ट्रम्प आज दूसरी बार बनेंगे अमेरिका के राष्ट्रपति:क्या व्हाइट हाउस के पर्दे-कुर्सियां तक बदलवा देंगे; 7 अहम सवालों के जवाब

1980 की बात है। 34 साल के डोनाल्ड ट्रम्प एक अमेरिकी मैगजीन को इंटरव्यू दे रहे थे। इस दौरान उनसे पूछा जाता है- आप राजनीति के बारे में क्या सोचते हैं? ट्रम्प जवाब देते हैं, "राजनीतिक जीवन निर्दयी होता है, जो काबिल होते हैं वे बिजनेस करते हैं।" 1980 के 45 साल बाद वही ट्रम्प दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने वाले हैं। वे अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में भारतीय समयानुसार आज रात करीब 10 बजे शपथ लेंगे। ये शपथ कैसे होगी, ट्रम्प बाइबल पर हाथ रख संविधान की कसम क्यों खाएंगे, वे क्या बोलेंगे, जानिए ट्रम्प की ओथ सेरेमनी और अमेरिका में पावर ट्रांसफर से जुड़े 7 अहम सवालों के जवाब... सवाल 1: ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में क्या-क्या होगा? जवाब: अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में करीब 700 अमेरिकियों के सामने डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति की शपथ लेंगे। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स, डोनाल्ड ट्रम्प और उनके उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस को शपथ दिलाएंगे। इस दौरान ट्रम्प का बायां हाथ बाइबल पर होगा। शपथ ग्रहण में बाइबल राष्ट्रपति की पत्नी के हाथों में होती है। ट्रम्प के केस में उनकी पत्नी मेलानिया बाइबिल पकड़ेंगी। बाइबल हाथ में लिए ट्रम्प कहेंगे- मैं शपथ लेता हूं कि मैं अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर की सभी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाऊंगा। मैं अपनी पूरी क्षमता के साथ अमेरिकी संविधान की रक्षा करूंगा। शपथ के बाद ट्रम्प का भाषण होगा। अपने पिछले कार्यकाल के शपथ ग्रहण में ट्रम्प 17 मिनट तक बोले थे। शपथ के बाद कैपिटल हिल पर कलाकारों की म्यूजिकल परफॉर्मेंस भी होती है। हालांकि इस बार ज्यादातर हॉलीवुड कलाकारों ने चुनाव में कमला हैरिस का समर्थन किया था, ऐसे में ट्रम्प के लिए कौन परफॉर्म करेगा ये साफ नहीं है। परफॉर्मेंस के बाद ट्रम्प कैपिटल हिल के सैट्यूटरी हॉल में अमेरिकी सांसदों के साथ लंच करेंगे। लंच में परोसा गया खाना ज्यादातर राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के घर से आता है। इसके बाद US कैपिटल से व्हाइट हाउस तक एक रैली होगी। जिसे खुद राष्ट्रपति ट्रम्प लीड करेंगे। रात में ट्रम्प अपने करीबियों के साथ पार्टी में शामिल होंगे, न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ये पार्टी मेटा चीफ मार्क जुकरबर्ग होस्ट करेंगे। जुकरबर्ग चुनाव के बाद से ट्रम्प से संबंध बेहतर करने में लगे हैं, बाइडेन के कार्यकाल में उन्होंने ट्रम्प को फेसबुक से बैन कर दिया था। सवाल 2: बाइबल पर हाथ रखकर संविधान बचाने की शपथ क्यों लेते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति? जवाब: बाइबिल पर हाथ रखकर शपथ लेने की परंपरा 1789 में जॉर्ज वॉशिंगटन से शुरू हुई थी। हालांकि यह संवैधानिक नहीं है। अमेरिकी संविधान के मुताबिक नए राष्ट्रपति को सिर्फ शपथ लेनी होती है। इसमें किसी बाइबल या कोई और धार्मिक पुस्तक से शपथ लेने जैसा कोई नियम नहीं है। अमेरिका के छठे