ट्रम्प अब दवा पर भी टैरिफ लगाएंगे:कहा- विदेशी कंपनियां अमेरिका आएंगी; US को 40% जेनेरिक दवाएं भेजता है भारत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐलान किया है कि अमेरिका जल्द ही दवाइयों पर भारी टैरिफ लगाने जा रहा है। ट्रम्प ने कहा कि उनका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना हैं। ट्रम्प ने कहा कि दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाती हैं। वहां ये कंपनियां सस्ती दवा बेचती हैं। लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता है। एक बार जब इन दवा कंपनियों पर टैरिफ लग जाएगा तो ये सारी कंपनियां अमेरिका वापस आ जाएंगीं। ट्रम्प ने कहा कि दवाएं दूसरे देशों में बनती हैं और इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन में जो दवा 88 डॉलर में बिकती है वही दवा अमेरिका में 1,300 डॉलर में बिक रही है। अब यह सब खत्म हो जाएगा। ट्रम्प ने कहा कि टैरिफ लगाने से फार्मा कंपनियां वापस आएंगी क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो विदेशी दवा कंपनियों को भारी टैक्स चुकाना पड़ेगा। ट्रम्प दवाओं पर कब से और कितना टैरिफ लगाएंगे, इसकी तारीख उन्होंने नहीं बताई है। फिलहाल दवाओं पर नहीं लगता टैरिफ ट्रम्प ने हाल ही में 2 अप्रैल को "लिबरेशन डे" टैरिफ की घोषणा की थी। इसके तहत अमेरिका ने 5 अप्रैल से हर देश पर 10% बेसलाइन टैरिफ लगा दिया था। वहीं, 9 अप्रैल से अलग-अलग देशों पर जैसे को तैसा यानी रेसिप्रोकल टैरिफ लगा। इन दोनों टैरिफ में दवा इंडस्ट्री को छूट दी गई थी। अमेरिका ने भारत से आयात होने वाली दवाओं पर 26% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह आज से लागू हो गया है। लेकिन भारत या किसी और देश से आने वाली दवाओं पर ट्रम्प प्रशासन कोई टैरिफ नहीं लगाता। एक्सपर्ट बोले- टैरिफ से अमेरिका को ज्यादा नुकसान ट्रम्प के इस ऐलान के बाद मार्केट एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि इससे दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं और सप्लाई चेन पर असर पड़ सकता है। फार्मा कंपनी एली लिली के सीईओ डेविड रिक्स ने बीबीसी से कहा कि टैरिफ से RD (अनुसंधान और विकास) पर असर पड़ेगा, जिससे नई दवाओं का विकास रुक सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिका में ज्यादातर सस्ती जेनेरिक दवाएं भारत और चीन से आती हैं। मंहगी दवा मिलने का नुकसान मरीजों को उठाना पड़ेगा जिससे अमेरिका के लोगों की ही मुश्किलें बढ़ेंगी। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक अमेरिका में इस्तेमाल होने वाले सभी जेनेरिक दवाओं का लगभग 40% भारत से भेजे जाते हैं। भारत से निर्यात होने वाली दवाओं में एंटीबायोटिक्स, एंटीडिप्रेसेंट्स, और हृदय रोग की दवाएं होती हैं। भारत जेनेरिक दवाएं सस्ते में बनाता है, जिससे अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम को हर साल अरबों डॉलर की बचत होती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2022 में अमेरिका ने भारत की दवाओं से 219 बिलियन डॉलर बचाए थे। ................................................ ट्रम्प के टैरिफ से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... ट्रम्प बोले- कई देशों ने हमें लूटा, अब हमारी बारी:टैरिफ से अमेरिका को रोज 17.2 हजार करोड़ रुपए मिल रहे; चीन पर 104% टैरिफ लगाया अमेरिका ने चीन पर 104% टैरिफ लगा दिया है। यह आज यानी 9 अप्रैल से लागू हो गया है। इसका मतलब है कि अब से अमेरिका पहुंचने वाले चीनी सामान दोगुने दाम से भी ज्यादा कीमत पर बिकेंगे। ट्रम्प ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में कहा कि टैरिफ की जो कोई भी आलोचना कर रहा है, वह बदमाश और धोखेबाज है। पूरी खबर यहां पढ़ें...

Apr 9, 2025 - 10:59
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ट्रम्प अब दवा पर भी टैरिफ लगाएंगे:कहा- विदेशी कंपनियां अमेरिका आएंगी; US को 40% जेनेरिक दवाएं भेजता है भारत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐलान किया है कि अमेरिका जल्द ही दवाइयों पर भारी टैरिफ लगान

ट्रम्प अब दवा पर भी टैरिफ लगाएंगे

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की है कि उनकी प्रशासन दवा उत्पादों पर भी टैरिफ लगाने की योजना बना रही है। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य विदेशी कंपनियों को अमेरिका में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना है। ट्रम्प का मानना है कि इस कदम से घरेलू बाजार को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत किया जा सकेगा।

भारतीय दवाओं का महत्व

भारत ने अमेरिका को करीब 40% जेनेरिक दवाएं भेजी हैं, जो इस श्रेणी में एक महत्वपूर्ण योगदान है। ट्रम्प का मानना है कि अगर विदेशी कंपनियों पर टैरिफ लगाए जाते हैं, तो इससे भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा में लाभ मिलेगा और उन्हें अपने उत्पादों को और बेहतर बनाने का अवसर मिलेगा।

टैरिफ लगाने के संभावित प्रभाव

दवा पर टैरिफ लगाने से कई नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं। सबसे पहले, यह यूएस नागरिकों के लिए दवाओं की लागत में वृद्धि कर सकता है। इसके अलावा, यह स्थिति उन लाखों लोगों को प्रभावित करेगी, जो दवाओं की जरूरत के लिए भारत पर निर्भर हैं।

विदेशी कंपनियों में आकर्षण

ट्रम्प के अनुसार, यह कदम विदेशी कंपनियों को अमेरिका में स्थापित होने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे नए कार्यस्थल पैदा होंगे। वे मानते हैं कि अगर हर दवा को अमेरिकी भूमि पर निर्मित किया जाए तो इसका देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

समापन विचार

इस नए टैरिफ नीति के परिणाम अभी स्पष्ट नहीं हैं। हालांकि, ट्रम्प की यह घोषणा यूएस और भारत के बीच दवा व्यापार को प्रभावित कर सकती है। अमेरिका में दवाओं की कीमतों में संभावित बढ़ोतरी के साथ-साथ नई निवेश अवसरों का उदय भी देखने को मिल सकता है। ऐसे में, यह देखने की आवश्यकता होगी कि अगले चरण में ट्रम्प प्रशासन की योजनाएं कैसे विकसित होती हैं।

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