ट्रम्प ने चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 145% किया:कल 125% टैरिफ का ऐलान किया था; कई अमेरिकी कंपनियों के शेयर गिरे

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को चीन पर टैरिफ की दरों को बढ़ाकर 145% कर दिया है। इससे पहले उन्होंने बुधवार को चीन पर 125% टैरिफ का ऐलान किया था, जबकि बाकी देशों पर 10% बेसलाइन टैरिफ लगाया था। चीन पर 145% टैरिफ लगाने का आसान भाषा में मतलब है कि चीन में बना 100 डॉलर का सामान अब अमेरिका में जाकर 245 डॉलर का हो जाएगा। अमेरिका में चीनी सामानों के मंहगे होने से उसकी बिक्री कम हो जाएगी। अमेरिकी शेयर मार्केट में गिरावट सरकारी बॉन्ड बाजार में, अमेरिकी ट्रेजरी में फिर से बिकवाली शुरू हो गई। वहीं शेयर मार्केट के नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्स में लगभग 7% की गिरावट आई। इसके साथ ही एप्पल, एनवीडिया और अन्य कंपनियों शेयरों में भी गिरावट आई। तेल की कीमतों में लगभग 4% की गिरावट आई, जो 63 डॉलर प्रति बैरल से नीचे कारोबार कर रहा था। ट्रम्प ने 1 फरवरी को चीनी प्रोडक्ट्स पर 10% लगाया, जो 3 मार्च को बढ़ाकर 20% कर दिया। इसके बाद 2 अप्रैल को इसे बढ़ाते हुए 54% कर दिया। फिर यह 9 अप्रैल को 104% हो गया, जबकि 10 अप्रैल को इसे बढ़ाकर 145% कर दिया। कल कहा था जो देश डील करेंगे, उनके लिए टैरिफ 10% रहेगा ट्रम्प ने कल कहा था कि 75 से ज्यादा देशों ने अमेरिका के प्रतिनिधियों को बुलाया है और इन देशों ने मेरे मजबूत सुझाव पर अमेरिका के खिलाफ किसी भी तरह से जवाबी कार्रवाई नहीं की है। इसलिए मैंने 90 दिन के विराम (पॉज) को स्वीकार किया है। टैरिफ पर इस रोक से नए व्यापार समझौतों पर बातचीत करने का समय मिलेगा। इससे पहले उन्होंने 2 अप्रैल को अलग-अलग देशों के लिए रेसिप्रोकल (जैसे को तैसा) टैरिफ का ऐलान किया था। इसके तहत भारत पर भी 26% टैरिफ लगाया था। मंदी, महंगाई का खतरा था, ट्रम्प के करीबी भी टैरिफ के खिलाफ थे 1. ट्रम्प टैरिफ के चलते अमेरिका समेत ग्लोबल मार्केट में 10 लाख करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी। हालांकि, टैरिफ रोकने के फैसले के कुछ घंटों के अंदर ही अमेरिकी शेयर बाजार की वैल्यू 3.1 लाख करोड़ डॉलर बढ़ गई। 2. ट्रम्प के कई करीबी सलाहकारों और खुद इलॉन मस्क भी टैरिफ वॉर रोकने की सलाह दे चुके थे। ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता भी टैरिफ के खिलाफ थे। मिच मैककोनल, रैंड पॉल, सुसन कोलिन्स व लिसा मुर्कोव्स्की ने टैरिफ को ‘असंवैधानिक, अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक और कूटनीतिक रूप से खतरनाक’ बताया था। 3. टैरिफ के चलते अप्रत्याशित तौर पर अमेरिकी बॉन्ड्स की बिकवाली शुरू हो गई थी। क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई, यह कोरोना काल जैसी स्थिति बन रही थी। 4. वॉल स्ट्रीट के बैंकों ने टैरिफ के चलते अमेरिका में महंगाई, बेरोजगारी बढ़ने और मंदी आने की चेतावनी दी थी। 5. अमेरिका चीन से 440 अरब डॉलर का आयात करता है। इस पर उसने 124% टैरिफ लगाया है। चीन से प्रोडक्ट्स मंगवाने वाली अमेरिकी कंपनियों के लिए अब इसका विकल्प खोजना बड़ी चुनौती बन रहा था। ऐसे में बाकी देशों पर टैरिफ रोकना इन कंपनियों की सप्लाई चेन के लिए जरूरी था। चीन नई इंडस्ट्री व इनोवेशन बढ़ाने पर जोर दे रहा चीन के पास अमेरिका के करीब 600 अरब पाउंड (करीब 760 अरब डॉलर) के सरकारी बॉन्ड हैं। मतलब ये कि चीन के पास अमेरिकी इकोनॉमी को प्रभावित करने की बड़ी ताकत है। वहीं, चीन ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है। चीन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन इंडस्ट्रियल सेक्टर को दिया है। इससे यहां फैक्ट्रियों का निर्माण और अपग्रेडेशन तेज हुआ। हुआवेई ने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला है, जो गूगल के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर से 10 गुना बड़ा है। इससे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कैपेसिटी तेज होगी। चीन ने कल कहा- झुकने के बजाए आखिर तक लड़ेंगे अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ वॉर के बीच चीन ने कल कहा था कि वह अमेरिका के आगे ‘जबरदस्ती’ झुकने के बजाए आखिर तक लड़ना चुनेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन उकसावे से नहीं डरता, वह पीछे नहीं हटेगा। माओ निंग ने सोशल मीडिया पर कई सारे पोस्ट शेयर किए थे। इसमें एक पूर्व चीनी नेता माओ जेदोंग का भी वीडियो था। उसमें माओ कह रहे हैं- हम चीनी हैं। हम उकसावे से नहीं डरते। हम पीछे नहीं हटते। यह वीडियो 1953 का है जब कोरियाई जंग में चीन और अमेरिका अप्रत्यक्ष तौर पर आमने-सामने थे। वीडियो में माओ कहते हैं- यह जंग कब तक चलेगी यह हम तय नहीं कर सकते। यह राष्ट्रपति ट्रूमैन या फिर आइजनहावर या फिर जो नया राष्ट्रपति बनेगा, उस पर निर्भर करता है। चाहे यह जंग कितना भी लंबा क्यों न चले, हम कभी भी नहीं झुकेंगे। हम तब तक लड़ेंगे जब तक हम पूरी तरह से जीत नहीं जाते। माओ निंग ने एक दूसरे पोस्ट में एक तस्वीर शेयर की थी। इसमें यह बताया गया है कि कीमत मंहगी होने के बाद भी अमेरिकी चीनी सामान ही खरीदेंगे। ------------------------------------ यह खबर भी पढ़ें... 7 दिन में ही बैकफुट पर ट्रम्प:90 दिनों के लिए टैरिफ रोका, चीन पर बढ़ाकर 125% किया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को 75 से ज्यादा देशों पर जैसे को तैसा यानी कि रेसिप्रोकल टैरिफ 90 दिनों के लिए रोक दिया है। यह उनके फैसले के साथ ही लागू हो गया है। हालांकि, उन्होंने चीन को इस छूट में शामिल नहीं किया है, बल्कि उस पर लगे टैरिफ को 104% से बढ़ाकर 125% कर दिया है। यहां पढ़ें पूरी खबर