राष्ट्रपति जॉन क्विन्सी ने संविधान पर हाथ रखकर शपथ ली थी। वहीं, थियोडोर रूजवेल्ट ने बिना किसी किताब पर हाथ रखे राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। सवाल 3: ब्रिटेन में कुछ घंटे, भारत में 4 से 10 दिन में पावर ट्रांसफर, अमेरिका में 75 दिन क्यों? जवाब: ब्रिटेन में चुनाव परिणाम आने के बाद हारने वाला प्रधानमंत्री, देश के किंग या क्वीन के पास जाता है और इस्तीफा देता है। इसके तुरंत बाद जीता हुआ प्रत्याशी उसी दिन शाही परिवार के मुखिया से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री पद की शपथ लेता है। कुछ घंटों में ही ये काम पूरा हो जाता है। वहीं, भारत में रिजल्ट की घोषणा होने के बाद जिस पार्टी या गठबंधन को बहुमत मिलता है उसके नेता को प्रधानमंत्री बनने के लिए न्योता भेजा जाता है। प्रधानमंत्री को भारत के राष्ट्रपति शपथ दिलाते हैं। इसके बाद पावर ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी मानी जाती है और नई सरकार कामकाज शुरू करती है। पिछले 5 चुनावों में पावर ट्रांसफर की प्रक्रिया नतीजों के बाद 4 से 10 दिन में पूरी हो गई। अमेरिका में ऐसा नहीं होता, पावर ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी होने में 72 से 78 दिन लग जाते हैं। इस बार अमेरिका में पावर ऑफ ट्रांसफर में 75 दिन लगेंगे। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह अमेरिका का एक विशाल देश होना है। अमेरिका को 1776 में आजादी मिली। उस वक्त ज्यादातर आबादी दूर-दराज के इलाकों में रहती थी। आने-जाने के साधन और रास्ते बेहद दुर्गम होते थे। चुनाव के बाद वोटों की गिनती, इलेक्टर्स की बैठक, कांग्रेस तक वोटों के पहुंचने में काफी वक्त लगता था। इसीलिए वोटिंग से शपथ ग्रहण के बीच इतना गैप रखा गया। ये गैप शुरुआती दिनों में 4 महीने का था। 1789 में पहले राष्ट्रपति के कार्यकाल की शुरुआत 30 अप्रैल से हुई थी। दूसरे राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 मार्च 1793 से शुरू हुआ और फिर यही प्रथा बन गई। नवंबर में चुनाव होने के बाद मार्च तक काफी समय बर्बाद होता था। कैबिनेट बनाने के लिए इतने वक्त की जरूरत नहीं थी। 1933 में राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की शपथ से पहले 20वें संविधान संशोधन के जरिए 20 जनवरी को नए कार्यकाल के शुरुआत की तारीख तय की गई। सवाल 4: व्हाइट हाउस के पर्दे बदलने से लेकर नए राष्ट्रपति को नेशनल सिक्योरिटी समझाने तक पावर ट्रांसफर में क्या-क्या होता है? जवाब: नए राष्ट्रपति को 4 हजार से ज्यादा पॉलिटिकल अपॉइंटमेंट करने पड़ते हैं। इनमें से लगभग 1000 हजार को सीनेट की मंजूरी चाहिए होती है। नए कर्मचारियों के लिए ऑफिस और ईमेल आईडी बनानी पड़ती हैं, उन्हें नई जिम्मेदारियों को लेकर ब्रीफ किया जाता है। राष्ट्रपति को नेशनल सिक्योरिटी पॉलिसी की जानकारी दी जाती है। ये सब काम पूरा होने में वक्त लगता है, इसलिए पावर ट्रांसफर के लिए 2 महीने का समय तय किया गया है। साधारण तौर पर पावर ट्रांसफर की प्रक्रिया चुनाव के बाद नवंबर में ही शुरू हो जाती है पर 2020 में ऐसा नहीं हुआ। ट्रम्प ने चुनाव के 3 हफ्तों तक पावर ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू नहीं होने दी थी। हालांकि ट्रम्प ऐसा करने वाले पहले राष्ट्रपति नहीं हैं, 1932 के चुनाव की बात है।

