लेबनान में सैन्य कमांडर जोसेफ औन बने राष्ट्रपति:दो साल से खाली था पद; हिजबुल्लाह से निपटना सबसे बड़ी चुनौती
लेबनान में आर्मी कमांडर जोसेफ औन को नया राष्ट्रपति चुना गया है। गुरुवार को संसद में हुई दो राउंड की वोटिंग के बाद 60 साल के औन को नई जिम्मेदारी मिली है। 2 साल से खाली राष्ट्रपति पद को भरने के लिए अब तक 12 बार कोशिश हो चुकी थी। पहले राउंड में जोसेफ को 128 में से 71 वोट मिले। जो कि बहुमत के लिए जरूरी 86 वोटों से कम था। इसके बाद दूसरे दौर की वोटिंग हुई। इसमें उन्हें 65 वोट की जरूरत थी। इस दौरान उन्हें 99 वोट मिले और वे राष्ट्रपति चुन लिए गए। सामान्य तौर पर लेबनान में आर्मी कमांडर या पब्लिक सर्वेंट अपने इस्तीफे के 2 साल तक राष्ट्रपति नहीं बन सकते हैं। हालांकि औन के केस में ऐसा नहीं हुआ। वे अभी राष्ट्रपति बनने तक आर्मी चीफ थे। पूर्व राष्ट्रपति मिशेल अमेरिका, सऊदी के पसंदीदा उम्मीदवार थे लेबनान में राष्ट्रपति के लिए वोटिंग ऐसे समय में हुई जब हाल ही में इजराइल और लेबनान के आतंकी समूह हिजबुल्लाह के बीच 14 महीने से चल रहे युद्ध को रोकने के लिए डील हुई थी। पूर्व राष्ट्रपति मिशेल औन अमेरिका और सउदी अरब के पसंदीदा उम्मीदवार माने जा रहे थे। इनकी देखरेख में युद्ध के बाद लेबनान को फिर से खड़ा करने की चर्चा चल रही थी। मिशेल का कार्यकाल अक्टूबर 2022 में खत्म हुआ था। तब से राष्ट्रपति पद खाली था। राष्ट्रपति चुनाव के लिए हिजबुल्लाह ने वहां ईसाई समुदाय की छोटी पार्टी सुलेमान फ्रांगीह को समर्थन देने का ऐलान किया था। फ्रांगीह का सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अशद के साथ गहरा संबंध रह चुका है। फ्रांगीह ने बुधवार को राष्ट्रपति उम्मीदवारी से अपना नाम वापस लेकर औन को समर्थन करने का ऐलान किया था। इसके बाद जोसेफ औन का राष्ट्रपति बनना और आसान हो गया। वॉशिंगटन डीसी के सीनियर फेलो रैंडा स्लिम के मुताबिक इजराइल के साथ युद्ध और सीरिया में अपने सहयोगी असद के पतन के बाद हिजबुल्लाह सैन्य और राजनीतिक तौर पर कमजोर हुआ है। साथ ही राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए वहां अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ रहा था। लेबनान के इतिहास में कई बार राष्ट्रपति का पद खाली रह चुका है। इनमें सबसे ज्यादा मई 2014 से अक्टूबर 2016 तक राष्ट्रपति पद खाली था। इसके बाद मिशेल औन को राष्ट्रपति चुना गया था। लेबनान में पावर शेयरिंग फॉर्मूले से बड़े पदों पर होता है चुनाव लेबनान में राष्ट्रपति का पद वहां के पावर शेयरिंग फॉर्मूले पर तय होता है। जिसके तहत प्रेसिडेंट ईसाई, प्रधानमंत्री सुन्नी मुस्लिम और संसद का अध्यक्ष शिया समुदाय का प्रत्याशी होता है। वहां प्रेसिडेंट के पास ही प्रधानमंत्री और कैबिनेट को चुनने या हटाने का अधिकार है। बीते दो सालों से लेबनान में चल रही कार्यवाहक सरकार की शक्तियां कम हो गई हैं। क्योंकि इन्हें राष्ट्रपति की ओर से नहीं चुना गया था। कौन हैं जोसेफ औन ? राष्ट्रपति चुने गए जोसेफ औन पांचवें सेना कमांडर थे। मार्च 2017 में औन सेना प्रमुख चुने गए थे और जनवरी 2024 में उन्हें रिटायर्ड होना था लेकिन इस बीच हिज्बुल्लाह-इजराइल के बीच युद्ध जारी रहा। इस कारण उनका कार्यकाल