Apr 11, 2025 - 01:00
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ट्रम्प ने चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 145% किया:कल 125% टैरिफ का ऐलान किया था; कई अमेरिकी कंपनियों के शेयर गिरे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को चीन पर टैरिफ की दरों को बढ़ाकर 145% कर दिया है। इसस

ट्रम्प ने चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 145% किया: कल 125% टैरिफ का ऐलान किया था; कई अमेरिकी कंपनियों के शेयर गिरे

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में चीन के लिए टैरिफ में बड़ा बढ़ोतरी की है, जिसके तहत यह अब 145% तक पहुंच गया है। कल ही उन्होंने 125% टैरिफ का ऐलान किया था। यह कदम अमेरिकी व्यापार नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ माने जा रहे हैं। टैरिफ बढ़ाने का सीधा असर अमेरिकी कंपनियों के शेयरों पर पड़ा है, जिससे बाजार में गिरावट आई है। यह स्थिति समग्र अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकती है।

टैरिफ वृद्धि का मूल कारण

ट्रम्प प्रशासन ने यह टैरिफ वृद्धि मुख्यतः चीन के साथ व्यापार संतुलन को सुधारने और अमेरिकी उत्पादों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों के तहत की है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध में वृद्धि हुई है, जिसमें निर्यात और आयात के प्रति असंतुलन प्रमुख कारणों में से एक है।

प्रभावित उद्योग और कंपनियाँ

इस टैरिफ वृद्धि से कई अमेरिकी कंपनियों के शेयर में गिरावट आई है। तकनीकी, औद्योगिक, और उपभोक्ता उत्पादों के क्षेत्र में कार्यरत कंपनियाँ सबसे अधिक प्रभावित हो रही हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की बढ़ोतरी से उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे अंततः उपभोक्ता पर भी बोझ पड़ेगा।

अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव

वर्तमान व्यापार नीति का उद्देश्य घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देना है, लेकिन यह दीर्घकालिक रूप से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आवश्यक वस्तुओं की महंगाई और नौकरी के अवसरों में कमी जैसी समस्याएं उठ सकती हैं।

इस टैरिफ नीति के कारण यदि किसी दूसरे व्यापारिक हितधारक को नकारात्मक प्रभाव झेलना पड़े तो यह समस्या और भी बढ़ सकती है। इस प्रकार का व्यापार संतुलन रणनीतिक दृष्टिकोण से जटिल हो सकता है।

निष्कर्ष

ट्रम्प के द्वारा की गई यह टैरिफ वृद्धि न केवल संघीय नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों पर भी बड़ा प्रभाव डालने वाली है। कई कंपनियों के लिए यह एक चुनौती बनी हुई है, जबकि अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए यह Einkaufkosten में संभावित वृद्धि का संकेत है। भविष्य में इस तरह के बदलावों के चलते कंपनियों और उपभोक्ताओं दोनों को समायोजित करना पड़ेगा।

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