका है। आगे क्या होगा, ये तय नहीं है। चीजें बार-बार बदल सकती हैं। इसके लिए पहले से तैयार रहना चाहिए। वोंग ने चेतावनी दी कि टैरिफ से वर्ल्ड इकोनॉमी को नुकसान पहुंच सकता है और एक बड़े ट्रेड वॉर को जन्म दे सकता है। उनका मानना है कि इससे सप्लाई चेन पर असर पड़ेगा और आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि टैरिफ समस्या से सिंगापुर जैसे छोटे और व्यापार पर निर्भर देशों पर इसका ज्यादा असर पड़ेगा। ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने भी शनिवार को एक लेख में ग्लोबलाइजेशन का दौर खत्म हो जाने की बात कही है। ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कल वे देश के नाम संबोधन देंगे, जिसमें वे ग्लोबलाइजेशन के खत्म होने का ऐलान करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टार्मर ट्रम्प के टैरिफ लगाने के फैसले से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबलाइजेशन अब बहुत से लोगों को कोई फायदा नहीं पहुंचा पा रहा है। स्टार्मर ने स्वीकार किया है कि इसके बाद प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और दुनियाभर में डोमेस्टिक प्रोडक्शन बढ़ाने का प्रयास शुरू होंगे। ट्रम्प ने 2 अप्रैल को दुनियाभर में रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया था। इसकी दुनियाभर में आलोचना हो रही है। सिंगापुर पर सबसे कम टैरिफ, फिर भी सबसे ज्यादा असर ट्रम्प ने सिंगापुर पर 10% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। बाकी देशों की तुलना में यह सबसे कम है लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे सिंगापुर पर काफी असर पड़ेगा क्योंकि यह देश पूरी तरह से वर्ल्ड ट्रेड पर निर्भर है। ट्रम्प के टैरिफ जैसे चीन पर 54%, वियतनाम पर 46%, और भारत पर 26% दुनिया भर में ग्लोबल ट्रेड की रफ्तार को कम कर सकते हैं। अगर इन देशों का व्यापार कम होगा, तो सिंगापुर की शिपिंग और लॉजिस्टिक्स कंपनियों को भी कम काम मिलेगा, क्योंकि सिंगापुर इनके लिए एक बड़ा केंद्र है। अगर कंपनियों को कम पैसा मिलेगा, तो वे नई नौकरियां नहीं देंगी या कुछ लोगों को निकाल सकती हैं। साथ ही, सामान की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे सिंगापुर में रहने का खर्च बढ़ेगा। ग्लोबलाइजेशन को आसान भाषा में समझिए… ग्लोबलाइजेशन का मतलब है दुनियाभर के देशों के बीच एक-दूसरे से जुड़ना और मिल-जुलकर कारोबार करना। पहले हमारे पास सिर्फ अपनी देशी चीजें होती थीं। बाहर के देशों के सामान आते भी थे तो हाई टैक्स की वजह से उनकी पहुंच आम आदमी से दूर थी। साल 1991 में सोवियत यूनियन के पतन के बाद दुनिया में ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत हुई। दुनिया ने विदेशी बाजार के लिए दरवाजे खोले। सामानों पर टैक्स कम किया। इससे दुनिया एक बड़े बाजार की तरह बन गई। लोगों को घर के पास ही विदेशी चीजें सस्ती कीमत पर मिलने लगीं। जब दुनिया के देश एक-दूसरे से जुड़े तो व्यापार बढ़ा। इससे बहुत सारे नए रोजगार और नौकरियां पैदा हुईं। पिछला 3 दशक ग्लोबलाइजेशन के लिए सुनहरा वक्त था। लेकिन अब ट्रम्प ने विदेशी सामानों पर टैरिफ लगा दिया है। उनका मकसद अमेरिका के घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना और विदेशी खासकर चीन जैसे देशों से आने वाले सस्ते सामानों पर नियंत्रण पाना है। उनका मानना है कि इससे अमेरिकी नौकरियों को सुरक्षा मिलेगी और अमेरिका का व्यापार घाटा कम होगा। टैरिफ क्या है... टैरिफ एक तरह की बॉर्डर फीस या टैक्स होता है, जो कोई भी देश विदेशों से अपने यहां आने वाले सामान पर लगाता है। यह टैक्स आयात करने वाली कंपनी पर लगाया जाता है। इसे घटा-बढ़ाकर ही देश आपस में व्यापार को कंट्रोल करते हैं। ट्रम्प के रेसिप्रोकल टैरिफ का इम्पैक्ट… 1. अमेरिकी शेयर मार्केट में भारी गिरावट: ट्रम्प की घोषणा के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट शुरू हुई। SP 500 में 5% की गिरावट (4 अप्रैल को), जून 2020 के बाद सबसे बड़ी थी। नैस्डैक 6% और डाउ जोन्स 4% नीचे गिरे। चीन ने जवाबी 34% टैरिफ की घोषणा की, जिससे अमेरिकी बाजारों में और गिरावट आई। SP 500 के लिए 2 दिनों में 5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। इसी तरह जापान, भारत और दुनिया के कई शेयर मार्केट में नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। अब अमेरिकी एक्सपर्ट मान रहे हैं कि 7 अप्रैल को शेयर मार्केट की हालत और ज्यादा खराब हो सकती है। 2. चीन का जवाबी टैरिफ- ट्रम्प के टैरिफ के बदले चीन ने 34% का जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया। चीन ने कहा, ‘अमेरिका का यह तरीका अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ है। यह चीन के हितों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है और एकतरफा धमकाने की नीति का उदाहरण है।’ 3. फ्रांस बोला- अमेरिका से व्यापार नहीं करेंगेः फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, ‘यूरोप और बाकी दुनिया के खिलाफ लगाए गए टैरिफ के बारे में स्थिति साफ होने तक अमेरिका से व्यापार नहीं किया जाए। ट्रम्प के टैरिफ ऐलान के बाद अमेरिकी लोग कमजोर और गरीब हो जाएंगे। 4. भारत की डायमंड इंडस्ट्री निराश- भारत दुनिया का सबसे बड़ा हीरा काटने और पॉलिश करने वाला देश है। भारत अपने पूरे डायमंड इंडस्ट्री का 30% अमेरिका को निर्यात करता है। कामा ज्वेलरी के डायरेक्टर कोलिन शाह के मुताबिक, ‘टैरिफ उम्मीद से ज्यादा है। यह काफी सख्त है और निर्यात को प्रभावित करेगा।’ यूरोप- यूरोपीय यूनियन ने 20% टैरिफ का जवाब देने के लिए सोमवार (7 अप्रैल) को अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क का प्रस्ताव तैयार करने की योजना बनाई। इसके अलावा कनाडा ने अमेरिकी कारों पर 25% टैरिफ का ऐलान किया है। वहीं, ब्राजील संसद ने सर्वसम्मति से एक रेसिप्रोकल विधेयक पारित किया, जिससे सरकार को जवाबी टैरिफ लगाने का अधिकार मिल गया है। ब्राजील सरकार ने टैरिफ के मुद्दे को WTO में लेकर जाने की बात कही है। .................................. ट्रम्प के टैरिफ से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... ट्रम्प ने

