तालाब के गहरे पानी में उतरकर बाबा साहब का सम्मान:25 वर्षों से लगी है प्रतिमा; 5 फीट गहरे पानी में चलकर दूध से कराया स्नान
भारत रत्न डा. भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर तालाब के बीच लगी बाबा साहब की मूर्ति को दूध से स्नान कराकर फूल-माला पहनाकर सम्मान किया। बता दें कि बीते 25 वर्षों से तालाब के बीच में बाबा साहब की प्रतिमा लगा है। पानी में घुसकर पहुंचना पड़ता है जूही स्थित धोबी तालाब में पानी के बीचोंबीच खड़ी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को क्षेत्रीय पार्षद शालू सुनील कनौजिया ने महिलाओं और पुरुषों के साथ लगभग साढे़ चार से पांच फीट गहरे पानी मे घुसकर माल्यार्पण किया। करीब 100 फीट तक पानी के अंदर घुसकर सभी लोग मूर्ति तक पहुंचे। प्रतिमा को दूध से कराया स्नान पूर्व पार्षद सुनील कनौजिया ने बाबा साहब की प्रतिमा को दूध से स्नान कराया। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि बाबा साहब की प्रतिमा लगभग 25 वर्ष पहले लोगों ने लगाई थी और इसके बाद लगभग 3 बार दलितों का मसीहा खाने वाली बसपा की सरकार रही लेकिन उन्होंने आज तक दलितों के भगवान की तरफ किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया। 1993 में मूर्ति की गई थी स्थापित स्थानीय निवासी विशाल कनौजिया ने बताया कि साल 1993 में इस इलाके के लोगों ने बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर की मूर्ति को स्थापित किया था। उस समय तालाब के बीच में पगडंडी हुआ करती थी। पगडंडी पर धोबी समाज के लोग कपड़े धोया करते थे। पगडंडी पानी में डूब गई वर्ष-1956 में इस तालाब के एक तरफ नहर हुआ करती थी, जिस पर धीरे-धीरे लोगों ने कब्जा करना शुरू कर दिया। वर्ष 1985-86 में नहर बंद हो गई और लोगों ने उस नहर पर अपने-अपने आशियाने बना लिए। इसके साथ ही यहां से पानी निकासी के रास्ते भी बंद हो गए, जिसकी वजह से तालाब के बीच बनी पगडंडी पानी में पूरी तरह से डूब गई और लोगों को अब अंबेडकर की मूर्ति तक पहुंचने के लिए तालाब से होकर गुजरना पड़ता है।

तालाब के गहरे पानी में उतरकर बाबा साहब का सम्मान
हर साल की तरह इस वर्ष भी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती को बड़े श्रद्धा-सम्मान के साथ मनाया गया। खासतौर पर इस बार एक अनोखा नजारा देखने को मिला जब श्रद्धालुओं ने तालाब के 5 फीट गहरे पानी में उतरकर बाबा साहब की प्रतिमा का दूध से स्नान कराया। यह आयोजन 25 वर्षों से निरंतर होता आ रहा है, जो इस क्षेत्र में श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है।
प्रतिमा का इतिहास और सम्मान
बाबा साहब की प्रतिमा 25 वर्षों से इस तालाब में स्थापित है, जहां हर वर्ष हजारों लोग एकत्रित होकर श्रद्धा के साथ उन्हें नमन करते हैं। इस विशेष मौके पर लोग न केवल प्रतिमा को दूध से स्नान कराते हैं, बल्कि मनोकामनाएँ भी पूरी होते देख रहे हैं। यह परंपरा समाज के एक विशेष वर्ग के लिए न केवल भक्ति का माध्यम है, बल्कि अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता का प्रतीक भी है।
धार्मिक और सामाजिक पहलू
इस आयोजन में केवल स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से आए श्रद्धालु भी शामिल होते हैं। लोग अपने-अपने तरीके से बाबा साहब को श्रद्धांजलि देते हैं, जिससे यह कार्यक्रम धार्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण बन जाता है। इस घटना ने सामूहिकता और एकता के संदेश को भी फैलाया है, जो समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में जोड़ता है।
इस वर्ष का आयोजन
इस वर्ष का आयोजन विशेष रूप से भव्य था, जिसमें श्रद्धालुओं ने न केवल प्रतिमा का दूध से स्नान कराया, बल्कि तालाब में उतरकर गहरे पानी में प्रसाद भी अर्पित किया। आयोजकों ने इस अवसर को ऐतिहासिक बनाने के लिए कई विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया। विभिन्न नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी इस आयोजन को और भी जीवंत कर दिया।
इस प्रकार, बाबा साहब का यह सम्मान समाज में न केवल उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करता है, बल्कि समाज में समानता और अधिकारों की बात भी करता है।
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