दो बार बढ़ाया गया था। वह मीडिया से भी ज्यादातर समय दूरी बनाकर रहते हैं। औन ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कभी औपचारिक तौर पर नहीं की थी। सत्ता संभालते ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा लेबनान की नई सरकार के सामने आने वाले समय में कई चुनौतियां रहेंगी। इनमें से इजराइल-हिजबुल्लाह सीजफायर को पूर्ण रूप से लागू करना प्रमुख है। इसके अलावा लेबनान का विकास और बिजली संकट को सुलझाना अहम होगा। विश्लेषकों के मुताबिक घरेलू लेबनानी राजनीति में विरोधाभासों से निपटना भी नई सरकार के लिए जरूरी होगा। खास तौर पर हिजबुल्लाह के साथ संबंध, जो न केवल एक उग्रवादी समूह है, बल्कि एक राजनीतिक पार्टी है जिसे वहां के मुस्लिम लोग समर्थन करते हैं। इसके अलावा सेना कमांडर के पास आर्थिक मामलों में कम अनुभव है, जिसका मतलब है कि वह अपने सलाहकारों पर बहुत अधिक निर्भर हो सकते हैं। -----------------------------
लेबनान में सैन्य कमांडर जोसेफ औन बने राष्ट्रपति
लेबनान के सैन्य कमांडर जोसेफ औन ने आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति पद ग्रहण कर लिया है। यह पद पिछले दो वर्षों से खाली था, जिसके कारण देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ था। जोसेफ औन की नियुक्ति से देश एक नई दिशा की ओर बढ़ सकता है, खासकर हिजबुल्लाह जैसे संवेदनशील मुद्दों को लेकर।
जोसेफ औन का राजनीतिक सफर
जोसेफ औन एक प्रतिष्ठित सैन्य अधिकारी हैं और उनके समर्पण और नेतृत्व की कोई तुलना नहीं है। उन्होंने देश की सुरक्षा और स्थिरता के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। अब, राष्ट्रपति की भूमिका में, उनका मकसद देश को एकजुट करना और राजनीतिक संवाद को बढ़ावा देना है।
हिजबुल्लाह से निपटना सबसे बड़ी चुनौती
हालांकि, जोसेफ औन के सामने सबसे बड़ी चुनौती हिजबुल्लाह के साथ संबंधों को संभालना होगा। यह समूह लेबनान में अपनी राजनीतिक और सैन्य स्थिति को मजबूत करने के लिए जाना जाता है, और औन को इसके साथ संतुलन बनाते हुए देश में शांति स्थापित करनी होगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वह इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं।
लेबनान की राजनीतिक स्थिति
लेबनान की राजनीति अतीत में कई बार अस्थिर रही है, जिसमें विदेशों के हस्तक्षेप और आंतरिक विवाद शामिल हैं। जोसेफ औन के नेतृत्व में, जनता को उम्मीद है कि उन्हें स्थिरता और विकास का मार्गदर्शन मिलेगा। इसके लिए औन को देश के विभिन्न समूहों के बीच समझौते और संवाद की आवश्यकता है।
जनता की अपेक्षाएं
लेबनान की जनता अपने नए राष्ट्रपति से अपार उम्मीदें रखती है। उन्हें विश्वास है कि औन अपनी सैन्य पृष्ठभूमि का उपयोग करके देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगे और राजनीतिक दलों के बीच विभाजन को कम करेंगे। जनजीवन में सुधार और आर्थिक प्रगति भी उनके एजेंडे में शामिल हैं।
जोसेफ औन की नियुक्ति ने लेबनान में एक नई उम्मीद जगाई है। उनकी नेतृत्व क्षमता से देश की राजनीतिक स्थिति में बदलाव आ सकता है, और यह देखना रोचक होगा कि वे अपने कार्यकाल के दौरान कितने सफल होते हैं।
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