Apr 6, 2025 - 18:59
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टैरिफ से सिंगापुर की इकोनॉमी संकट में:PM बोले- बुरे दौरे के लिए तैयार रहें; ब्रिटिश पीएम कल ग्लोबलाइजेशन के खात्मे का ऐलान करेंगे
सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने शनिवार को कहा कि ग्लोबलाइजेशन और फ्री ट्रेड का दौर अब खत

टैरिफ से सिंगापुर की इकोनॉमी संकट में: PM बोले- बुरे दौरे के लिए तैयार रहें; ब्रिटिश PM कल ग्लोबलाइजेशन के खात्मे का ऐलान करेंगे

सिंगापुर की आर्थिक चुनौतियां

सिंगापुर की अर्थव्यवस्था वर्तमान में एक गंभीर संकट का सामना कर रही है, जिसका मुख्य कारण नए टैरिफ नीतियाँ हैं। इन नीतियों ने न केवल स्थानीय व्यापार को प्रभावित किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों में भी तंगी उत्पन्न की है। प्रधानमंत्री ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करते हुए नागरिकों को चेतावनी दी है कि उन्हें बुरे दौर के लिए तैयार रहना चाहिए। यह एक ऐसा युग है जहां आर्थिक नीतियों का प्रभाव विचारों और दृष्टिकोणों पर भी पड़ता है।

ब्रिटिश पीएम का ऐलान

इस बीच, ब्रिटिश पीएम के द्वारा किए जाने वाले ऐलान को लेकर भी व्यापक चर्चाएँ चल रही हैं। कल वह वैश्विक स्तर पर ग्लोबलाइजेशन के खात्मे का ऐलान करेंगे, जो कि एक नई व्यावसायिक नीति का संकेत हो सकता है। इस घोषणा के पीछे कई वैश्विक चुनौतियों का होना संभव है, जहां अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियमों से लेकर स्थानीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा को चुनौती मिल सकती है।

क्या होगा आगे?

इन घटनाक्रमों का प्रभाव न केवल सिंगापुर, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। जब ऐसी नीतियों का उठान होता है, तब बाजार में अस्थिरता उत्पन्न होती है। व्यापारियों को सलाह दी गई है कि वे संभावित बदलावों के लिए तैयार रहें। इसके लिए उन्हें अपनी रणनीतियों को पुनः मूल्यांकन करना होगा।

समुदाय की स्थिरता और प्रतियोगिता को बनाए रखने के लिए, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों को एक साथ आना होगा। यह निश्चित करना होगा कि भविष्य में अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित किया जाएगा।

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