ट्रम्प के मंत्री से हूतियों पर अटैक का प्लान लीक:हमले से 2 घंटे पहले सीक्रेट चैटग्रुप में भेजा; इसमें एक पत्रकार भी जुड़ा था
अमेरिकी राष्ट्रपति पीट हेगसेथ ने यमन में हूती विद्रोहियों पर अमेरिकी हमले के प्लान को लीक कर दिया। हेगसेथ ने प्लान को सिग्नल एप पर एक सीक्रेट ग्रुप चैट में शेयर किया था। इस ग्रुप में द अटलांटिक मैगजीन के मुख्य संपादक जैफ्री गोल्डबर्ग भी जुड़े हुए थे। व्हाइट हाउस ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। जेफ्री गोल्डबर्ग ने बताया कि उन्हें गलती से इस ग्रुप चैट में जोड़ दिया गया था। यह चैट सिक्योर मैसेजिंग ऐप सिग्नल पर बनाई गई थी, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज ने बनाया था। इस ग्रुप में अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रूबियो भी शामिल थे। गोल्डबर्ग ने लिखा कि 15 मार्च को सुबह 11:44 बजे हेगसेथ ने यमन पर होने वाले हमलों की जानकारी शेयर की थी। इसमें टारगेट्स और इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों के अलावा कौनसा हमला कब और कहा किया जाना है, इसकी जानकारी भी थी। ट्रम्प बोले- मुझे मामले की जानकारी नहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से जब इस रिपोर्ट के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक रक्षा विभाग पेंटागन ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) के पास भेज दिया। NSC के प्रवक्ता ब्रायन ह्यूजेस ने कहा कि हम इसकी जांच कर रहे हैं कि ग्रुप में कैसे गलती एक नंबर से जोड़ दिया गया। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टेमी ब्रूस ने मामले पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार दिया है। NYT से बात करते हुए पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि अगर इस ग्रुप चैट में निजी मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया गया था, तो यह और भी गंभीर मामला बन सकता है क्योंकि चीन लगातार अमेरिकी साइबर नेटवर्क को हैक करने की कोशिश कर रहा है। पत्रकार को ग्रुप में एड करने वाले वॉल्ट्ज सेना में कर्नल थे द अटलांटिक के संपादक को सीक्रेट ग्रुप में एड करने वाले अमेरिकी NSA माइक वॉल्ट्ज सेना में कर्नल रह चुके हैं। वे राजनेता के साथ-साथ बिजनेसमैन और लेखक भी है। उन्हें ट्रम्प ने अमेरिका का 25वां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया है। माइक ने वर्जीनिया मिलिट्री इंस्टीट्यूट से इंटरनेशनल स्टडीज में ऑनर्स के साथ स्नातक किया है। अपने 27 साल के सैन्य करियर में, उन्होंने अफगानिस्तान, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका में कई सैन्य अभियानों में हिस्सा लिया है। उनके पिता और दादा दोनों अमेरिकी नौसेना में चीफ थे। माइक रक्षा विभाग पेंटागन में रक्षा नीति निदेशक भी रहे है। उन्होंने जॉर्ज डब्ल्यू. बुश प्रशासन में उपराष्ट्रपति डिक चेनी के आतंकवाद विरोधी सलाहकार के रूप में भी कार्य किया है। ------------------------- हूतियों पर अमेरिकी हमले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... अमेरिका ने यमन में हूती विद्रोहियों पर एयरस्ट्राइक की:31 की मौत; ट्रम्प बोले- तुम्हारा वक्त पूरा हुआ, हम आसमान से कहर बरसाएंगे अमेरिकी सेना ने शनिवार को यमन में हूती विद्रोहियों पर एयरस्ट्राइक की। हमले में 31 लोगों की मौत हुई। इनमें हूती विद्रोहियों के साथ महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। जबकि, 101 लोग घायल हुए। पूरी खबर यहां पढ़ें...

ट्रम्प के मंत्री से हूतियों पर अटैक का प्लान लीक
हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें ट्रम्प के पूर्व मंत्री के द्वारा हूतियों पर एक संभावित हमले की योजना लीक होने की जानकारी सामने आई है। यह जानकारी उस समय सामने आई जब एक सीक्रेट चैटग्रुप में दो घंटे पहले एक जर्नलिस्ट ने इस योजना की जानकारी साझा की। यह खुलासा कई सवाल उठाता है कि क्या इस तरह की जानकारी को सार्वजनिक किया जाना चाहिए और इसके पीछे की राजनीति क्या है।
हमले का प्लान और लीक्स
लीक हुई जानकारी के मुताबिक, हमले की योजना इतनी संवेदनशील थी कि इसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिये था। सूत्रों का कहना है कि यह प्लान बेहद गोपनीय था, और इसे साझा करने का उद्देश्य क्या था, यह स्पष्ट नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह एक सुनियोजित योजना का हिस्सा था या फिर किसी बड़ी राजनीतिक चाल का हिस्सा।
सीक्रेट चैटग्रुप में जुड़ा पत्रकार
सूत्रों के अनुसार, इस चैटग्रुप में एक पत्रकार भी शामिल था, जिसने बाद में इस जानकारी को लीक किया। यह गंभीर बात है क्योंकि यह पत्रकार न केवल सीमित जानकारी तक पहुँच रखता था, बल्कि उसने अपनी रिपोर्टिंग के लिए सटीकता का भी ध्यान नहीं रखा। इस तरह की घटनाएँ पत्रकारिता के पेशे को संदेह के घेरे में डाल देती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस लीक के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी जल्द ही देखने को मिली है। कई देशों ने इस तरह के हमलों के खिलाफ अपनी चिंता व्यक्त की है। समय के साथ, यह मुद्दा अमेरिका के लिए केवल एक आंतरिक समस्या बनकर नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चर्चा का विषय बनेगा।
इस मामले में आगे क्या होता है, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या ट्रम्प प्रशासन इसका सामना कर पाएगा, या फिर यह घटनाक्रम राजनीतिक संकट में बदल जाएगा।
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