Jan 20, 2025 - 06:59
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ट्रम्प आज दूसरी बार बनेंगे अमेरिका के राष्ट्रपति:क्या व्हाइट हाउस के पर्दे-कुर्सियां तक बदलवा देंगे; 7 अहम सवालों के जवाब
1980 की बात है। 34 साल के डोनाल्ड ट्रम्प एक अमेरिकी मैगजीन को इंटरव्यू दे रहे थे। इस दौरान उनसे पूछा जा

ट्रम्प आज दूसरी बार बनेंगे अमेरिका के राष्ट्रपति: क्या व्हाइट हाउस के पर्दे-कुर्सियां तक बदलवा देंगे; 7 अहम सवालों के जवाब

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ट्रम्प का पुन: चुनाव: एक ऐतिहासिक पल

आज, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के लिए चुनावी विजेता घोषित हो चुके हैं। यह एक ऐसा क्षण है जो न केवल ट्रम्प के लिए बल्कि अमेरिकी राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण है। लोग इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि क्या ट्रम्प व्हाइट हाउस में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान ताजगी लाने के लिए वहां के पर्दे और कुर्सियों को भी बदल डालेंगे।

व्हाइट हाउस के अंदर क्या बदलाव आएंगे?

ट्रम्प ने पहले कार्यकाल के दौरान कई बार अपने विचार साझा किए हैं कि वह किस तरह से व्हाइट हाउस में नए बदलाव लाने की सोच रहे हैं। इस बार, उनके एजेंडे में मुख्य रूप से आंतरिक सुरक्षा, आर्थिक सुधार और विदेश नीति में सुधार शामिल हैं।

7 अहम सवालों के जवाब

1. ट्रम्प की जीत के पीछे कौन से प्रमुख कारण हैं?

2. क्या ट्रम्प अपने कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सफल होंगे?

3. ट्रम्प की विदेश नीति में क्या नया देखने को मिलेगा?

4. अमेरिका के आंतरिक सुरक्षा में क्या सुधार होगा?

5. क्या ट्रम्प ने अपने विपक्ष से कोई सीख ली है?

6. क्या ट्रम्प का दूसरा कार्यकाल अमेरिका को एक नया दिशा देगा?

7. नागरिकों के अधिकारों को लेकर ट्रम्प का क्या दृष्टिकोण होगा?

मुख्य नीतियों और आशाओं पर ध्यान

ट्रम्प ने अपनी जीत के बाद कई नीतियों का वादा किया है जो अमेरिकी लोगों के लिए वास्तविक बदलाव लाने का संकेत देती हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रम्प अपने वादों पर कितनी खरा उतरते हैं।

आगे की दिशा: क्या हमें अपेक्षाएं रखनी चाहिए?

इस बार, सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या ट्रम्प अपने आधार वोट को बरकरार रखेंगे और क्या वह आधिकारिक स्थिति को मजबूत करने में सफल होंगे। अमेरिकी नागरिकों को उनकी योजनाओं और नीतियों की काफी उम्मीदें हैं, और यह देखना फायदेमंद होगा कि वह क्या कर पाते हैं।

अंत में, यह चुनावी परिणाम न केवल ट्रम्प के राजनीतिक करियर को प्रभावित करेगा, बल्कि विश्व राजनीति पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा।

ट्रेंड्स और अंतर्दृष्टि

ताज़ा रुझानों के अनुसार, अमेरिकी जनता में ट्रम्प के प्रति कड़ी प्रतिस्पर्धा और विभाजन है। स्थिति पर नज़र रखना आवश्यक होगा, और न केवल व्हाइट हाउस में, बल्कि अमेरिका की राजनीतिक परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे।

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